आर्थिक सुधार: भारतीय वित्तीय परिदृश्य के प्रमुख बदलाव

When working with आर्थिक सुधार, देश के आर्थिक नीतियों, नियमों और संस्थाओं में प्रणालीगत परिवर्तन. Also known as वित्तीय परिवर्तन, it जीडीपी वृद्धि, निवेश आकर्षण और सामाजिक समृद्धि को तेज़ करने के लिए नीति‑निर्धारण, नियामक ढांचा और बाजार‑संकल्पना को अद्यतन करता है. यह शब्द सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि कई घटकों की परस्पर क्रिया है। आर्थिक सुधार आर्थिक सुधार को प्रभावित करता है, निवेशकों को भरोसा देता है, और मौद्रिक स्थिरता के लिए आवश्यक लीवर बनता है। इसी कारण नीचे दिए गए लेखों में दिखे बदलाव सीधे इन सुधारों से जुड़े हैं।

मुख्य घटक और उनका आपसी असर

एक प्रमुख उपकरण है IPO, नवीन कंपनियों या मौजूदा कंपनियों के शेयर बाजार में सार्वजनिक रूप से पेश करने की प्रक्रिया. IPO आर्थिक सुधार का सीधा परिणाम है क्योंकि यह पूँजी जुटाने के नए रास्ते खोलता है, कंपनियों को विस्तार के लिए निधि देता है और बाजार की लिक्विडिटी बढ़ाता है। उदाहरण के तौर पर, NTPC ग्रीन एनर्जी का ₹10,000 करोड़ IPO 2.55 गुना सब्सक्राइब हुआ, जिससे अक्षय ऊर्जा में निवेश तेज़ हुआ। इसी तरह Euro Pratik Sales और Tata Capital जैसे बड़े नामों के IPO ने निवेशकों का भरोसा दिखाया, जो आर्थिक नीति में स्थिरता का संकेत है।

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है टैक्स ऑडिट, केंद्र या राज्य कर प्राधिकरण द्वारा टैक्स रिटर्न और लेन‑देन की जाँच. टैक्स ऑडिट आर्थिक सुधार का अभिन्न हिस्सा है क्योंकि यह राजस्व संग्रह को पारदर्शी बनाता है, घोटालों को रोकता है और नियामक भरोसे को स्थिर करता है। CBDT ने हाल ही में टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की डेडलाइन 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी; इससे छोटे व मध्यम उद्यमियों को अतिरिक्त समय मिला और वित्तीय अनुपालन में सुधार हुआ।

टैरिफ नीति भी आर्थिक सुधार से गहरा जुड़ी हुई है। अमेरिका द्वारा टैरिफ पॉज़ की घोषणा और चीन पर 125% टैरिफ ने विश्व बाजार में अस्थायी राहत दी, जिससे भारतीय निर्यातकों को नई प्रोत्साहन मिली। इस कदम ने भारतीय शेयर बाजार में तेज रैली को जन्म दिया, S&P 500, डॉव और नास्डैक सभी ने दो अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की। इसलिए टैरिफ नीति आर्थिक सुधार की गति को प्रभावित करती है, विदेशी निवेश को आकर्षित करती है और घरेलू उद्योग को समर्थन देती है।

नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सोलर और विंड, आर्थिक सुधार का एक उभरता स्तम्भ है। GK Energy का 464 करोड़ रुपये का IPO, 89.62 गुना ओवरसब्सक्रिप्शन के साथ, सॉलर वाटर पंप जैसी तकनीकों को फंडिंग मिला। इस प्रकार नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियां पूँजी बाजार से सीधे फंडिंग पाकर विस्तार करती हैं, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय लक्ष्य दोनों को साकार किया जाता है। यह भी दिखाता है कि आर्थिक सुधार केवल वित्तीय आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि सतत विकास के लिए नया दिशा देता है।

इन सभी घटकों में परस्पर सम्बन्ध हैं: एक सफल IPO टैक्स राजस्व में वृद्धि करता है, जिससे सरकार को अधिक टैक्स ऑडिट चलाने का मौका मिलता है; टैक्स ऑडिट से प्राप्त पारदर्शिता निवेशकों को IPO में भरोसा देती है; टैरिफ नीति में स्थिरता से निर्यात उद्योग को लाभ मिलता है, जिससे विदेशी मुद्रा आय बढ़ती है और फिर वह नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में निवेश के रूप में लौटती है। यह त्रिकोणीय संबंध आर्थिक सुधार को एक पूर्ण प्रणाली बनाता है, जहाँ हर भाग दूसरे को सुदृढ़ करता है।

उपर्युक्त चर्चा से स्पष्ट है कि आर्थिक सुधार एक ही शब्द में कई नीतियों, प्रक्रियाओं और बाजार कदमों को समेटता है। नीचे आप को उन सभी शीर्षक वाले लेख मिलेंगे जो इस बड़े ढाँचे के भीतर विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं—IPO की नई लहर, टैक्स ऑडिट की डेडलाइन, टैरिफ की अंतरराष्ट्रीय झलक, और नवीकरणीय ऊर्जा के फंडिंग मॉडल। इन लेखों को पढ़कर आप समझ पाएँगे कि कैसे ये परिवर्तन एक-दूसरे से जुड़े हैं और आपके वित्तीय निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।

मनमोहन सिंह की आर्थिक सुधर की दृष्टि ने खोली नई संभावनाएँ: खड़गे

Posted By Krishna Prasanth    पर 27 सित॰ 2025    टिप्पणि (5)

मनमोहन सिंह की आर्थिक सुधर की दृष्टि ने खोली नई संभावनाएँ: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मलिकरजुन खड़गे ने अपने पूर्वी साथी डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी, उनके 1991 के आर्थिक उदारीकरण को भारत के विकास की नई राह कहा। वित्तीय संकट की दशा से शुरू करके 8% वार्षिक वृद्धि तक, सुधारों ने निर्यात‑आयात को चार गुना कर दिया। खड़े हुए टाटा, इन्फोसिस जैसे दिग्गजों की कहानी भी उसी नीति का नतीजा है।

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