टैरिफ रियायत क्या है और क्यों मायने रखती है?

टैरिफ रियायत यानी सरकार द्वारा दी जाने वाली आयात या निर्यात पर लगने वाली शुल्क में छूट। इससे माल की कीमत घटती है और व्यापार सस्ता व प्रतिस्पर्धी बनता है। छोटे और बड़े दोनों व्यापारों के लिए यह सीधे लागत में असर डालती है। अक्सर यह रियायत FTAs, विशेष योजना या कलर नोटिफिकेशन के रूप में मिलती है।

सोच रहे हैं कि आपकी कंपनी को यह कैसे मदद दे सकती है? सही रियायत मिलने पर कच्चा माल सस्ता होगा, मार्जिन सुधरेगा और एक्सपोर्ट में बेहतर प्रतिस्पर्धा मिल सकती है।

टैरिफ रियायत किसे मिलती है?

हर रियायत की शर्तें अलग होती हैं। आम तौर पर ये वर्गीकरण देखें:

- मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत आने वाले देशों के आयातक।

- विशेष आर्थिक योजनाओं (जैसे EPCG, RoDTEP) के तहत योग्य निर्यातक।

- स्वास्थ्य, सुरक्षा या जरूरी वस्तुओं के लिए अस्थायी रियायतें।

पात्रता जानने का तेज़ तरीका: अपने माल का HS कोड चेक करें और संबंधित DGFT/कस्टम नोटिफिकेशन देखें। HS कोड गलत होगा तो रियायत न मिलना आम बात है।

कैसे आवेदन करें और कौन से दस्तावेज जरूरी हैं?

आवेदन प्रक्रिया साधारण है पर ध्यान चाहिए। सामान्य कदम ये हैं:

1) HS कोड और परिचय: अपने उत्पाद का सही HS कोड तय करें। यह रियायत का आधार होता है।

2) नोटिफिकेशन पढ़ें: DGFT, कस्टम या वाणिज्य मंत्रालय की नोटिफिकेशन्स में पात्रता और शर्तें लिखी होती हैं।

3) प्रमाण-पत्र और सर्टिफिकेट: अक्सर सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन, इनवॉइस, पैकिंग लिस्ट और पैन/आधार जैसी चीजें चाहिए होती हैं।

4) ऑनलाइन फॉर्म और लाइसेंस: कई मामलों में DGFT या कस्टम पोर्टल पर एप्लाई करना पड़ता है।

5) कस्टम क्लीनेंस: कस्टम ब्रोकर्स मदद करते हैं—पर दस्तावेज़ सही न हों तो छूट रद्द हो सकती है।

नोट: कुछ रियायतें सीमा समय पर निर्भर होती हैं। एक्सपायरी डेट मिस न करें।

अमल में क्या गलतियां होती हैं?

- HS कोड का गलत चयन।

- ओरिजिन सर्टिफिकेट में त्रुटि।

- नोटिफिकेशन की शर्तों को ठीक से न पढ़ना।

- रिकॉर्ड रखने की कमी। कस्टम ऑडिट में यह बड़ा नुकसान बनता है।

तेज़ टिप्स जो तुरंत काम आएंगे:

- किसी भी नई रियायत के लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन पढ़ें, सिर्फ मीडिया पर भरोसा मत करें।

- कस्टम ब्रोकर्स और चार्टर्ड एकाउंटेंट से कंसल्ट करें, खासकर बड़े वैल्यु शिपमेंट पर।

- रियायत मिलने पर सभी ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स और रिकॉरड 5 साल तक रखें।

आखिर में, छोटी-सी जांच और सही दस्तावेज़ीकरण से आप बड़े पैमाने पर टैक्स बचत कर सकते हैं। टैरिफ रियायत पर अपडेट रहना और समय पर आवेदन करना ही सही फायदा दिलाता है। अगर चाहें, आप अपने उत्पाद का HS कोड और नोटिफिकेशन हमसे शेयर कर सकते हैं—मैं बताऊंगा कि किस रियायत के लिए चेक करना चाहिए।

US-China ट्रेड समझौते से वैश्विक बाजारों में तेजी, भारतीय शेयर बाजारों को संजीवनी मिलने की उम्मीद

Posted By Krishna Prasanth    पर 14 जून 2025    टिप्पणि (0)

US-China ट्रेड समझौते से वैश्विक बाजारों में तेजी, भारतीय शेयर बाजारों को संजीवनी मिलने की उम्मीद

US और चीन के बीच ट्रेड डील के बाद दुनिया भर के बाजारों में मजबूती आई है। भारतीय शेयर बाजारों को भी इस फैसले से राहत मिल सकती है। समझौते में टैरिफ कटौती के अलावा चिप और रियर अर्थ जैसे सेक्टरों की बाधाएं भी कम हुई हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।

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