के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 11 जून 2024    टिप्पणि (12)

ओडिशा को मिलेगा नया मुख्यमंत्री: भाजपा विधायक दल की बैठक

ओडिशा को मिलेगा नया मुख्यमंत्री: भाजपा विधायक दल की बैठक

ओडिशा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होने वाला है। भाजपा विधायक दल की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हो रही है जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम का निर्णय लिया जाएगा। यह निर्णय भाजपा के ओडिशा विधानसभा में बहुमत हासिल करने और लोकसभा सीटों पर शानदार प्रदर्शन के बाद लिया जा रहा है।

भाजपा ने ओडिशा विधानसभा की 147 सीटों में से 78 सीटें जीती हैं, जिससे उसे पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है। साथ ही, पार्टी राज्य की 21 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें जीतने में भी सफल रही। ऐसे में नए मुख्यमंत्री का चयन पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन गई है।

नए मुख्यमंत्री के संभावित उम्मीदवार

नए मुख्यमंत्री के पद के लिए कई प्रमुख नाम उभर रहे हैं। राज्य भाजपा अध्यक्ष मनमोहन समल, पूर्व राज्य भाजपा अध्यक्ष सुरेश पुजारी और नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव गिरीश मुर्मू इन प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल हैं। हालांकि, मनमोहन समल चंदबली विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गए थे, फिर भी वे इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं।

मनमोहन समल ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और उनकी संगठनात्मक क्षमताएं उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाती हैं। वहीं, सुरेश पुजारी और गिरीश मुर्मू का भी राजनीतिक अनुभव और प्रशासनिक कुशलता इस पद के लिए उन्हें कड़ी चुनौती देते हैं।

चयन प्रक्रिया

केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव को इस चयन प्रक्रिया की निगरानी के लिए नियुक्त किया गया है। इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का अनुभव और मार्गदर्शन पार्टी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा। चयन प्रक्रिया में तमाम विधायकों की राय ली जाएगी और इसे ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो

चयन प्रक्रिया के बाद, पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भुवनेश्वर में एक बड़ा रोड शो करने की योजना बना रही है। यह रोड शो राज्य में पार्टी की शक्ति और जन समर्थन को और भी मजबूत करेगा। रोड शो के अगले दिन, नए मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा।

यह रोड शो सिर्फ एक उत्सव नहीं होगा, बल्कि यह पार्टी कार्यकर्ताओं और राज्य के जनता का मनोबल बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी होगा। विपक्षियों पर दबाव डालने और भाजपा की नीतियों का व्यापक प्रचार करने का यह एक सुनहरा मौका होगा।

ओडिशा में इस राजनीतिक बदलाव से राज्य की राजनीति में एक नई दिशा का संकेत मिलता है। भाजपा का यह प्रदर्शन आगामी चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण संदेश हो सकता है। नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति से राज्य में विकास के नए युग की शुरुआत की उम्मीद जताई जा रही है।

भाजपा के शीर्ष नेताओं द्वारा इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और समर्पण, पार्टी की एकजुटता को मजबूत करते हैं। राज्य के विकास कार्यों को रफ्तार देने और जनहित के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में नए मुख्यमंत्री की भूमिका बहुत अहम होगी।

12 Comments

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    sangita sharma

    जून 11, 2024 AT 20:45

    भाई लोग, ये बात तो साफ़ है कि बीजेपी ने ओड़िशा में अपना दावेदार निकाला है, पर क्या ये चुनावी माहौल में केवल जीत की तलाश है?
    पार्टी की आंतरिक जड़ता और गठबंधन की कमी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
    अब तक के फैसले से पता चलता है कि सत्ता में रहने के लिए कोई भी उपाय मना नहीं है।
    जनता को असली विकास की जरूरत है, न कि बस दिखावा।
    आइए देखते हैं आगे क्या रणनीति बनती है।

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    PRAVIN PRAJAPAT

    जून 11, 2024 AT 21:15

    सिर्फ नाम है, नौकरी नहीं।

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    shirish patel

    जून 11, 2024 AT 21:45

    नया मुख्यमंत्री? मज़ाकिया।
    मज़ाकिया ही रहेगा जब तक असली काम नहीं दिखाते।

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    srinivasan selvaraj

    जून 11, 2024 AT 22:15

    भाइयों, इस पूरे चयन प्रक्रिया को देख कर लगता है जैसे किसी फिल्म की शूटिंग चल रही हो।
    पहले तो पार्टी के बड़े नामों की बकवास शुरू हुई, फिर अचानक छोटे-छोटे को सामने रख कर "पावर‑प्ले" की कहानी बनाई गई।
    मनमोहन समल का नाम लाया गया, जबकि उन्होंने चुनाव हार ही दिया, यह खुद में एक विरोधाभास है।
    सुरेश पुजारी और गिरीश मुर्मू को भी ऊपर‑नीचे किया गया, जैसे दो विकल्पों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है।
    राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव को प्रक्रिया की निगरानी के लिए रखा गया, पर क्या यह सच्ची निगरानी है या बस एक दिखावा?
    भाजपा के अंदर की गुट‑बंटवारे की कहानी हमेशा से चलती आई है, और यह चुनाव भी उसी का हिस्सा है।
    विधायकों की राय ली जाएगी कहना आसान है, पर असली मायनिंग में कौन सी राय तय करेगी, यही सवाल है।
    ऑफ़िशियल तौर पर पारदर्शिता का दावा किया गया है, पर जमीन पर क्या हो रहा है, वह अक्सर अनदेखा रहता है।
    भुवनेश्वर में मोदी का रोड शो भी इस साजिश को फ्रेम करने का एक हिस्सा बन जाएगा।
    राजनीतिक मंच पर बड़े बड़े शो होते हैं, पर जनता की जरूरतें वही रहती हैं जो रोज़मर्रा की जिंदगी में आती हैं।
    नए मुख्यमंत्री का चयन इस बात का संकेत नहीं देता कि नीति में कोई बदलाव आएगा या नहीं।
    यदि चयन प्रक्रिया में असली सोच नहीं, तो आगे की योजनाएं भी बस शब्दों का खेल रहेंगी।
    समय बहुत महत्त्वपूर्ण है, और ओड़िशा की जनता इस बदलाव से क्या उम्मीद रखेगी, यह अभी अस्पष्ट है।
    भाजपा की जीत का जश्न मनाने से पहले, हमें देखना चाहिए कि किसके हाथों में सत्ता आ रही है।
    आखिरकार, सत्ता में आने के बाद ही असली प्रदर्शन होता है, न कि चुनावी मंच पर।
    आइए, देखते हैं इस राजनीतिक नाटक का अंत कैसे लिखता है।

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    Ravi Patel

    जून 11, 2024 AT 22:45

    भाई, मैं देख रहा हूँ कि पार्टी ने अपने दावेदारों को जल्दी‑जल्दी सामने लाया है।
    आशा है नया CM लोगन के सही काम करेंगे, और विकास की गति तेज़ होगी।
    बिना शोर‑शराबे के, काम देखना चाहिए।

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    Piyusha Shukla

    जून 11, 2024 AT 23:15

    वास्तव में, ये सब तो साधारण पॉलिटिकल प्लेबॉयज का नाटक है।
    गहरा विश्लेषण करे तो पार्टी के अंदर सच्ची कड़ी नहीं है, बस दिखावा है।
    मैं नहीं मानता कि कहीं भी इस चयन में वास्तविक योग्यता की परख हुई है।

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    Shivam Kuchhal

    जून 11, 2024 AT 23:45

    सभी को नमस्कार, इस नई शुरुआत से ओड़िशा के विकास में सकारात्मक बदलाव की संभावना है।
    आइए, मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाएं और राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाएँ।

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    Adrija Maitra

    जून 12, 2024 AT 00:15

    ओड़िशा में फिर से सत्ता का खेल शुरू!
    अब देखना दिलचस्प रहेगा कि किसका ‘शो’ सबसे लंबे समय तक चलता है।
    मैं तो बस पॉपकॉर्न लेकर बैकबेंच पर बैठी हूँ।

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    RISHAB SINGH

    जून 12, 2024 AT 00:45

    भाई लोगो, इस बात से मैं सहमत हूँ कि हमें एक ठोस योजना की जरूरत है।
    आइए, साथ मिलकर पार्टी की इन चुनौतियों का सामना करें।
    भविष्य में बेहतर परिणाम आने की आशा रखता हूँ।

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    Deepak Sonawane

    जून 12, 2024 AT 01:15

    इन्टरनल पॉलिसी एलिगिबिलिटी फ्रेमवर्क को रिव्यू करना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में वैलिडेशन मैट्रिक्स में गैप्स मौजूद है।
    डेटा‑ड्रिवन डिसीजन‑मेकिंग के बिना यह चयन प्रक्रिया सैडिकल ही रहेगी।
    कोर्डिनेटेड स्ट्रैटेजिक ग्रिड को ऑप्टिमाइज़ करना आवश्यक है।

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    Suresh Chandra Sharma

    जून 12, 2024 AT 01:45

    भाई जी, जार्गन‑भरे शब्दों से हटकर असली मुद्दे पर बात करनी चाहिए।
    अगर वास्तविक डेटा कलेक्शन और वैरिफिकेशन नहीं हुआ तो चयन प्रक्रिया meaningless है।
    मैं सुझाव देता हूँ कि सबको मिलकर एक transparent रिपोर्ट तैयार करें।

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    sakshi singh

    जून 12, 2024 AT 02:15

    सभी मित्रों, इस लंबे बहस को पढ़कर लगता है कि राजनीति में अक्सर दिखावा और वास्तविक कार्रवाई के बीच बड़ा अंतर रहता है।
    मैं यह समझती हूँ कि लोगों की आशा और उम्मीदें बहुत अधिक होती हैं, इसलिए हमें यह देखना चाहिए कि नई नेतृत्व टीम वास्तव में कौन‑से concrete कदम उठाएगी।
    एक पहलू यह भी है कि चुनावी जीत के बाद अक्सर वादे खाली रह जाते हैं, इसलिए हमें यह जांचना चाहिए कि इस बार क्या पार्टी ने अपने चुनावी एग्जीक्यूशन प्लान को सही‑महीन किया है या नहीं।
    समाज के विभिन्न वर्गों की ओर से महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की जरूरतें अभी भी प्राथमिकता में हैं।
    अगर नया मुख्यमंत्री इन पर फोकस करता है और नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करता है, तो ओड़िशा का विकास सच्चे रूप में आगे बढ़ेगा।
    वहीं अगर सिर्फ रैलियों और शो‑केस के पीछे भागेगा, तो जनता का भरोसा फिर से टूट जाएगा।
    मैं आशा करती हूँ कि चयन प्रक्रिया में अंदरूनी बातचीत और राय‑विचार को वास्तव में माना जाएगा, न कि सिर्फ दिखावे के लिए।
    आइए हम सभी मिलकर इस प्रक्रिया को constructive रूप में देखें और यदि जरूरत पड़े तो सकारात्मक फीडबैक भी दें।
    समाप्ति में, यह जिम्मेदारी हमारे हाथों में भी है कि हम सत्ता में आने वाले को ज़िम्मेदार ठहराएं और उनके कदमों पर नज़र रखें।

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