के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 9 अक्तू॰ 2024 टिप्पणि (0)
श्रीगुफ़वाड़ा-बिजबेहारा विधानसभा चुनाव परिणाम 2024
जम्मू-कश्मीर की राजनीति ने सदैव देशभर के लिए महत्वपूर्ण रही है। 2024 के विधानसभा चुनाव ने फिर से यह साबित कर दिया। श्रीगुफ़वाड़ा-बिजबेहारा क्षेत्र में इस बार का चुनाव और भी दिलचस्प था क्योंकि पीडीपी की युवा उम्मीदवार इत्तिजा मुफ्ती, जिन्होंने इस चुनाव के माध्यम से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की, नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिग्गज नेता बशीर अहमद शाह के सामने थीं। पहले ही रुझानों में दिखाई देने लगा था कि इत्तिजा मुफ्ती, जो मेहबूबा मुफ्ती की बेटी हैं, इस मुकाबले में पीछे चल रही हैं।
जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ती गई, यह स्पष्ट हो गया कि इत्तिजा मुफ्ती ने विपरीत परिस्थितियों में बहादुरी से लड़ा लेकिन हार को टाल नहीं सकीं। बशीर अहमद शाह को 1000 से अधिक वोटों की बढ़त मिल चुकी थी और सुराग यही था कि वे इस बढ़त को बनाए रखेंगे।
इत्तिजा मुफ्ती द्वारा चुनावी अभियान
इत्तिजा मुफ्ती ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत बड़े जोश और उत्साह के साथ की थी। उन्होंने अपनी मां और पीडीपी की प्रमुख, मेहबूबा मुफ्ती के पदचिंहों पर चलते हुए युवाओं और महिलाओं को अपने मुख्य समर्थक के रूप में देखा। इसके बावजूद, उन्हें कठिन मुकाबला मिला और मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में सफल नहीं हो सकीं।
इस सीट के लिए चुनावी संग्राम में गरीबी, बेरोजगारी, और विकास के मुद्दे बड़े पैमाने पर रहे। हालांकि, इत्तिजा मुफ्ती ने शिक्षा और युवाओं के लिए रोजगार के मुद्दे पर विशेष ध्यान केंद्रित किया, उनकी पार्टी चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर सकी। किसी क्षेत्रीय नेता के सामने एक नई आवाज ने चुनौती पेश की, लेकिन मत विभाजन इत्तिजा के खिलाफ गया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और उनकी रणनीति
नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए इस जीत का मतलब केवल एक सीट का जुड़ना नहीं था, बल्कि यह वर्चस्व बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा था। बशीर अहमद शाह, जिन्हें इलाके में लंबे समय से स्थापित नेता माना जाता है, ने अपनी पकड़ इस इलाके में और मजबूत की। उनका जुड़ाव महत्वपूर्ण विकास कार्यों और जनता के बीच गहरी पैठ का था। उनकी जीत ने पारंपरिक वोट बैंक के प्रति भरोसा जताया।
इस जीत के साथ, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यह दिखा दिया कि वे अभी भी क्षेत्रीय राजनीति में एक मजबूत खिलाड़ी हैं। शाह ने अपने चुनावी अभियान में पारंपरिक मुद्दों के साथ-साथ समकालीन विचारधारा को भी समेटा, जो मतदाताओं को आकर्षित करने में सफल रहा।
चुनाव का अर्थ और भविष्य की राह
इस चुनाव से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकलते हैं। यह केवल एक चुनावी हार-जीत का सवाल नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय परिदृश्य और राजनीतिक समीकरण में बदलाव का संकेत देता है। इत्तिजा मुफ्ती, जिन्होंने पहली बार मैदान में उतरकर हिम्मत दिखाई, को अपने राजनीतिक करियर में बड़ी सीख मिली। उनके लिए यह एक कठिन शुरुआत थी और आगे उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना होगा।
श्रीगुफ़वाड़ा-बिजबेहारा का यह परिणाम एक राजनीतिक संदेश है। यह जीत बताती है कि जनता की भावनाएं और मुद्दे चुनावी समीकरण को कैसे बदल सकते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने साबित कर दिया कि वे पुरानी रणनीतियों के साथ नए कारक जोड़ने में सफल रहे।
इत्तिजा मुफ्ती की हार के बाद, पीडीपी को अपनी राजनीतिक रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। अगले चुनावों में जनता का विश्वास जीतने के लिए उन्हें नए तरीके अपनाने होंगे। यह चुनाव हमें बताता है कि किसी भी पार्टी के लिए सफलता का कोई निश्चित फार्मूला नहीं होता और राजनीति में हमेशा अप्रत्याशितता बनी रहती है।