के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 22 मार्च 2025    टिप्पणि (7)

झारखंड हाई कोर्ट: नकली इंटरव्यू लेटर के साथ पकड़े गए पांच उम्मीदवार; वकील पर शक

झारखंड हाई कोर्ट में फर्जीवाड़ा: नकली इंटरव्यू लेटर और गिरफ्तारियां

झारखंड हाई कोर्ट में चपरासी की नौकरी के लिए पांच उम्मीदवारों द्वारा नकली इंटरव्यू लेटर पेश करने का मामला सामने आया है। यह वाकया 12 मार्च, 2025 को हुआ, जब इन उम्मीदवारों ने कोर्ट में अपनी हाजिरी दी। इन फर्जी दस्तावेजों में कोर्ट के एक अधिकारी के नकली हस्ताक्षर थे और इन्हें स्पीड पोस्ट से सील बंद लिफाफों में उम्मीदवारों के पते पर भेजा गया था। जांच करने पर, अधिकारियों ने हस्ताक्षर और लैटरहेड में गड़बड़ी पाई।

इसके बाद, हाई कोर्ट के सहायक रजिस्ट्रार और कोर्ट अफसर मुकुंद पंडित ने विधानसभा पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस पूछताछ के दौरान यह पता चला कि एक वकील ने इन फर्जी लेटर्स को बनाने और भेजने की व्यवस्था की थी। उस वकील का निर्देश था कि उम्मीदवार नौकरी पक्की होने के बाद लौटें।

वकील की तलाश और जांच जारी

वकील की तलाश और जांच जारी

जब पुलिस वकील के निवास स्थान पर गई, तो वह अनुपलब्ध था और जांच जारी है। पुलिस ने सभी पांच उम्मीदवारों को पीआर बॉन्ड पर रिहा कर दिया है, पर आगे की पूछताछ के लिए उन्हें बुलाया जा सकता है।

पकड़े गए उम्मीदवारों में अभय कुमार (पलामू), अजय कुमार महतो (रांची के हटिया), लाल निरंजन नाथ साहदेव (रांची के टुपुदाना), राजीव सिंह (साहिबगंज) और सचिन कुमार (देवघर) शामिल हैं। पुलिस इस वकील की कथित भागीदारी और इस फर्जीवाड़े के संभावित नेटवर्क को उजागर करने में जुटी है। अधिकारियों का मानना है कि इस घोटाले के पीछे और भी लोग हो सकते हैं, जिन्हें अभी पकड़ना बाकी है।

7 Comments

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    suraj jadhao

    मार्च 22, 2025 AT 19:13

    वाह! इतनी बेईमानी और फिर भी पकड़े नहीं गए तो क्या! 😅

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    Sunil Kunders

    मार्च 22, 2025 AT 20:36

    नकली इंटरव्यू लेटर का मामला वाकई में कानूनी जाँच का विषय है। यह दिखाता है कि किस स्तर तक भर्ती प्रक्रिया में दुरुपयोग हो सकता है। हालांकि, इस तरह की हेरफेर को रोकने के लिए पारदर्शी दस्तावेज़ीकरण आवश्यक है। हमें यह भी देखना चाहिए कि न्यायालय के कर्मचारियों की निगरानी किस तरह से मजबूत की जा सकती है। अंत में, यह केस एक चेतावनी है कि भ्रष्टाचार को आँकड़ों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से रोकना चाहिए।

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    Agni Gendhing

    मार्च 22, 2025 AT 22:00

    क्या बात है, एक वकील तक फँस गया इस फर्जी खेल में!!! 🤔 क्या ये सिर्फ आर्थिक लोभ है या फिर कोई गहरी साजिश चल रही है???
    नकली लेटर बनाते‑बनाते तो लोग सोचते हैं कि ये बस एक छोटी‑सी मुस्किल है, पर असली सच तो यही है कि ये पूरे न्यायिक ढाँचे को कमजोर कर देता है...
    हाई कोर्ट के नाम पर ए़से काम करने वाले लोग खुद को बहुत समझते हैं, पर असल में तो वे ही अपने ही जाल में फँस रहे होते हैं।
    साथ ही, ये वकील कौन है, कहाँ छुपा है, इस पर सवाल उठता है-क्या वो सत्ता के किसी कोने में है या फिर अंडरवर्ल्ड के किसी गुप्त नेटवर्क का हिस्सा?!!!
    पुलिस को भी क्यों नहीं लग रहा कि यह एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है, जिसमें कई लोग शामिल हों?!!
    राजनीतिक असर, आर्थिक फायदा, या तो बस व्यक्तिगत लोभ-इनमें से कौन‑सी वजह सबसे अधिक संभावित है???
    अभी तक तो वकील गायब है, पर क्या उसका काम खुद ही खुद को बचा लेगा?!!!
    मैं तो कहूँगा कि इस तरह की फर्जीवाड़े को रोकने के लिये सख्त सजा ही एकमात्र उपाय है, वरना लोग फिर से ऐसे ही ट्रिक निकालेंगे...
    समय आ गया है कि जनता को जागरूक किया जाए, ताकि ऐसे घोटालों को आगे बढ़ने न दिया जाए।
    इस मामले में अगर एक भी हल्के‑फुल्के समझौते की भावना है तो न्याय प्रणाली की बुनियाद ही ध्वस्त हो जाएगी!!!
    आगे की जाँच में अगर यह पता चलता है कि अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे फर्जी लेटर का प्रचलन है, तो पूरे सिस्टम को री‑सेट करने की जरूरत पड़ेगी।
    अब देखना यह है कि कोर्ट और पुलिस इस मोड़ पर कैसे कदम उठाते हैं, क्योंकि अगर नहीं तो यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि भविष्य में कई ऐसे मामलों का पहला नमूना बन सकता है।
    छोड़ो, इस घोटाले को केवल एक स्थानीय साजिश मत समझो, इसे एक राष्ट्रीय समस्या के रूप में देखो!!!
    आखिर में, न्याय सिर्फ कागज़ पर नहीं, बल्कि हर नागरिक की आँखों में होना चाहिए।

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    Jay Baksh

    मार्च 22, 2025 AT 23:23

    देश की सच्ची सेवा तो यही है कि ऐसे फर्जी दस्तावेज़ों को कड़ाई से पकड़ाया जाए। सिवाय इसके, कोई भी इस तरह के काम में हाथ नहीं डालना चाहिए।

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    Ramesh Kumar V G

    मार्च 23, 2025 AT 00:46

    वकील के अभाव में भी, इस केस की जाँच की दिशा स्पष्ट है: दस्तावेज़ों की मौलिकता, हस्ताक्षर की तुलना, और लेटरहेड की पूरी फोरेंसिक जांच आवश्यक है।
    यह प्रक्रिया न केवल त्रुटियों को उजागर करेगी, बल्कि संभावित नेटवर्क के अन्य सदस्य भी बाहर आ सकते हैं।

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    Gowthaman Ramasamy

    मार्च 23, 2025 AT 02:10

    सभी पाठकों को सूचित करना चाहता हूँ कि ऐसे मामलों में कानूनी सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। यदि आप इसी तरह की नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो आधिकारिक स्रोतों से ही दस्तावेज़ प्राप्त करें। 👩‍⚖️📝

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    Navendu Sinha

    मार्च 23, 2025 AT 03:33

    इसे एक सामाजिक विमर्श के रूप में देखें: जब हम सबसे छोटे प्रशासनिक पदों में भी फर्जी दस्तावेज़ों को देखें, तो यह संकेत देता है कि सिस्टम की निचली परतों में भी नैतिक क्षय चल रहा है।
    यदि ऐसी छोटी‑छोटी हीड़ियां खामियों को नज़रअंदाज़ करती रहें, तो वे बड़े‑बड़े भ्रष्टाचार के बीज बनते हैं।
    इसलिए, हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझे और ऐसी अनैतिकताएँ सामने लाने में साहस दिखाए।
    न्याय के मूल सिद्धांतों को जीवंत रखने के लिए हमें इस तरह के मामलों को केवल समाचार नहीं, बल्कि चेतावनी के रूप में लेना चाहिए।
    आगे चलकर, अगर हम इन संकेतों को अनदेखा करेंगे, तो न्याय का दर्पण धुंधला पड़ जाएगा।

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