जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार, 19 नवंबर 2025 को दोपहर 1 बजे एक ही बटन दबाकर 21वां PM-KISAN भुगतान जारी किया, तो यह सिर्फ एक डिजिटल ट्रांसफर नहीं था — यह भारत के 9 करोड़ किसान परिवारों के लिए जीवन बचाने वाली राशि थी। इस भुगतान का कुल योग 18,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जो इस योजना के 21वें चरण में जारी किए गए हैं। यह अनुदान दक्षिण भारत के प्राकृतिक कृषि सम्मेलन 2025 के उद्घाटन के तुरंत बाद, कोयम्बटूर, तमिलनाडु में किया गया।
PM-KISAN का इतिहास और विस्तार
यह योजना, जिसकी घोषणा 2019 के अंतरिम बजट में तब के वित्त मंत्री पियूष गोयल ने की थी, 24 फरवरी 2019 को लागू हुई। शुरुआत में यह योजना केवल छोटे और सीमांत किसानों के लिए थी, लेकिन धीरे-धीरे इसकी दायरा बढ़ा दी गई। आज, यह भारत के लगभग 11 करोड़ किसान परिवारों को समावेशित करती है। प्रत्येक योग्य परिवार को वार्षिक 6,000 रुपये, तीन किस्तों में — अप्रैल-जुलाई, अगस्त-नवंबर और दिसंबर-मार्च — जारी किए जाते हैं। अब तक, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, इस योजना से 3.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की जा चुकी है।
कैसे पता करें कि आपको पैसा मिला या नहीं?
भुगतान की स्थिति जांचने के लिए किसानों को बस pmkisan.gov.in पर जाना है। वहां वे अपना 12-अंकीय आधार नंबर, बैंक खाता नंबर या पंजीकृत मोबाइल नंबर डाल सकते हैं। इस बार, योजना के लिए तकनीकी अपग्रेड ने नए स्तर की आसानी लाई है। PM-KISAN मोबाइल ऐप अब किसानों को अपने ई-केवाईसी स्टेटस, भुगतान इतिहास और अपडेट करने की सुविधा देता है। और यहां तक कि एक AI-चैटबॉट, 'किसान-ईमित्र', भी लॉन्च किया गया है — जो किसानों के सवालों का 24x7 जवाब देता है, भाषा के आधार पर हिंदी, तमिल, तेलुगु और अन्य भाषाओं में।
कौन नहीं मिलता है भुगतान?
यह योजना सबके लिए नहीं है। कुछ शर्तें हैं जिन्हें नहीं मानते तो भुगतान नहीं मिलता। उदाहरण के लिए, अगर किसी ने 1 फरवरी 2019 के बाद जमीन खरीदी है, तो वह योग्य नहीं है। वैसे ही, अगर एक परिवार में दो वयस्क सदस्य (जैसे पति-पत्नी) अलग-अलग खातों में भुगतान प्राप्त कर रहे हैं, तो एक को रोक दिया जाता है। इन नियमों का उद्देश्य निष्पक्षता और लीकेज को रोकना है।
किसानों के जीवन में कैसे बदलाव आया?
केवल आंकड़े नहीं, जीवन की कहानियां भी बताती हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस राशि का उपयोग अक्सर खेती के लिए बीज, उर्वरक और कीटनाशक खरीदने में होता है। लेकिन अधिकतर किसान इसे अपने बच्चों के शिक्षा खर्च, परिवार के स्वास्थ्य खर्च या बहू की शादी के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। उत्तर प्रदेश के एक किसान ने बताया — "हमारी बेटी की पढ़ाई का फीस इसी पैसे से चुकाया। बिना इस योजना के, हम उसे अकेले छोड़ देते।"
अगला कदम क्या है?
अगला भुगतान दिसंबर-मार्च की अवधि में आने की उम्मीद है — जो आमतौर पर फरवरी के अंत या मार्च की शुरुआत में होता है। अब तक, सभी 21 भुगतान समय पर हुए हैं, जिससे किसानों को आर्थिक योजना बनाने में मदद मिल रही है। इसके अलावा, आधिकारिक डेटा के अनुसार, इस योजना के कारण बैंक खातों में किसानों की संख्या में 2019 के बाद 42% की बढ़ोतरी हुई है, जो वित्तीय समावेशन का एक बड़ा कदम है।
क्या यह योजना अन्य देशों के लिए मॉडल बन सकती है?
हां। विश्व बैंक और FAO ने इस योजना को "सीधे लाभ हस्तांतरण" के लिए एक वैश्विक उदाहरण बताया है। बांग्लादेश और इंडोनेशिया ने इसके आधार पर अपनी योजनाएं बनाई हैं। यह योजना इतनी सफल है क्योंकि यह बीच में किसी बीचवाले को शामिल नहीं करती — पैसा किसान के खाते में सीधे जाता है। यह भ्रष्टाचार को रोकता है, और बेहतर आय का वितरण करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
PM-KISAN योजना के तहत किसान को कितनी राशि मिलती है?
प्रत्येक योग्य किसान परिवार को वार्षिक 6,000 रुपये मिलते हैं, जो तीन किस्तों में दिए जाते हैं — प्रत्येक किस्त 2,000 रुपये। यह राशि बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है, और इसे किसान अपनी खेती, शिक्षा या स्वास्थ्य खर्च के लिए उपयोग कर सकते हैं।
क्या मैं अपने बैंक खाते में पैसा नहीं पाया, तो क्या करूं?
पहले pmkisan.gov.in पर जाकर अपना आधार या बैंक खाता नंबर डालकर भुगतान स्थिति चेक करें। अगर भुगतान नहीं हुआ है, तो 'किसान-ईमित्र' AI चैटबॉट के माध्यम से शिकायत दर्ज करें। आमतौर पर 48 घंटे में जांच हो जाती है और त्रुटि सुधार दी जाती है।
क्या जमीन खरीदने वाले किसान भी इस योजना के लाभार्थी हो सकते हैं?
नहीं। अगर किसी ने 1 फरवरी 2019 के बाद जमीन खरीदी है, तो वह योग्य नहीं है। इस नियम का उद्देश्य उन लोगों को बाहर रखना है जिन्होंने योजना शुरू होने के बाद जमीन खरीदी है, ताकि सीमांत और छोटे किसानों को प्राथमिकता मिले।
PM-KISAN योजना के लिए आधार और बैंक खाता लिंक क्यों जरूरी है?
आधार और बैंक खाते का लिंक डिजिटल पहचान और सीधे भुगतान के लिए आवश्यक है। यह बीच में किसी बीचवाले को शामिल नहीं होने देता और भ्रष्टाचार को रोकता है। इसके बिना, ई-केवाईसी पूरा नहीं होता और भुगतान नहीं होता।
21वां भुगतान किस तारीख को जारी किया गया और कितने किसानों को लाभ मिला?
21वां भुगतान 19 नवंबर 2025 को दोपहर 1 बजे जारी किया गया, जिसमें 9 करोड़ किसान परिवारों को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली। यह अब तक की सबसे बड़ी भुगतान लहरों में से एक है, जिसमें तकनीकी सुधारों के कारण कम त्रुटियां और तेजी से भुगतान हुआ।

Damini Nichinnamettlu
नवंबर 21, 2025 AT 17:23ये योजना सिर्फ पैसा देने की नहीं, बल्कि किसान को उसकी इज्जत वापस दे रही है। हर 2000 रुपये में एक दादा की चिंता, एक माँ की उम्मीद, एक बेटी का सपना छिपा है। ये ट्रांसफर कोई बैंक लेनदेन नहीं, भारत की धरती का दिल धड़क रहा है।
Vinod Pillai
नवंबर 22, 2025 AT 14:56ये सब बकवास है। जमीन खरीदने वालों को बाहर करना बिल्कुल सही है, लेकिन ये लोग आधार-बैंक लिंकिंग को बहुत ज्यादा फजीता बना रहे हैं। जब तक ये डिजिटल अकाउंटिंग सही से नहीं होगी, तब तक ये सब नाटक है। और हां, अगर कोई दो बैंक अकाउंट चला रहा है तो उसे रोकना जरूरी है।
Avantika Dandapani
नवंबर 22, 2025 AT 17:09मैंने एक दोस्त की बात सुनी जिसने कहा कि उसकी बहू की शादी का खर्च इसी पैसे से चुकाया। आंखें भर आ गईं। ये पैसा किसान के घर में आता है, न कि किसी बीचवाले के जेब में। ये योजना बस एक ट्रांसफर नहीं, एक इंसानियत का बयान है।
Ayushi Dongre
नवंबर 24, 2025 AT 08:58इस योजना का सार्थकता केवल आर्थिक वितरण में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नीति के भीतर एक नए नैतिक ढांचे के निर्माण में है। जब राज्य सीधे नागरिक के खाते में भुगतान करता है, तो यह एक नए राज्य-नागरिक संबंध का संकेत है। यह बीचवालों के शोषण के खिलाफ एक शांत, लेकिन अटूट क्रांति है।
rakesh meena
नवंबर 26, 2025 AT 04:3721वां भुगतान। समय पर। बिना झंझट। किसानों को जीवन दिया। यही है सच्ची नेतृत्व।
naresh g
नवंबर 26, 2025 AT 12:35लेकिन... क्या आपने देखा कि इस भुगतान के बाद भी कितने किसान अभी भी बैंक खाते में नहीं आए? और अगर वो आधार लिंक नहीं है तो? और अगर उनका मोबाइल नंबर गलत है? और अगर वो गांव में हैं जहां इंटरनेट नहीं है? और अगर AI चैटबॉट हिंदी में भी गलत जवाब दे रहा है? और अगर...?
Brajesh Yadav
नवंबर 27, 2025 AT 18:51ये सब बहुत बढ़िया है... लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसानों को ये पैसा मिलने से पहले उनके बच्चे भूखे सो गए थे? ये योजना बहुत देर से आई! और अभी तक कितने लोगों को ये पैसा नहीं मिला? ये तो बस चुनावी दिखावा है! 🤬
Govind Gupta
नवंबर 27, 2025 AT 21:35ये योजना जैसे एक पुराने नाश्ते को नए बर्तन में परोस रही है - जो बार-बार खाया जाता है, लेकिन अब उसकी खुशबू और गर्माहट बदल गई है। ये नहीं कि पैसा ज्यादा है, बल्कि ये है कि वो अब बिना किसी बीचवाले के सीधे आ रहा है। जैसे बारिश का पानी बिना नहाने के खेत में उतर रहा हो।
tushar singh
नवंबर 28, 2025 AT 04:52बहुत अच्छा बताया! ये योजना बस पैसा नहीं, आशा देती है। जब एक किसान अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए ये पैसा इस्तेमाल करता है, तो वो एक नई पीढ़ी का निर्माण कर रहा है। इस तरह के कदम देश को बदलते हैं।
amrin shaikh
नवंबर 29, 2025 AT 15:57इस योजना को तुलना करने के लिए तुम्हें विश्व बैंक के डेटा को बुनियादी तौर पर समझना होगा - जो तुम नहीं करते। ये सिर्फ एक राष्ट्रीय योजना नहीं, ये एक नियंत्रित सामाजिक उत्पादन नियोजन का उदाहरण है। और तुम इसे 'अच्छा' कह रहे हो? बेवकूफों की तरह।
jai utkarsh
नवंबर 30, 2025 AT 07:58ये सब बहुत सुंदर लगता है... लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये योजना वास्तव में कितने लोगों को लाभ पहुंचा रही है? ये आंकड़े बहुत अच्छे हैं, लेकिन वास्तविकता में, जब तक किसान अपने खेत में बैठे हुए नहीं हैं, तब तक ये सब बस एक डिजिटल नाटक है। और ये AI चैटबॉट? ये तो बस एक और टेक्नोक्रेटिक फुर्ती है - जो गरीब किसान के लिए एक भाषा की बजाय एक बाधा बन गई है। आप ये सब दिखाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी एक किसान के घर में जाकर उसकी बेटी की किताबें देखी हैं? नहीं, नहीं... आप तो बस बैंक ट्रांसफर के आंकड़े देखते हैं।