के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 21 जुल॰ 2024 टिप्पणि (0)
हिंसा से प्रभावित बांग्लादेशियों के प्रति ममता बनर्जी की सहानुभूति
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक बड़ा और साहसिक फैसला लिया, जिसमें उन्होंने हिंसा से प्रभावित बांग्लादेशियों को शरण देने की बात कही है। इस घोषणा ने देशभर में उबाल मचा दिया है और विभिन्न राजनीतिक समुदायों में भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न हुई हैं। बनर्जी ने यह घोषणा तृणमूल कांग्रेस की 'शहीद दिवस' रैली के दौरान की। यह रैली कोलकाता में आयोजित की गई थी और उसमें हजारों समर्थकों ने भाग लिया।
संयुक्त राष्ट्र का हवाला
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी इस घोषणा के लिए संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी प्रस्ताव का हवाला दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमें मानवता के नाते उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो अपने देश की हिंसा से भाग रहे हैं। बनर्जी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि हमारे पास उदाहरण हैं जब हमने अतीत में किसी समुदाय को शरण दी है, जैसे कि बॉडो हिंसा के दौरान असमिया लोगों को अलिपुरद्वार क्षेत्र में शरण दी गई थी।
समर्थन और विरोध
बांग्लादेश के मौजूदा हालातों का ज़िक्र करते हुए ममता बनर्जी ने लोगों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और किसी भी तरह की उकसावे वाली गतिविधियों से दूर रहें। इस बीच, भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बनर्जी की घोषणा की कड़ी आलोचना की है। मजूमदार का कहना है कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में केंद्र सरकार से चर्चा की जानी चाहिए, इससे पहले कि कोई सार्वजनिक बयान दिया जाए।
असम के उदाहरण की ओर इशारा
ममता बनर्जी ने अपने भाषण में असम का उदाहरण भी दिया, जब राज्य में बॉडो हिंसा के चलते असमिया लोगों को बंगाल के अलिपुरद्वार क्षेत्र में शरण दी गई थी। उन्होंने कहा कि यह एक मानवीय कर्तव्य है कि हम अपने पड़ोसी देश के लोगों की मदद करें, जब वे संकट में हैं। बनर्जी ने गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा के मुद्दों को भी उठाया जोकि विशेषकर छात्रों के लिए एक गंभीर समस्या है।
बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति
बांग्लादेश में अब भी हिंसा की लहरें बढ़ रही हैं, और विशेषकर छात्र प्रदर्शन तेजी पकड़ रहे हैं। छात्र सरकार से नौकरियों के कोटा सिस्टम में सुधार की मांग कर रहे हैं और इस संघर्ष की वजह से कई छात्रों की मौत हो चुकी है। इस प्रकार की घटनाएं पूरे दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप में चिंता का कारण बनी हुई हैं।
ममता बनर्जी की अपील
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के लोगों से शांत रहने और किसी भी प्रकार की उत्तेजना से बचने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी दरवाजे खुले रखने चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। इस मामले में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से भी सहयोग मांगा।
सियासी प्रतिक्रियाएँ
बनर्जी की इस घोषणा पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने विचार रखे हैं। भाजपा के नेताओं ने इसे राज्य सरकार की नाकामी बताई है और कहा है कि शरणार्थियों के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार को केंद्र सरकार से संवाद करना चाहिए। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने इसे ममता बनर्जी की साहसिक और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक कहा है।
इस विषय पर दलों के बीच खटास बढ़ रही है और यह देखना दिलचस्प रहेगा कि भविष्य में इस पर किस प्रकार की प्रतिक्रियाएँ आती हैं। लेकिन एक बात तय है कि ममता बनर्जी की इस घोषणा ने बांग्लादेशी शरणार्थियों के मुद्दे को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है।