के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 9 जुल॰ 2024    टिप्पणि (11)

कठुआ आतंकी हमला: सैनिकों की शहादत का बदला लेने की सरकार ने ली प्रतिज्ञा

कठुआ में आतंकवादी हमला

जम्मू और कश्मीर के कठुआ में 8 जुलाई, 2024 को हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस हमले में भारतीय सेना के पाँच बहादुर जवान शहीद हो गए और छह अन्य जवान घायल हुए हैं। यह घटना उस दिन हुई जब चार दिन पहले ही थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने वहां दौरा किया था। यह हमला हिजबुल मुजाहिदीन के 'कमांडर' बुरहान वानी की पुण्यतिथि के अवसर पर हुआ, जिसे 8 जुलाई, 2016 को एक मुठभेड़ में मार दिया गया था।

रक्षा सचिव का बयान

हमले के तुरंत बाद रक्षा सचिव गिरीधर अरमाणे ने एक कड़ा बयान जारी किया। उन्होंने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार इन शहीद जवानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देगी। उन्होंने कहा कि हमारी सेना और सुरक्षा बल इन आतंकियों का मुंहतोड़ जवाब देंगे और उन्हें परास्त करेंगे। यह बयान ऐसे समय में आया है जब क्षेत्र में उग्रवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है।

अरमाणे ने कहा, "देश इन बहादुर जवानों के शोक में है और हम उनके परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। यह सरकार का दृढ़ संकल्प है कि इन शहीदों के बलिदान का बदला लिया जाएगा और सामान्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। हम आतंकवाद को जड़ से मिटाने के अपने संकल्प में अडिग हैं और इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।"

सेना की कार्रवाई

हमले के बाद सेना तुरंत सक्रिय हो गई। आतंकियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया गया है। आतंकियों को पकड़ने और इलाके से बाहर निकलने से रोकने के लिए अतिरिक्त सैन्य बलों को मौके पर तैनात किया गया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इलाके में गोलीबारी जारी है और सेना ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है।

इस हमले के ठीक बाद क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति व्याप्त है। आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी और इस प्रकार की योजनाबद्ध घटनाओं ने सुरक्षा बलों के सामने बड़ी चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। सेना का यह ऑपरेशन यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इन आतंकवादियों को किसी भी हाल में बच निकलने का मौका न मिले।

आतंकवाद और सुरक्षा बलों की चुनौतियाँ

जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद एक पुरानी और जटिल समस्या है। यहाँ लंबे समय से सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है। सुरक्षा बलों के सामने लगातार चुनौतियाँ बनी रहती हैं, और इस हमले ने एक बार फिर उन चुनौतियों को उजागर कर दिया है। हाल के दिनों में आतंकवादी गतिविधियों में इजाफा देखा गया है, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।

देश में उग्रवादी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को लगातार सतर्क रहना पड़ता है। सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ और उनके द्वारा की जाने वाली योजनाबद्ध गतिविधियाँ सुरक्षा बलों के लिए एक गंभीर चुनौती बनी रहती हैं। ऐसे समय में सेना और सुरक्षा बलों का मनोबल ऊँचा रखना और उन्हें सभी संसाधनों से सुसज्जित करना अत्यंत आवश्यक है।

आवाज उठता देश

इस हमले के बाद राष्ट्र में जनाक्रोश है। लोग सरकार से कड़ी कार्रवाई की माँग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस हमले को लेकर बहस छिड़ी हुई है। लोगों की भावनाएँ उबाल पर हैं और राष्ट्रीयता की भावना प्रबल हो रही है।

यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि सुरक्षा बलों की जिम्मेवारी कितनी बड़ी और चुनौतीपूर्ण है। इस प्रकार की घटनाएँ हमारे जवानों के बलिदान और उनकी निस्वार्थ सेवा की याद दिलाती हैं। हमारे नेताओं और अधिकारियों को इस संकट के समय में अपने बलिदानों का सम्मान करने और उनके परिजनों के प्रति संवेदनशील रहने की आवश्यकता है।

जरूरत है कड़े कदमों की

इस घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में देश को और भी कड़ा रुख अपनाने की आवश्यकता है। आतंकवादियों को समर्थन देने वाली ताकतों के खिलाफ सख्त कार्यवाही अत्यंत आवश्यक है।

देश की सुरक्षा के लिए, एक सामरिक दृष्टिकोण से, हमें अपनी सुरक्षा तंत्र को और मजबूत और सुदृढ़ बनाना होगा। आतंकवाद के खिलाफ पूरी तैयारी और कठोर कार्रवाई ही इस दुश्मन को परास्त कर सकती है।

कठुआ में हुए इस आतंकी हमले ने ना केवल देश को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि आतंकवाद से निपटने की लड़ाई में हमें और भी संजीदा और संगठित होने की जरूरत है।

11 Comments

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    PRAVIN PRAJAPAT

    जुलाई 9, 2024 AT 21:09

    हिन्दुस्तान का सुरक्षा ढांचा इतना कमजोर नहीं हो सकता। सरकार को तुरंत कड़ा कदम उठाना चाहिए

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    shirish patel

    जुलाई 15, 2024 AT 16:02

    वाह क्या जज्बा, जमीनी स्तर पर बहाने बनते रहते हैं

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    srinivasan selvaraj

    जुलाई 20, 2024 AT 07:09

    कठुआ में हुए इस बर्बर हमले ने राष्ट्र की संवेदनाओं को गहराई से छू लिया है।
    पाँच बहादुर जवानों की शहादत ने हमें याद दिला दिया है कि सुरक्षा में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
    इस दर्दनाक घड़ी में हमें सरकार की जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से देखना चाहिए।
    प्रतिज्ञा करने के बाद वास्तविक कार्यवाही के बिना शब्द केवल हवा में बिखरते हैं।
    हम सभी को यह समझना चाहिए कि आतंकवादियों को जड़ से उखाड़ फेंकना आसान नहीं, परंतु यह संभव है।
    सेना की तेज़ी से प्रतिक्रिया प्रशंसनीय है, परंतु निरंतर समर्थन भी आवश्यक है।
    स्थानीय लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता में रखकर ही दीर्घकालिक स्थिरता हासिल की जा सकती है।
    सीमा पार की नेटवर्क को काटना और वित्तीय धंधे को समाप्त करना मौलिक कदम हैं।
    मीडिया को भी संतुलित रिपोर्टिंग करनी चाहिए, जिससे जनविश्वास बन बना रहे।
    सामाजिक मंचों पर अत्यधिक भावनात्मक उन्माद से बचना ही विवेकपूर्ण है।
    शहीदों के परिवारों को उचित सहायता और सम्मान दिया जाना चाहिए, यह हमारा कर्तव्य है।
    सरकारी नीतियों को पारदर्शी बनाकर लोगों की आशा को पुनः जागरूक किया जा सकता है।
    अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बिना जलवीर बागी को रोकना कठिन हो सकता है।
    इस जाँच में सभी पुलिस एवं खुफिया एजेंसियों को मिलकर काम करना आवश्यक है।
    अंत में, हमें राष्ट्रीय एकजुटता को बरकरार रखते हुए आगे बढ़ना होगा।
    केवल ठोस कदमों से ही हम भविष्य में ऐसे त्रासदियों को रोक सकते हैं।

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    Ravi Patel

    जुलाई 22, 2024 AT 14:42

    आपकी भावना समझता हूं
    ऐसे समय में सकारात्मक सोच जरूरी है
    भविष्य में बेहतर कार्यवाही की आशा रखता हूं

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    Piyusha Shukla

    जुलाई 26, 2024 AT 02:02

    सरकार का कड़ा बयान अक्सर दिखावा होता है
    वास्तविक प्रभाव देखने को नहीं मिलता

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    Shivam Kuchhal

    जुलाई 28, 2024 AT 23:29

    आदरणीय नागरिकों, हमें इस चुनौती को सामूहिक मनोबल के साथ पार करना चाहिए। मेरे हार्दिक शुभकामनाएं सभी जवानों के परिजनों को। आशा है कि सरकार त्वरित और निर्णायक कदम उठाएगी।

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    Adrija Maitra

    अगस्त 2, 2024 AT 00:42

    ये दर्दभरी ख़बर दिल को छू गई है
    हम सबको मिलकर शहीदों को याद करना चाहिए
    उनकी बलिदान को कभी नहीं भूलना चाहिए

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    RISHAB SINGH

    अगस्त 3, 2024 AT 18:22

    मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ
    एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है
    हम सबको साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए

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    Deepak Sonawane

    अगस्त 7, 2024 AT 05:42

    साइबर-ट्रेसिंग और इंटेलिजेंस फ़्यूजन के अभाव में ऑपरेशनल लिवरेजेबल्स की डिलिवरी कॉम्प्रोमाइज़्ड हो सकती है। इस परडायम को रिफॉर्म करने हेतु मल्टी-लेयरर्ड थ्रेट हंटिंग स्ट्रेटेजी अपनाना आवश्यक है।

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    Suresh Chandra Sharma

    अगस्त 9, 2024 AT 13:16

    भाईयो और बहनो, इस बुरे हाल में हम सबको एका साथ रहना चाहिए। शहीद भाईयों के परिवार को मेरा ढेर सारा सपोर्ट। चलो मिलके मदद करें, ठीक है?

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    sakshi singh

    अगस्त 14, 2024 AT 04:22

    कठुआ के इस अपूरणीय शोक ने पूरे देश के दिलों में गहरी चोट खींची है।
    पाँच जवानों की शहादत को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है, परंतु उनका साहस हमें प्रेरित करता है।
    इस दर्दनाक घटना ने हमें यह याद दिलाया कि सुरक्षा केवल कुशल नीतियों से ही नहीं, बल्कि जनसमर्थन से भी निर्मित होती है।
    शहीदों के परिवारों की पीड़ा को समझते हुए हमें उनके साथ अनिवार्य रूप से खड़ा होना चाहिए।
    सरकार की प्रतिज्ञा केवल कागजी शब्द नहीं, बल्कि ठोस कार्यों में परिलक्षित होनी चाहिए।
    इस दिशा में सेना के तेज़ कदम सराहनीय हैं, परंतु निरंतर सप्लाई और संसाधन सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है।
    हम सभी को मिलकर आतंकवाद के वित्तीय प्रवाह को रोकने के लिए कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने चाहिए।
    सीमा सुरक्षा में तकनीकी उन्नयन, जैसे ड्रोन निगरानी और एआई-आधारित विश्लेषण, आवश्यक है।
    मीडिया को इस संवेदनशील मुद्दे पर संतुलित रिपोर्टिंग करनी चाहिए, जिससे जनता में जागरूकता बढ़े।
    सामाजिक मंचों पर अतिरंजित आक्रोश से बचते हुए रचनात्मक संवाद को बढ़ावा देना चाहिए।
    अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करके हम कूटनीतिक दबाव बना सकते हैं, जो आतंकवादियों को रोकने में सहायक होगा।
    स्थानीय समुदायों को भी सुरक्षा प्रक्रियाओं में सम्मिलित करना चाहिए, क्योंकि वही जमीन पर सबसे करीब होते हैं।
    इस तरह की त्रासदी को दोबारा न दोहराने के लिए सतत निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली अनिवार्य है।
    हमें इस शोक को एकजुटता के श्रोत में बदलना चाहिए, जिससे भविष्य की पीढ़ी को सुरक्षित रख सकें।
    अंत में, सभी शहीदों को शत शत नमन, और उनके परिवारों को हमारा अटल समर्थन।

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