के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 14 जून 2025 टिप्पणि (0)

ट्रेड डील ने दी शेयर बाजारों को राहत
पिछले कुछ महीनों में ट्रेड वॉर से पैदा हुए तनाव के बाद आखिरकार US और चीन के बीच बड़ा ट्रेड डील हुआ है। नए समझौते के तहत टैरिफ घटाकर 55% किया गया है, जिससे दुनियाभर के शेयर बाजारों को तेज़ी मिली है। अमेरिका के Dow Jones, Nasdaq और S&P 500 जैसे प्रमुख इंडेक्स ने डील के बाद जबरदस्त रफ्तार पकड़ी। निवेशकों का भरोसा रातोंरात बढ़ा है और माहौल में राहत नजर आ रही है।
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की लड़ाई ने पिछले कुछ हफ्तों में सप्लाई चेन पर काफी असर डाला था। खासकर टेक मैन्युफैक्चरिंग में जरूरी सेमीकंडक्टर्स और रेयर अर्थ एलिमेंट्स की कमी बनने लगी थी। अब समझौते के बाद इन अहम सप्लाई पर से दबाव हल्का हुआ है। अमेरिकी और चीनी कंपनियों के लिए यह डील किसी ऑक्सीजन से कम नहीं।
भारतीय सेक्टरों को मिलेगा फायदा?
भारतीय शेयर बाजार, खासतौर पर Nifty और Sensex, हाल ही में अमेरिकी टैरिफ के चलते जोरदार गिरावट का शिकार हुए थे। अब वैश्विक जोखिम भावना में सुधार के साथ इनकी वापसी का रास्ता भी साफ होता दिख रहा है। विशेषज्ञ Shaun Rein जैसे कई जानकार मानते हैं कि समझौते का सबसे बड़ा फायदा उभरते बाजारों को मिल सकता है, जिसमें भारत प्रमुख है।
तकनीक, उपभोक्ता सामान और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर खास असर पड़ने वाला है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय आईटी कंपनियों और स्मार्टफोन निर्माताओं के लिए US-China ट्रेड डील से राहत मिलने की संभावना है क्योंकि सेमीकंडक्टर सप्लाई बेहतर होगी। यही नहीं, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स का भरोसा भी धीरे-धीरे लौट सकता है, जिससे बाजार में पूंजी प्रवाह बढ़ सकता है।
- टेक सेक्टर को ग्लोबल चिप सप्लाई बेहतर होने से राहत
- उपभोक्ता वस्तु कंपनियों को स्टेबल ट्रेड वातावरण
- मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए निर्यात के अवसर
हालांकि, जोखिम पूरी तरह टले नहीं हैं। सप्लाई चेन में आने वाली दिक्कतें और US-चीन की भविष्य की नीतियां बाजार के मूड को बदल सकती हैं। कुछ कारोबारियों का मानना है कि अगर बाकी ग्लोबल मुद्दे, जैसे जियोपॉलिटिकल तनाव या डॉलर की मजबूती फिर सिर उठाते हैं, तो इंडियन इंडेक्स की तेजी रफ्तार में ब्रेक भी लग सकता है।
फिलहाल निवेशकों की नजरें बड़ी कंपनियों की कमाई के आंकड़ों और सरकारी नीतियों पर टिकी हैं। सभी को उम्मीद है कि यह नई डील बाजार को स्थिरता की ओर ले जाएगी, ताकि भारत जैसे देशों में निवेश और ग्रोथ की रफ्तार बनी रहे।