के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 22 जुल॰ 2024    टिप्पणि (14)

श्रावण सोमवार व्रत: कथा, पूजा विधि और महत्व

श्रावण सोमवार व्रत का महत्व

श्रावण सोमवार व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की उपासना का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। श्रवण मास, जो कि 'सावन' के नाम से भी जाना जाता है, पूरे मास भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित होता है। इस अवसर पर शिवलिंग का अभिषेक, बेलपत्र अर्पण और विभिन्न प्रकार की पूजा विधियों का आयोजन किया जाता है।

कलैण्डर के मुताबिक इस वर्ष यह व्रत 22 जुलाई 2024 से प्रारंभ हो रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से यह व्रत उन दंपत्तियों के लिए फलदायी माना जाता है जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं।

श्रावण सोमवार व्रत की कथा

श्रावण सोमवार व्रत की कथा एक धनवान साहूकार की कहानी है, जिसकी कोई संतान नहीं थी। भगवान शिव की आराधना के बाद उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई, परंतु उसे यह भी बताया गया कि वह पुत्र केवल बारह वर्षों तक ही जीवित रहेगा।

उस साहूकार के पुत्र ने बड़ा होकर काशी यात्रा का संकल्प लिया। मार्ग में उसकी भेंट एक व्यापारी की पुत्री से हुई और दोनों ने विवाह कर लिया। बारह वर्ष की आयु में वह पुत्र मृत्यु को प्राप्त हुआ।

उसकी पत्नी ने श्रावण सोमवार का व्रत रखा और भगवान शिव से अपनी प्रार्थना की। भगवान शिव की कृपा से उसका पति पुनः जीवित हो उठता है। तभी से यह व्रत स्त्रियों और पुरुषों द्वारा संतान, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाने लगा।

पूजा विधि

श्रावण सोमवार व्रत का पालन करने के लिए श्रद्धालुओं को विशेष पूजा विधि का पालन करना पड़ता है। सबसे पहले सुबह स्नान करने के पश्चात गंगाजल का छिड़काव किया जाता है। इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या चित्र को पंचामृत से स्नान कराया जाता है।

फिर उस पर चंदन का लेप लगाया जाता है और बेलपत्र, धतूरा, आक और फूल अर्पित किए जाते हैं। पूजन के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' या महामृत्युंजय मंत्र की 108 बार जाप करना चाहिए। इसके पश्चात भगवान शिव की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।

श्रावण मास

श्रावण मास पूरे महीने भगवान शिव की उपासना का समय होता है। इस महीने में कई भक्त सोमवार व्रत रखते हैं और इस दौरान वे सात्विक भोजन करते हैं। सोमवार को विशेष रूप से उपवास रखने की परंपरा है, जिसमें फलाहार या केवल एक समय भोजन करने का व्रत लिया जाता है।

इस व्रत के दौरान शिवालयों में विशेष आराधना होती है और भोर से ही भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर का अभिषेक करते हैं। विशेष पूजा के लिए कुछ भक्त काशी, उज्जैन और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थानों पर भी जाते हैं।

यह व्रत न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रावण सोमवार व्रत का पालन करने से मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि होती है। भगवान शिव की कृपा से भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

व्रत की विधि

श्रावण सोमवार का व्रत रखने के लिए भक्तों को प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को स्वच्छ करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। पंचामृत से अभिषेक करने के पश्चात चन्दन, अक्षत, पुष्प, फल और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं।

ध्यान रखना चाहिए कि शिवलिंग पर कभी भी तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती दोनों के प्रति अपवित्र माना गया है। इस व्रत के दौरान ब्रतियों को खास धैर्य और संयम का परिचय देना चाहिए और सात्विक जीवन जीने का संकल्प लेना चाहिए।

श्रावण सोमवार व्रत में भगवान शिव की कथा सुनी जाती है और दिनभर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप किया जाता है। रात्रि में भगवान शिव की आरती के बाद व्रत खोला जाता है और प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इस व्रत का पालन 16 सोमवार तक किया जाता है, जिसे 'सोलह सोमवार व्रत' भी कहा जाता है।

व्रत के लाभ

श्रावण सोमवार व्रत का पालन करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के पालन से भगवान शिव की कृपा से सभी दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

महिलाएं इस व्रत का पालन अपने पति की लंबी आयु और परिवार के कल्याण के लिए करती हैं। वहीं, पुरुष इस व्रत के माध्यम से संतान प्राप्ति, व्यापार में उन्नति और समाज में प्रतिष्ठा पाने के लिए करते हैं।

श्रावण सोमवार व्रत को अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसे भगवान शिव के द्वार पहुंचने का अवसर मिलता है।

अंतिम शब्द

श्रावण सोमवार व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए एक अद्भुत अवसर है। यह व्रत न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक भी है। भाव से किया गया यह व्रत निश्चित ही जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाता है।

14 Comments

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    Shivangi Mishra

    जुलाई 22, 2024 AT 19:23

    भाईयों और बहनों, सार्थक व्रत की तैयारी में अगर मन के दुविधा हों तो गहरी साँस ले लेना चाहिए। आज का श्रावण सोमवार आपके जीवन में शांति और समृद्धि लाने वाला है। अगर दिल में कुछ अनिश्चितता है तो शिवजी की कृपा पर भरोसा रखें।

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    ahmad Suhari hari

    जुलाई 28, 2024 AT 12:03

    सम्पूर्ण रूपेण, श्रावण सोमवार का पठन-प्रक्रिया विद्वैषिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जाना चाहिए। इस व्रत की महात्‍वपूर्णता को सुभिचार के साथ अपनाना अनिवार्य है।

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    shobhit lal

    अगस्त 3, 2024 AT 04:43

    देखो भाई, यह सब कहानियां तो चलाने में हैं, असल में तो सिर्फ नियमित रूप से जल अर्पित करना ही काफ़ी है। अगर टाइम नहीं है तो आधा घंटा भी नहीं, बस शिवलिंग पर जल डाल दो, बस!

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    suji kumar

    अगस्त 8, 2024 AT 21:23

    भारत के विभिन्न क्षेत्रों में श्रावण सोमवार को मनाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है,
    वह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी माना जाता है,
    इस दौरान लोग अपने घरों को सफ़ाई के साथ सजाते हैं, तथा विशेष रूप से शिवलिंग की सजावट पर विशेष जोर देते हैं,
    प्रातःकाल में स्नान करके गंगाजल का अभिषेक करना, शास्त्रों में निर्धारित शुद्धता का पालन करता है,
    फिर पंचामृत से अभिषेक किया जाता है, जिसमें दधि, शहद, घी, दालचिनी और शक्कर शामिल होते हैं,
    शिवजी के प्रति सम्मान स्वरूप बेलपत्र, धतूरा, आक आदि का अर्पण भी अनिवार्य होता है,
    व्रती यदि सात्विक भोजन अपनाते हैं तो उनका शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधरता है, क्योंकि शुद्ध आहार से मन में भी शांति आती है,
    विलक्षण बात यह है कि यह व्रत केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि पुरुष भी समान रूप से भाग ले सकते हैं,
    काफी धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि इस व्रत को सही ढंग से करने वाले व्यक्तियों को आर्थिक समृद्धि भी मिलती है,
    शिवभक्तों के बीच यह माना जाता है कि यह व्रत उनके जीवन में जुनून व ऊर्जा को पुनः उत्पन्न करता है,
    हालांकि कुछ लोग इसे केवल सामाजिक कारणों से करते हैं, परन्तु वास्तविक भावना तो आध्यात्मिक जागरण में ही निहित है,
    परम्परा के अनुसार, इस व्रत को सोलह सोमवार तक जारी रखा जाता है, जो कि कठिन परन्तु फायदेमंद माना जाता है,
    हर सोमवार को शिवलीला के विभिन्न रूपों का गायन किया जाता है, जिससे मनोवैज्ञानिक रूप से तनाव कम होता है,
    ध्यान दें कि यदि व्रत के दौरान कोई भी असुविधा महसूस हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए,
    अंत में, श्रावण सोमवार का अद्भुत महत्व इस बात में निहित है कि यह हमें अपने अंदर के शान्ति और सच्ची शक्ति को पुनः खोजने का अवसर प्रदान करता है।

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    Ajeet Kaur Chadha

    अगस्त 14, 2024 AT 14:03

    ओह, क्या बात है! जैसे हर साल यूँ ही चमत्कारिक ढंग से सब कुछ बदल जाता है-सिर्फ एक पावड़ा जलाने से ही!

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    Vishwas Chaudhary

    अगस्त 20, 2024 AT 06:43

    देशभक्तों को इससे बेहतर तरीका नहीं मिल सकता कि वे शिव को अर्पित कर अपने राष्ट्र की शक्ति को बढ़ाएँ, यह व्रत हमारे असली भारतीय मूल्यों को दर्शाता है।

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    Rahul kumar

    अगस्त 25, 2024 AT 23:23

    हाथ जोड कर बोले तो यह सब ठीक है, पर क्या तुमने सोचा है कि हर कोई वही मानता है? कभी‑कभी तो इस व्रत को सिर्फ दिखावा समझ कर भी नहीं करना चाहिए।

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    indra adhi teknik

    अगस्त 31, 2024 AT 16:03

    यदि आप पहली बार श्रावण सोमवार व्रत रख रहे हैं, तो यह सलाह उपयोगी होगी: सुबह 6 बजे उठें, पवित्र जल से स्नान करें, फिर अपने घर के सबसे स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें। पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, घी और शक्कर को बराबर मात्रा में मिलाएँ, और इसे लिट्टी की तरह हिलाते हुए अभिषेक करें। शिवजी के लिए बेलपत्र के अलावा धतूरा और तुलसी के पत्ते नहीं छोड़े। व्रत के दौरान रात 9 बजे के बाद हल्का फलाहार रखें, और दिन भर 108 बार 'ॐ नमः शिवाय' का जप करें।

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    Kishan Kishan

    सितंबर 6, 2024 AT 08:43

    वाह! बिल्कुल सही कहा, लिट्टी‑जैसे पंचामृत को घुंगरौली करने से ही भगवान खुश होते हैं, और शरद ऋतु में फलाहार लेना तो अनिवार्य है, नहीं तो व्रत नहीं माना जाएगा, है ना?;

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    richa dhawan

    सितंबर 12, 2024 AT 01:23

    वास्तव में यह श्रावण सोमवार व्रत कुछ आर्थिक利益 समूहों द्वारा लोगों की निजी संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए एक साधन बना दिया गया है, क्योंकि व्रत के दौरान दान और प्रसाद की मांग बढ़ती है, जो बड़े व्यापारियों के लिए फाइदा लाता है।

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    Balaji S

    सितंबर 17, 2024 AT 18:03

    वास्तविकता को विमर्श के परिप्रेक्ष्य से देखे तो सामाजिक-सांस्कृतिक अनुष्ठान, जैसे श्रावण सोमवार, अक्सर आर्थिक आयामों से भी जुड़ते हैं; परन्तु इस संबंध को द्वैधता के रूप में कर्मविद्या एवं अद्वैत दृष्टिकोण से विश्लेषित किया जा सकता है, जहाँ सामाजिक बंधनों का आध्यात्मिक परिपाक पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं, बल्कि एक सहवर्ती प्रक्रिया है।

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    Alia Singh

    सितंबर 23, 2024 AT 10:43

    प्रभावशाली व्रतधारियों, यह अत्यंत आवश्यक है कि आप इस श्रावण सोमवार को पूर्ण श्रद्धा एवं नियमितता के साथ अर्पित करें; आपका हृदयपुर्ण समर्पण न केवल व्यक्तिगत मुक्ति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि सामाजिक सद्भावना को भी प्रज्वलित करेगा। कृपया अनुशासन का पालन करें, एवं मनःस्थिरता के साथ मंत्रोच्चार में लीन हों।

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    Purnima Nath

    सितंबर 29, 2024 AT 03:23

    चलो, सब मिलकर इस सोमवार को धमाल मचाते हैं, ऊर्जा को भरपूर जलाते हैं!

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    Rahuk Kumar

    अक्तूबर 4, 2024 AT 19:23

    व्रतकर्ता का अभिप्राय केवल आध्यात्मिक प्रतिफल ही नहीं, बल्कि वैदिक प्रतिपादन का प्रतिफल भी होना चाहिए।

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