के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 4 जून 2024 टिप्पणि (0)
हैदराबाद में एआईएमआईएम और बीजेपी का टकराव
तेलंगाना के 2024 के आम चुनावों में हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। यहां ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार माधवी लता के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। यह चुनाव न सिर्फ इन दोनों पार्टियों के लिए बल्कि हैदराबाद की राजनीति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।
ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पिछले कई वर्षों से हैदराबाद की राजनीतिक धरातल पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है। ओवैसी अपनी प्रखर वक्तृत्व कला और जमीनी पैंठ के लिए जाने जाते हैं। उनके समर्थक उन्हें एक कट्टर और बेबाक नेता मानते हैं जो अपने समुदाय के हितों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
लेकिन इस बार तस्वीर थोड़ी बदलती नजर आ रही है। बीजेपी ने भी इस चुनाव में अपना दमखम दिखाने की ठान ली है। उनकी उम्मीदवार माधवी लता ने हैदराबाद के कई हिस्सों में जनता के बीच अपनी पहचान बना ली है। बीजेपी की यह कोशिश है कि वो ओवैसी की पारंपरिक सीट को अपने खेमे में कर सकें।
बीजेपी की आक्रामक प्रचार रणनीति और उनके पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत ने अब यह चुनाव बेहद रोचक बना दिया है। महत्वाकांक्षी योजनाओं और विकास के वादों के साथ माधवी लता ने चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
जमीन पर बीजेपी का अभियान
बीजेपी ने इस बार अपनी चुनावी रणनीति में बहुत बड़ा बदलाव किया है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर स्थानीय मुद्दों तक, बीजेपी ने हर स्तर पर जनता को जोड़ने का प्रयास किया है। प्रत्याशी माधवी लता ने हर गली-मोहल्ले का दौरा किया, और जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझा। उनकी यह रणनीति काफी हद तक कारगर होती दिख रही है।
दूसरी ओर, एआईएमआईएम ने भी अपनी पुरानी रणनीतियों को परिष्कृत किया है। ओवैसी की पार्टी ने भी प्रचार के नए तरीके अपनाए हैं, जैसे सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का सक्रिय योगदान। उन्होंने जनसभाओं और रैलियों के माध्यम से अपने समर्थकों को उत्साहित किया है।
चुनाव में सुरक्षा और पारदर्शिता
चुनाव आयोग ने इस बार की चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती से लेकर मतदान के हर चरण की निगरानी तक, आयोग ने सुनिश्चित किया है कि कोई भी अस्थिरता पैदा न हो। मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का सही उपयोग और मतदाताओं की पहचान की कड़ाई से जांच की जा रही है।
ऐसे में, चुनाव आयोग की सक्रियता ने जनता के बीच विश्वास पैदा किया है कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी होंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के चुनाव नतीजे हैदराबाद की राजनीतिक भविष्य का निर्धारण कर सकते हैं। ओवैसी की राजनीतिक विरासत पर जहां चुनौती खड़ी होती दिख रही है, वहीं बीजेपी का इस तरह की सक्रियता से चुनाव में उतरना उनके इरादों को साफ करता है।
महत्वपूर्ण यह भी है कि मतदाताओं का अंतिम फैसला किसके पक्ष में जाएगा। जनता के मुद्दों को सबसे अधिक गंभीरता से कौन लेता है, यह भी इस चुनाव का एक निर्णायक पहलू हो सकता है।
सभी की निगाहें अब 2024 के चुनावी नतीजों पर टिकी हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एआईएमआईएम अपनी परंपरागत सीट बचा पाएगी या बीजेपी इस बार कोई बड़ा उलटफेर करेगी।