के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 17 जुल॰ 2024 टिप्पणि (0)
जम्मू-कश्मीर में डोडा मुठभेड़ की पूरी कहानी
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के देसा जंगलों में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ में चार बहादुर भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए। यह घटना बुधवार की सुबह तब शुरू हुई जब आतंकवादी जंगलों में छुपे हुए थे और गश्त के दौरान सुरक्षा बलों पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में मेजर ब्रजेश थापा, नायक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और अजय अपनी जान गंवा बैठे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस स्थिति पर सेना प्रमुख से बात की।
घटना की पृष्ठभूमि
इस घटना की शुरुआत तब हुई जब हफ्तों से चल रही सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने आतंकियों का पता लगाया। आतंकियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी जिससे कुछ सैनिक और एक पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद दोनों तरफ से गोलाबारी चली, जिसमें चार जवान शहीद हो गए। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कश्मीर टाइगर्स ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए इसे एक बड़ी सफलता बताया।
पिछले हमलों की कड़ी
यह हमला पिछले 10 दिनों में जम्मू क्षेत्र में सेना पर किया गया दूसरा बड़ा हमला है। इससे पहले 8 जुलाई को काठुआ जिले में आतंकियों द्वारा की गई गोलीबारी में पांच सैनिक शहीद हो गए थे। इन और अन्य घटनाओं ने जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है।
आगे की कार्यवाही
डोडा घटना के बाद पूरे इलाके को सुरक्षा बलों ने घेर लिया है और आतंकियों की तलाश में सेना ने नए सिरे से ऑपरेशन शुरू किया है। साथ ही पैराकमांडो जैसे विशेष बलों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस प्रकार की घटनाओं ने सुरक्षा बलों को सतर्क किया है और आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ और कड़े कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है।
सुरक्षा बलों का मौरल
हालांकि इन घटनाओं ने सुरक्षा बलों का मनोबल कम नहीं किया है। नए सिरे से सर्च ऑपरेशनों का संचालन किया जा रहा है और हर उस जगह की जांच की जा रही है जहां आतंकियों का पनाह होने का शक है। इसके अलावा, गांवों में भी सुरक्षा बलों ने चौकसी बढ़ा दी है ताकि कोई आतंकी समूह छुपकर भाग न सके।
आवासीय क्षेत्र में फैली चिंता
डोडा और आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोग इस घटना से बेहद चिंतित हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन द्वारा उन्हें सुरक्षित रखने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी आतंकवादी गतिविधियों का डर बना हुआ है। स्कूलों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी सुरक्षा का ध्यान बढ़ाया गया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि शहीद जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की निंदा की और जवानों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
स्थिति की वर्तमान जानकारी
वर्तमान में, सुरक्षा बलों ने इलाके को पूरी तरह से घेर लिया है और तलाशी अभियान जारी है। हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं ताकि आतंकवादी भगाने में सफल न हो सकें। लोगों से भी अपील की गई है कि वे सुरक्षा बलों का सहयोग करें और किसी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें।
आतंकवादी गतिविधियों का वैचारिक संघर्ष
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का यह ताजा उदाहरण है कि कैसे आतंकवादी संगठन सीमा पार से सहायता पाकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। यह वैचारिक संघर्ष का परिणाम है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता को चेतावनी देता है।