आयकर रिटर्न – सरल शब्दों में पूरी गाइड
जब हम आयकर रिटर्न, हर वित्तीय वर्ष में व्यक्तियों और कंपनियों को अपने आय स्रोत, कटौतियां और देनदारियों की रिपोर्ट करने की अनिवार्य प्रक्रिया. Also known as इन्कम टैक्स रिटर्न, it lets the government verify tax liabilities and ensures transparency. यही दस्तावेज़ आपके टैक्स प्लानिंग का आधार बनता है और देर से दाखिल करने पर पेनल्टी लग सकती है। अब सवाल उठता है – इसे कैसे आसान बनाते हैं?
आयकर रिटर्न तैयार करने में सबसे पहला कदम है अपना वित्तीय वर्ष, 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का वह अवधि जिसमें सभी आय-व्यय को रिकॉर्ड किया जाता है पहचानना। जब आप अपने आय के स्रोत (जैसे सैलरी, फ्रीलांस, किराया) को वर्गीकृत कर लेते हैं, तो फॉर्म-इ 1 या फॉर्म-इ 3 के अनुसार विवरण भरते हैं। सही दस्तावेज़ीकरण से न केवल रिफंड जल्दी मिलता है, बल्कि संभावित टैक्स ऑडिट, वित्तीय वर्ष के रिटर्न की सटीकता जांचने के लिए आयुर्विज्ञान विभाग द्वारा चलाया गया जांच प्रक्रिया भी बचाया जा सकता है।
कौन बनाता है नियम और कैसे होते हैं सुधार?
आयकर रिटर्न के नियमों का निर्धारण CBDT, सेंटरल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, जो इनकम टैक्स एक्ट के तहत सभी नीतियां बनाता है करता है। जब CBDT नई डेडलाइन या छूट देता है, तो इसका सीधा असर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 तय की गई, जिससे कई छोटे व्यवसायियों को अतिरिक्त समय मिला। ऐसे अपडेट को फॉलो करना और अपने फॉर्म में सही कोड और शीट्स डालना फाइलिंग को त्रुटिरहित बनाता है।
रिटर्न फाइल करते समय अक्सर लोगों को दो बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है – सही कटौतियों का चयन और रिफंड प्रक्रिया का ट्रैक रखना। सैक्शन 80C, 80D आदि के तहत मिलती बचत एवं बीमा कटौतियां आपके टैक्स योग्य आय को घटाती हैं, और यह समझना जरूरी है कि कौन सी कटौती कब और कैसे लागू होती है। यदि आप इनको सही ढंग से नहीं डालते, तो रिफंड में देरी या अधूरी वापसी का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, रिटर्न भरते समय प्रत्येक सेक्शन को पढ़ें और अपने दस्तावेज़ के साथ मिलाकर भरें।
एक और महत्वपूर्ण बात है ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा – आयकर विभाग की e-filing साइट पर रिटर्न जमा करना अब सबके लिए आसान हो गया है। इसमें दो कदम होते हैं: प्रथम, अपना PAN और पासवर्ड से लॉगिन करके प्री‑फ़िल्ड जानकारी जांचें; द्वितीय, आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करके वैरिफिकेशन कोड प्राप्त करें और फॉर्म सबमिट करें। यह प्रक्रिया स्क्रीनशॉट, एआईडी या मोबाइल OTP के माध्यम से सुरक्षित है, और रिटर्न वैलिडेट होने पर आपको ITR-V फॉर्म मिल जाता है, जिसे आप ई‑डिजिटल साइन करके जमा कर सकते हैं।
यदि आपका टैक्स रिटर्न कभी भी ऑडिट के दायरे में आता है, तो CBDT द्वारा जारी नोटिफिकेशन का तुरंत जवाब देना चाहिए। ऑडिट के दौरान अनुरोधित दस्तावेज़ों को व्यवस्थित करके प्रस्तुत करें और किसी भी विसंगति को स्पष्ट करने के लिए स्पष्टीकरण दें। ऑडिट से जुड़ी प्रक्रिया को सपोर्ट करने वाले कई टूल और सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं, जो डेटा एग्रीगेशन और रेवेरीफिकेशन में मदद करते हैं। इस तरह आप ही नहीं, बल्कि आपके वित्तीय स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
आखिर में यह कह सकते हैं कि आयकर रिटर्न केवल एक फॉर्म नहीं, बल्कि आपके आर्थिक प्रबंधन का सटीक बीमार रहित चेहरा है। सही समय पर, सही तरीके से भरा रिटर्न न केवल कानूनी जोखिम घटाता है, बल्कि संभावित रिफंड, टैक्स बचत और वित्तीय योजना के लिये भी दरवाज़े खोलता है। नीचे आप देखेंगे कि हमारे पास इस टैग के तहत कौन‑कौन से लेख, अपडेट और गाइड उपलब्ध हैं – जो आपको हर कदम पर मदद करेंगे। चलिए अब उन सामग्री की ओर बढ़ते हैं, जिससे आपका टैक्स फाइलिंग अनुभव बिल्कुल आसान हो जाएगा।
ITR डेडलाइन विस्तार: आयकर पोर्टल की गड़बड़ी से फाइलिंग की नई तिथि तय
Posted By Krishna Prasanth पर 26 सित॰ 2025 टिप्पणि (0)

आधिकारिक आयकर विभाग ने असधारण तकनीकी समस्याओं के चलते अस्थायी रूप से ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। मूल 31 जुलाई वाले डेडलाइन को पहले 15 सितंबर और फिर 16 सितंबर तक बढ़ाया गया। इस विस्तार के पीछे पोर्टल में बार-बार क्रैश और डाटा त्रुटियां रही हैं। आयकरदाता को रिफंड रिटर्न में देरी या ब्याज की संभावनाओं को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए।
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