मनमोहन सिंह – राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण
जब मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री, जिन्होंने 1990‑और‑2000 के दशक में आर्थिक उदारीकरण को गति दी की बात आती है, तो दो चीज़ें तुरंत दिमाग में आती हैं: खुले बाजार और वित्तीय स्थिरता। उनका नाम सुनते ही कई लोग याद करते हैं 1991 के लिबरलाइजेशन, GST की नींव और भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था का खाका। इस पेज पर हम वही समझेंगे कि उनका दृष्टिकोण आज के राजनैतिक परिदृश्य और आर्थिक आँकड़ों को कैसे आकार दे रहा है। मनमोहन सिंह के बारे में जानना मतलब भारत के विकास की कहानी को गहराई से देखना।
मुख्य पहल और आज के प्रभाव
आर्थिक सुधार, उदारीकरण, विदेशी निवेश आकर्षण और टैक्स संरचना को सरल बनाना उनका सबसे बड़ा योगदान है। इन सुधारों ने 2000 के बाद भारत को तेज़ी से बढ़ते जीडीपी रेट पर ले आया, जिससे मध्यम वर्ग का विस्तार हुआ। आज के टैक्स ऑडिट मामलों, जैसे कि CBDT द्वारा देनदारों के लिए डेडलाइन विस्तार, इस ही सुधार के कारण संभव हो पाए हैं — टैक्स सिस्टम को पारदर्शी और समय पर बनाना उनका लक्ष्य था।
एक और प्रमुख इकाई है रिज़र्व बैंक, भारत का केंद्रीय बैंक, जो मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता को नियंत्रित करता है। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में RBI ने रेपो दर में कटौती करके महंगाई को नियंत्रित किया और लोन की उपलब्धता बढ़ाई। 2025 में RBI की recent rate cut का असर वही नीति‑विचारों से आया, जो उनके समय में स्थापित हुए थे। इससे होम लोन EMI पर राहत मिली और आर्थिक गति बनी रही।
उनके आर्थिक मॉडल ने टेक‑सेक्टर्स को भी बढ़ावा दिया। आज जब मोबाइल कंपनियों जैसे Xiaomi के नई‑डुअल‑डिस्प्ले फोन लॉन्च होते हैं, तो उस पीछे का समर्थन नीतियों की एक लकीर है: आयात नीतियों में लचीलापन और I‑ट्रेड को डिजिटल बनाना। इस तरह की पहलें उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाती हैं, जो मनमोहन सिंह की ‘ग्लोबल इंडिया’ दृष्टि का सीधा परिणाम है।
राजनीति की बात करें तो उनके समय में गठबंधन‑राजनीति और सुदूर भारत के विकास पर भी ज़ोर दिया गया। वर्तमान में तेजस्वी यादव के वोटर आईडी स्कैंडल या तेजस्वी यादव के विवाद जैसी खबरें इस जाँच से जुड़ी हैं कि किस तरह चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और कानूनी बनाना चाहिए। वही मुद्दे मनमोहन सिंह ने ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटर कार्ड’ के माध्यम से सुदृढ़ करने की कोशिश की।
समाज में बदलाव का एक और पहलू है स्वास्थ्य एवं खेल। इंदौर में ICC महिला विश्व कप 2025 जैसे बड़े इवेंट्स, जो कि नई इंफ़्रास्ट्रक्चर और अंतरराष्ट्रीय मानकों की मांग करते हैं, उनके ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर बूस्ट’ के सिद्धांत पर आधारित हैं। इस वजह से भारत को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की मेजबानी करने में आसानी हुई और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला।
जब हम वित्तीय संकट की बात करते हैं, तो ‘टैक्स ऑडिट डेडलाइन विस्तार’ जैसी खबरें असामान्य नहीं लगतीं। कामकाज में लचीलापन, समय पर फाइलिंग का प्रावधान, और पोर्टल की तकनीकी सुधार— ये सब मनमोहन सिंह के ‘डिजिटलीकरण’ विज़न की ध्वनि हैं। उनका लक्ष्य था कि करदाता को आसान बनाकर राजस्व में वृद्धि हो। इसी कारण से वर्तमान में आयकर पोर्टल की गड़बड़ी के बाद भी तुरंत नियंत्रण में लाया जाता है।
एक और पहलू है अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध। जब भारत के राजनयिक, जैसे Petal Gahlot, ने UNGA में पाकिस्तान को तीखा जवाब दिया, तो यह दिखाता है कि विदेश नीति में दृढ़ता का मूल सिद्धांत मनमोहन सिंह के ‘सुरक्षा‑परिवर्तन’ के विचारों से जुड़ा है। उनका मानना था कि मजबूत कूटनीति और आर्थिक शक्ति साथ-साथ चलनी चाहिए।
सिर्फ राजनीति और अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना भी उनका हिस्सा रही। जब कोरोना जैसे स्वास्थ्य संकट आया, तो उन्होंने लोक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी और आर्थिक पैकेज पेश किए। अब जब मैं ‘ज्योतिषीय’ या ‘आध्यात्मिक’ समाचार देखता हूँ, तो यह स्पष्ट होता है कि इन सबका बुनियादी लक्ष्य ‘समग्र विकास’ है, जो उनकी ‘समानता और समावेशी विकास’ नीति में परिलक्षित होता है।
भविष्य की ओर देखें तो इंटेलिजेंट फाइनेंस, AI‑ड्रिवन बैंकिंग, और डिजिटल एग्रीकल्चर जैसे क्षेत्र मनमोहन सिंह की ‘डिजिटल इंडिया’ की नींव पर विकसित हो रहे हैं। आज के स्टार्ट‑अप्स, जैसे GK Energy का सोलर वॉटर पंप, यह दर्शाते हैं कि भारत की ऊर्जा नीति अब नवीकरणीय ऊर्जा पर केंद्रित है—एक कदम जो उनके ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के लक्ष्य से मेल खाता है।
इन सारी कनेक्शन को देख कर स्पष्ट होता है कि ‘मनमोहन सिंह’ केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि आर्थिक, वित्तीय, तकनीकी और राजनैतिक पहलुओं का एक व्यापक नेटवर्क है। नीचे आप इस टैग से जुड़े विभिन्न लेखों की लिस्ट पाएँगे—क्रिकेट मैच रिपोर्ट, टैक्स चेंज, तकनीकी लॉन्च, और राजनीति‑संबंधी अपडेट—all reflecting how his policies still resonate today. चलिए, आगे देखते हैं कि इस संग्रह में कौन‑कौन सी कहानियाँ आपके ज्ञान को और गहरा कर सकती हैं।
मनमोहन सिंह की आर्थिक सुधर की दृष्टि ने खोली नई संभावनाएँ: खड़गे
Posted By Krishna Prasanth पर 27 सित॰ 2025 टिप्पणि (0)

कांग्रेस अध्यक्ष मलिकरजुन खड़गे ने अपने पूर्वी साथी डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी, उनके 1991 के आर्थिक उदारीकरण को भारत के विकास की नई राह कहा। वित्तीय संकट की दशा से शुरू करके 8% वार्षिक वृद्धि तक, सुधारों ने निर्यात‑आयात को चार गुना कर दिया। खड़े हुए टाटा, इन्फोसिस जैसे दिग्गजों की कहानी भी उसी नीति का नतीजा है।
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