के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 25 जुल॰ 2024    टिप्पणि (6)

बजट 2024 पर टकराव: अभिषेक बनर्जी और ओम बिड़ला के बीच विवाद

बजट 2024 पर लोकसभा में गरमागरमी

हाल ही में लोकसभा में बेहद गरमागरमी का माहौल देखने को मिला जब तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी और अध्यक्ष ओम बिड़ला के बीच तीखी नोकझोंक हुई। घटना बजट 2024 पर चल रही चर्चा के दौरान हुई, जिसमें बनर्जी ने नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली बीजेपी सरकार की कड़ी आलोचना की।

तीन कृषि कानूनों पर टकराव

अभिषेक बनर्जी ने अपने भाषण में कहा कि सरकार ने तीन कृषि कानून बिना किसी परामर्श के पारित किए थे, जिसके लिए न तो किसानों से, न किसान संगठनों से और न ही विपक्षी दलों से विचार-विमर्श किया गया। इस बयान पर स्पीकर ओम बिड़ला ने तुरंत आपत्ति जताई और कहा कि इस मुद्दे पर सदन में साढ़े पांच घंटे चर्चा हुई थी। इस पर बनर्जी ने अपनी बात पर कायम रहते हुए कहा, 'जब स्पीकर बोलते हैं, तो वह सही बोलते हैं।' इससे स्थिति और गंभीर हो गई।

बजट पर तृणमूल कांग्रेस की टिप्पणियां

बजट 2024 पर टिप्पणियों की बात करें तो बनर्जी ने इसे धुंधला और उद्देश्यहीन बताया। उनका कहना था कि यह बजट बीजेपी के गठबंधन सहयोगियों को खुश करने के लिए तैयार किया गया है, न कि 140 करोड़ भारतीयों की जरूरतों को पूरा करने के लिए। उन्होंने सरकार पर रिश्वतखोरी का भी आरोप लगाया और कहा कि सरकार अपने समय को बढ़ाने के लिए ऐसा कर रही है।

बीजेपी के सहयोगियों पर आरोप

बनर्जी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री न चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उदाहरण देते हुए कहा कि बजट में इन राज्यों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है, क्योंकि ये राज्य बीजेपी के मजबूत सहयोगी हैं। उन्होंने अन्य राज्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया, जिससे बजट को लेकर विवाद और गहरा हो गया।

वित्त मंत्री का जवाब

इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पश्चिम बंगाल की सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दशक में कई योजनाएं लागू की हैं, जिन्हें पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया गया है। उन्होंने बनर्जी को बढ़ते हुए सुझाव दिया कि वे उन फंड्स का विवरण लेकर एक श्वेत पत्र जारी करें, जो 2021 के राज्य चुनावों में बीजेपी की हार के बाद राज्य को दिए गए थे।

बंगाल के लिए निधियों का विवाद

बनर्जी ने केंद्र पर मनरेगा निधियों को रोकने का आरोप भी लगाया और कहा कि पश्चिम बंगाल के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत मकानों के लिए धनराशि को जारी करने में देरी की जा रही है। उनका कहना था कि ऐसा करके केंद्र सरकार बंगाल के लोगों के साथ अन्याय कर रही है।

गंभीर चेतावनी

अंत में अभिषेक बनर्जी ने चेतावनी दी, 'आप बीजेपी वाले उधार के समय पर चल रहे हैं। कुर्सी की पेटी बांध लीजिए, मौसम बिगड़ने वाला है।' उनके इस बयान ने सदन में तनाव का माहौल और बढ़ा दिया।

6 Comments

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    sangita sharma

    जुलाई 25, 2024 AT 08:40

    भाई लोग, बजट हमारे जैसे आम लोगों के लिए नहीं बना है, यह तो सिर्फ़ सत्ता के खेल को आगे बढ़ाने के लिए है।
    अभिषेक बनर्जी ने सही कहा कि किसान को सुनना कहाँ गया, फिर भी कोई जवाब नहीं मिला।
    भारी लालच और गठबन्धन के लिए ये बजट तैयार किया गया है, बाकी सबको पीछे धकेला जा रहा है।
    इसी से हमारा देश सच्चे लोकतंत्र की भावना खोता जा रहा है।
    अगर हम सब मिलकर आवाज़ उठाएँ तो शायद सरकार को जामिनी मिल सके।

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    PRAVIN PRAJAPAT

    जुलाई 25, 2024 AT 08:41

    बजट में मौन बहाना नहीं चल सकता इसे सरहद तक ले जाओ और बेतुके बंडल को हटाओ

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    shirish patel

    जुलाई 25, 2024 AT 08:43

    ओह, बजट में तो बस चकाचौंध है, असली जरूरतें तो कहीं पीछे रह गईं!

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    srinivasan selvaraj

    जुलाई 25, 2024 AT 08:45

    यह बजट मसले का मूल कारण नहीं है बल्कि एक विस्तारित राजनीतिक रणनीति का भाग है।
    पहले से ही सरकार ने कई बार किसानों की सुनवाई को टालते हुए केवल कागज़ी शब्दों में ही समाधान पेश किया है।
    अब जब बजट के माध्यम से वह अपनी मौजुदा एजेंडा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उनका फोकस जनता की भलाई पर नहीं है।
    वित्त मंत्री ने पश्चिम बंगाल को विशेष रूप से निशाना बनाया, जबकि वही राज्य अपने विकास में पीछे है।
    ऐसे बयान के साथ ही उन्होंने अभिषेक बनर्जी को श्वेत पत्र तैयार करने का सलाह दिया, जो कि एक झूठी झलक है।
    किसान संगठनों को नहीं बताया गया कि किन शर्तों पर संसाधन जारी होंगे, और यह अस्पष्टता केवल भ्रम को बढ़ाती है।
    नीती में पारदर्शिता नहीं है और यह लोकतंत्रीय प्रक्रिया को कमजोर करती है।
    यह बजट रफ्तार में नहीं, बल्कि अपने गठबन्धी राज्यों को खुश करने की गहरी इच्छा से चल रहा है।
    कौन से राज्यों को प्राथमिकता मिली, इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया, जिससे असमानता और बढ़ी है।
    आधुनिक भारत को आर्थिक विकास के साथ सामाजिक न्याय भी चाहिए, लेकिन यहाँ यह संतुलन नहीं दिख रहा है।
    डाटा के मुताबिक, कई छोटे किसान अभी भी अपनी फसल को बचाने के लिए ऋण पर निर्भर हैं, जबकि बजट में उनके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं दिखता।
    मिनिस्ट्री ने पहले भी विकास परियोजनाओं में देरी की थी, और अब वह वही कहानी दोहरा रहे हैं।
    यदि सरकार वास्तविक रूप से किसान और गरीबों की हालत सुधारना चाहती है, तो उन्हें बिन पूछे इस बजट को फिर से देखना चाहिए।
    परिणामस्वरूप, यह बजट केवल राजनीतिक छाप के लिए ही काम आता है, वास्तविक लाभ वही लोग मिलेंगे जो पहले से ही सत्ता में हैं।
    सभी हितधारकों को एक साथ लाकर पारदर्शी चर्चा करनी चाहिए, न कि एकतरफ़ा निर्णय लेकर सबको अंधेरे में डालना चाहिए।

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    Ravi Patel

    जुलाई 25, 2024 AT 08:46

    सभी को एक बात याद रखनी चाहिए, हमें एकजुट होकर सही दिशा में कदम बढ़ाना है।
    अगर हम सब मिलकर मुद्दों को समझेंगे तो समाधान भी निकलेगा।
    बजट की गलतियों को सुधारने के लिए हमें शांत रहना चाहिए और डेटा पर भरोसा करना चाहिए।
    साथ मिलकर हम परिवर्तन ला सकते हैं।

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    Piyusha Shukla

    जुलाई 25, 2024 AT 08:48

    देखो भाई, बजट तो बस पार्टी का एक्सरसाइज़ है, असली काम तो जमीन से जुड़ी समस्याओं में है।
    व्यवहारिक बातों को नजरअंदाज़ करके सिर्फ़ राजनीतिक दिखावा किया जा रहा है, तभी तो ये सब अटकलें बनती हैं।

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