भगवान शिव हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन और असरदार देवों में से हैं। वे संहारक और पुनर्निर्माता दोनों माने जाते हैं — यानी पुराना खत्म तो नया बनता है। उनकी पहचान त्रिशूल, डमरू, जटा में बहती गंगा, चंद्रमा और शांत परंतु शक्तिशाली तांडव से जुड़ी हुई है। अगर आप शिव के बारे में जानना चाहते हैं या घर पर शिव पूजा करना चाहते हैं, तो यह पेज आपके काम आएगा।
घर पर शिव पूजा आसान और सीधी हो सकती है। इसके लिए आपको चाहिए: एक शिवलिंग या शिव की तस्वीर, बेलपत्र, दूध, जल, चावल, रोली, दीप और धूप। पूजा विधि सरल है — सुबह या शाम को स्थिर जगह पर शिवलिंग रखें। पहले जल अर्पित करें, फिर दूध से अभिषेक करें। बेलपत्र, हिमालय से लाए गए या स्थानीय पत्ते, जल और रोली अर्पित करें। ध्यान रखें कि बेलपत्र पर ही विशेष फल या प्रसाद रखें। हर चरण पर धीरे-धीरे मन लगाकर करें और मन में 'ॐ नमः शिवाय' जप लें।
अगर आप समय कम है तो सिर्फ जल और बेलपत्र के साथ 5-11 बार 'ॐ नमः शिवाय' का जप कर लें। इससे मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। मंत्र जप के लिए रोज दस से पचास बार करना अच्छा रहता है, पर आप अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि साल का सबसे बड़ा शिव पर्व है। इस दिन रातभर जागरण, भजन और पूजा होती है। मंदिरों में भीड़ ज्यादा रहती है—इसलिए समय पहले चुनें और ट्रैफिक को ध्यान में रखें। सावन महीने में सोमवार का व्रत रखा जाता है; यह साधारण व्रत भी हो सकता है या पूर्ण उपवास। पानी-पूजा और बेलपत्र अर्पण सबसे सामान्य परंपरा है।
त्योहारों पर सुरक्षा का ध्यान रखें: भीड़ में बच्चे और बूढ़ों का ध्यान रखें, कंडक्टर और आयोजकों के निर्देश मानें, प्यास और थकान से बचने के लिए पानी साथ रखें। अगर आप मंदिर में प्रसाद लेते हैं तो साफ-सफाई और पैकेजिंग चेक करें।
शिव के कई रूप और कथाएँ हैं—भूतनाथ, नटराज, बholenath—और हर रूप का अपना अर्थ है। पूजा के अलावा उनका अर्थ व्यक्तिगत बदलाव और संयम से भी जोड़ा जाता है। साधारण जीवन में शिव की शरण लेने का मतलब है—अहंकार घटाना, संतुलन बनाना और स्थिरता पाना।
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Posted By Krishna Prasanth पर 22 जुल॰ 2024 टिप्पणि (14)
श्रावण सोमवार व्रत, जो 22 जुलाई 2024 से प्रारंभ हो रहा है, भगवान शिव और देवी पार्वती की उपासना के लिए एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है। इस व्रत का महत्व और इसकी पूजा विधि विशेष रूप से श्रवण माह में महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह व्रत संतान प्राप्ति, धन, और समृद्धि के लिए स्त्रियों और पुरुषों दोनों द्वारा किया जाता है।
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