के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 26 जुल॰ 2024 टिप्पणि (0)
बीजेपी नेता प्रभात झा का निधन: एक युग का अंत
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रभात झा का शुक्रवार सुबह दिल्ली के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे और हाल ही में उनकी तबीयत और बिगड़ने पर उन्हें गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में एयरलिफ्ट कर लाया गया था। झा का जन्म 4 जून 1957 को बिहार के सीतामढ़ी जिले में हुआ था, बाद में वे मध्य प्रदेश आकर बस गए। राजनीति में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
प्रभात झा की प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
प्रभात झा का जन्म बिहार के छोटे से जिले सीतामढ़ी में हुआ था। वहां से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। शिक्षा के प्रति उनकी एक खास लगाव थी। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे मध्य प्रदेश गए, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा के बूते पर एक मजबूत पहचान बनाई। उन्हीं दिनों से उनमें समाजसेवा के प्रति रुचि जागृत हुई और यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई।
पत्रकारिता से राजनीति की ओर
प्रभात झा ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी। उन्होंने एक पत्रकार के रूप में अपनी पहचान बनाई और उनके लेखनी का प्रभाव लोगों पर काफी पड़ा। धीरे-धीरे वे सामाजिक मुद्दों से जुड़ते गए और जनता की आवाज बनने लगे। पत्रकारिता के दौरान ही उन्हें समझ में आ गया था कि वे राजनीति में ज्यादा प्रभावी रूप से समाज की सेवा कर सकते हैं। यही कारण था कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता ग्रहण की और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
राजनीतिक जीवन में उनका योगदान
प्रभात झा भारतीय जनता पार्टी के एक प्रसिद्ध नेता के रूप में उभरे। वे दो बार राज्यसभा सांसद बने और उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर जोरदार बहस की। उनको जनता और पार्टी के नेताओं दोनों का भरोसा हासिल था। झा का राजनीतिक सफर कई उपलब्धियों से भरा हुआ था और वे अपने संकल्पों को पूरा करने में बहुत संजीदा थे।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला और बीजेपी के विभिन्न संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई। उनकी विचारधारा और कार्यशैली ने उन्हें पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह बड़ा सम्मान दिलाया। उनकी असमय मृत्यु ने पार्टी और उनके चाहने वालों को गहरी क्षति पहुंचाई है।
उनकी विरासत
प्रभात झा की विरासत उनके कार्यों में झलकती है। उनकी तार्किक और ज्वलंत भाषण शैली ने उन्हें हमेशा अग्रणी चेहरा बनाया। वे सामाजिक न्याय और विकास के प्रति समर्पित थे और हमेशा से गरीब और वंचित लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे। उनका योगदान सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं था, वे एक लेखक और विचारक भी थे। उनके निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया है।
उनके निधन पर तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है और इसे देश के लिए बड़ी क्षति बताया है। उनके अंतिम संस्कार के लिए उन्हें उनके पैतृक गांव सीतामढ़ी ले जाया जाएगा, जहां उनके चाहने वालों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है।
अंतिम यात्रा
प्रभात झा की अंतिम यात्रा में कई वरिष्ठ नेता, उनके समर्थक और आम जनता शामिल होगी। उनकी अंतिम यात्रा उनके पैतृक गांव सीतामढ़ी से निकलकर स्थानीय श्मशान घाट पर पहुंचेगी, जहां उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार होगा। उनके निधन से जो शून्य भारतीय राजनीति में आया है, उसे भरना मुश्किल होगा।
प्रभात झा के निधन से भारतीय जनता पार्टी समेत सम्पूर्ण राजनीतिक रहा भावुक है। उनके तालुकात सभी दलों के नेताओं से अच्छे थे, और उनकी कमी बड़ी व्यथा के साथ महसूस की जा रही है।