के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 8 सित॰ 2024 टिप्पणि (0)
मणिपुर में हिंसा: जिरीबाम जिले में हालत तनावपूर्ण
मणिपुर के जिरीबाम जिले में शनिवार 7 सितंबर, 2024 की सुबह एक बार फिर हिंसा भड़क उठी। सशस्त्र समूहों के बीच हुई हिंसक झड़प में पांच लोगों की मौत हो गई। यह घटना जिले के सबसे सुदूरवर्ती हिस्सों में से एक में हुई, जहां पर एक व्यक्ति की घर में सोते समय हत्या कर दी गई।
पहाड़ी क्षेत्र में हिंसक झड़प
प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, हमलावरों ने एक घर में घुसकर पांच किलोमीटर दूर स्थित जिला मुख्यालय के पास सो रहे व्यक्ति को गोली मार दी। इसके बाद, पहाड़ी इलाके में लगभग सात किलोमीटर दूर सशस्त्र समूहों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें अन्य चार लोगों की जान चली गई। मारे गए चार लोगों में तीन पहाड़ी क्षेत्र के उग्रवादी थे।
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि इन समूहों के बीच हुई फायरिंग में उग्रवादियों के अलावा पहले ही हिंसा में फंसे निर्दोष लोग भी प्रभावित हो गए। पुलिस के अनुसार, यह झड़प दो विरोधी समुदायों के सशस्त्र कर्मियों के बीच हुई। पुलिस अब स्थिति को काबू में करने के लिए अतिरिक्त बल और सुरक्षा तैनात करने में जुटी है।
हालिया घटनाएं और उनका प्रभाव
यह घटना सप्ताह भर में जिरीबाम जिले में हुई दूसरी हिंसात्मक घटना है। इससे पहले एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी के खाली पड़े तीन कक्षों के मकान में आगजनी की घटना दर्ज की गई थी। यह घटना बोरोबेकड़ा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत जकुरधोरे इलाके में हुई थी।
इस आगजनी घटना पर स्थानीय पुलिस जांच कर रही है और इसमें शामिल किसी भी समूह की भूमिका की पुष्टि नहीं हो पाई है। Indigenous Peoples' Advocacy Committee (फेरजावल और जिरीबाम) ने आगजनी की घटना में किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इंकार किया है।
आगजनी और गोलीबारी की इन घटनाओं के बाद जिरीबाम जिले में तनाव का माहौल है। स्थानीय लोग लगातार बढ़ रही हिंसा से भयभीत हैं और सुरक्षा इंतजामों को लेकर सरकार से अपील कर रहे हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस हिंसा ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनेताओं का ध्यान आकर्षित किया है। मुख्यमंत्री ने स्थिति की समीक्षा के लिए एक आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में उन्होंने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
समाज के विभिन्न संगठनों ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। कई संगठनों ने सरकार से यह मांग की है कि किसी भी तरह के हिंसक गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषियों को पकड़ कर सख्त कार्रवाई की जाए।
राज्य में लंबे समय से जारी हिंसा का यह ताज़ा प्रकरण यहां के सामाजिक ताने-बाने को और अधिक कमजोर कर रहा है। आम लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और इस प्रकार की घटनाएं उनके मनोबल को गिरा रही हैं।
सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग
इन घटनाओं के बाद सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग तेज हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस और सेना के पर्याप्त बल की तैनाती से ही इन हिंसात्मक घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है।
पिछले कुछ महीनों में मणिपुर के विभिन्न जिलों में बढ़ रही हिंसा को लेकर राज्य सरकार पर भी विभिन्न समुदायों ने सवाल उठाए हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
इस बीच, राज्य के विभिन्न हिस्सों में शांति और सद्भाव के लिए सामूहिक प्रार्थनाओं और सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। लोगों को समझाया जा रहा है कि इस कठिन समय में एकजुट रहें और किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें।
निष्कर्ष
मणिपुर के जिरीबाम जिले में हालिया हिंसा एक गंभीर चिंता का विषय है। इस घटना ने न केवल स्थानीय शांति को भंग किया है बल्कि राज्य भर में भय का माहौल पैदा किया है। राजनीतिक और सामाजिक नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे मिलकर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही, सुरक्षा बलों को भी अपनी रणनीति में बदलाव कर इस प्रकार की घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
इन घटनाओं से हमें यह भी समझ में आता है कि समाज में शांति और सहिष्णुता स्थापित करने के लिए हमें मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। केवल सरकारी तंत्र ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को इसमें अपना योगदान देना होगा ताकि मणिपुर में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो सके।