के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 3 जून 2024 टिप्पणि (18)

अरविंद केजरीवाल का आत्मसमर्पण और अंतिम दिन के दौरे
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए दी गई 21-दिन की अंतरिम जमानत समाप्त हो गई थी। आत्मसमर्पण करने से पहले, केजरीवाल ने दिल्ली के कई महत्त्वपूर्ण स्थलों का दौरा किया। उन्होंने महात्मा गांधी के स्मारक राजघाट का दौरा किया और वहां पर ध्यान और प्रार्थना की।
राजघाट और हनुमान मंदिर की यात्रा
राजघाट की यात्रा के बाद, केजरीवाल ने कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर का दौरा किया। उसके बाद, उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने के लिए परेशान किया जा रहा है।

पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधन
आप मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, केजरीवाल ने अपनी अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया। उन्होंने आगामी चुनावों में पार्टी की जीत के प्रति आशावादी दृष्टिकोण व्यक्त किया और यह भी कहा कि वह खुद को सच्चाई और न्याय की लड़ाई में अकेला नहीं मानते।
एग्जिट पोल्स पर सवाल
केजरीवाल ने एग्जिट पोल्स की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए, जिन्होंने एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की है। उन्होंने कहा कि यह पोल्स वास्तविकता का सही चित्रण नहीं करते और इन्हें मनमाने ढंग से प्रस्तुत किया गया है। केजरीवाल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी चुनाव प्रचार में पुरजोर मेहनत कर रही है और जनता को सच्चाई से अवगत करा रही है।

अंतरिम जमानत की याचिका और आगे की रणनीति
अरविंद केजरीवाल को कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था। उनकी अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई 5 जून को सीबीआई-ईडी अदालत में होगी। इस बीच, आप के प्रमुख नेताओं, जिनमें कैबिनेट मंत्री आतिशी, राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा और संजय सिंह, और विधायक दुर्गेश पाठक शामिल हैं, ने केजरीवाल के निवास पर आप की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में भाग लिया।
संगठन में एकता की अपील
बैठक के दौरान नेताओं ने एकता बनाए रखने और पार्टी की रणनीति पर जोर दिया। यह निर्णय लिया गया कि केजरीवाल की पत्नी सुनीता, उनके संदेशों को पार्टी नेताओं और दिल्ली की जनता तक पहुंचाएंगी। पार्टी ने यह भी कहा कि वे केजरीवाल की अनुपस्थिति में भी उनके विचारों और आदर्शों को आगे बढ़ाएंगे और चुनावी मैदान में मजबूती से लड़ाई लड़ेंगे।
तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करना किसी भी राजनीतिक नेता के लिए एक कठिन कदम होता है, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इसे अपने सिद्धांतों और विचारधारा के प्रति स्थिरता के रूप में देखा। उनका मानना है कि उन्होंने जनता की सेवा में सच्चाई और न्याय के लिए लड़ाई लड़ी है और वे अपने समर्थकों के साथ इस संघर्ष को जारी रखेंगे।
sakshi singh
जून 3, 2024 AT 00:27दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के आत्मसमर्पण को देख कर कई लोग भावुक हो उठे।
उनका राजघाट में पूजा‑प्रार्थना का कदम दर्शाता है कि वह व्यक्तिगत आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं।
यह यात्रा उनके मूल्यों और जनता के साथ जुड़ाव का प्रतीक है।
केंद्रीय सरकार और स्थानीय प्रशासन के बीच की कड़ियों को इस कार्रवाई ने पुनः परिभाषित किया।
कई नागरिकों ने कहा कि यह कदम साहस का परिचय है, जबकि कुछ ने इसे राजनैतिक चाल के रूप में देखे।
वास्तव में, अभियोक्ताओं की जांच प्रक्रिया अभी भी न्यायालय में जारी है और सार्वजनिक राय विभाजित है।
केजरीवाल की आत्मसमर्पण के बाद उनका कहना है कि यह उनके सिद्धांतों के साथ संगत है।
कई आप समर्थन कार्यकर्ता इस चरण को पार्टी के आगे के अभियान का आधार मानते हैं।
राजघाट में एकाग्रता और प्रार्थना से उन्हें मानसिक शांति मिली होगी, यह अनुमान लगाना आसान है।
जेल में प्रवेश करने से पहले उन्होंने हनुमान मंदिर का दौरा किया, जो धार्मिक विविधता का प्रतीक है।
वहां पर उन्होंने अपनी टीम के साथ रणनीति पर चर्चा की और भविष्य की योजना बनायी।
आगे के चरणों में वह आप कार्यालय में अपनी आवाज़ उठाने की तैयारी में हैं।
सुप्रीम कोर्ट की दी गई अंतरिम जमानत समाप्त होने पर इस कदम को जिम्मेदार माना जाना चाहिए।
जनता के बीच यह भावना भी पाई गई कि सीआरपी के खिलाफ हुए आरोपों की सच्चाई अभी तक स्पष्ट नहीं हुई।
इन सभी पहलुओं को देखते हुए, यह आत्मसमर्पण न केवल व्यक्तिगत बल्कि राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण है।
Hitesh Soni
जून 7, 2024 AT 21:46केजरीवाल द्वारा की गई इस यात्रा का कानूनी पहलु गंभीर रूप से विश्लेषण किया जाना चाहिए। इसका प्रभाव न्यायिक प्रक्रिया एवं सार्वजनिक विश्वास पर पड़ेगा।
rajeev singh
जून 12, 2024 AT 19:00राजघाट और हनुमान मंदिर दोनों का ऐतिहासिक महत्व है, और इन स्थानों पर यात्रा करना एक सांस्कृतिक संदेश देता है। यह कदम दिल्ली के विविध सामाजिक ताने‑बाने को दर्शाता है।
ANIKET PADVAL
जून 17, 2024 AT 16:13इस प्रकार के आत्मसमर्पण को राष्ट्रीयता के आघात के रूप में देखना आवश्यक है; यह न केवल एक व्यक्तिगत कार्य है बल्कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति चुनौती भी है।
Abhishek Saini
जून 22, 2024 AT 13:26yehm i think is vry implicatived but we will see how it goes
Parveen Chhawniwala
जून 27, 2024 AT 10:40केजरीवाल के इस कदम पर व्यक्तिगत राय बनाना कठिन है क्योंकि हर कोई अलग‑अलग परिप्रेक्ष्य से देखता है।
Saraswata Badmali
जुलाई 2, 2024 AT 07:53जैसा कि हम सब जानते हैं, राजनैतिक रणनीतियों के पीछे कभी‑कभी साधारण जनता के हित नहीं होते; यह आत्मसमर्पण भी एक जटिल कनेक्शन का भाग हो सकता है।
कभी‑कभी हम यह भूल जाते हैं कि राजनीतिक मंच पर प्रत्येक कदम का दायरा व्यापक होता है और इसमें मीडिया की भूमिका भी अहम होती है।
इसलिए, इस घटना को मात्र एक व्यक्तिगत निर्णय के रूप में नहीं देखना चाहिए।
यह भी संभव है कि यह कदम आगे के चुनावी रणनीति का हिस्सा हो, जिससे पार्टी का इमेज रीब्रांड किया जा सके।
वास्तव में, हम यह नहीं कह सकते कि यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है या दबाव का परिणाम।
ऐसे क्षणों में, जनता की राय दो हिस्सों में विभाजित हो जाती है-एक तरफा समर्थन और दूसरी तरफा विरोध।
हमारी सामाजिक परिप्रेक्ष्य में, यह घटनाएँ अक्सर आगे के सामाजिक‑राजनीतिक बदलावों की चेतावनी देती हैं।
समाज को इस पर गहन विचार करना चाहिए, न कि केवल सतही स्तर पर राय बनानी चाहिए।
sangita sharma
जुलाई 7, 2024 AT 05:06केजरीवाल का आत्मसमर्पण एक बड़ा संकेत हो सकता है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि इससे लोकतंत्र को क्या लाभ होगा।
PRAVIN PRAJAPAT
जुलाई 12, 2024 AT 02:20इसे एक सीधा कदम मानो। इससे कुछ नहीं बदलता
shirish patel
जुलाई 16, 2024 AT 23:33बिलकुल, यह तो जैसे एक ड्रामा का सीजन फिनाले जैसा लगता है।
हमें देखना पड़ेगा कि इस कहानी में अगला ट्विस्ट क्या होगा।
srinivasan selvaraj
जुलाई 21, 2024 AT 20:46वास्तव में, यह आत्मसमर्पण केवल एक प्रतीकात्मक कृत्य नहीं है, बल्कि एक जटिल राजनीतिक परिदृश्य का हिस्सा है जहां विभिन्न शक्तियों के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
केजरीवाल ने कई बार कहा है कि वह जनता के प्रति ज़िम्मेदार हैं, और यह कदम उस जिम्मेदारी को दर्शाता है।
हालाँकि, यह भी संभव है कि यह कदम उनके विरोधियों को चौंका देने और सार्वजनिक प्रभाव को बदलने के लिए सोचा गया हो।
इस प्रकार की राजनीतिक चालें आमतौर पर मीडिया के माध्यम से व्यापक चर्चा बनाती हैं, जिससे जनता की राय को दिशा मिलती है।
इसी बीच, न्यायपालिका की भूमिका और उसकी निष्पक्षता को भी इस संदर्भ में जांचना आवश्यक है।
समाज के विभिन्न वर्गों को इस घटना को समझने के लिए गहरी विश्लेषण की जरूरत है, ताकि वे सही निर्णय ले सकें।
आगे बढ़ते हुए, हमें देखना होगा कि इस आत्मसमर्पण के बाद के कदम क्या होंगे, और क्या यह वास्तव में एक नैतिक विजय है या सिर्फ़ एक कूटनीतिक चाल।
यह सब देखना दिलचस्प रहेगा कि राजनीति का यह नया अध्याय किस दिशा में मुड़ता है।
Ravi Patel
जुलाई 26, 2024 AT 18:00केजरीवाल का यह कदम कई लोगों को प्रेरित कर सकता है, खासकर उन युवाओं को जो न्याय के लिए आवाज़ उठाते हैं।
Piyusha Shukla
जुलाई 31, 2024 AT 15:13यह आत्मसमर्पण संसद में बहस को बदल देगा, और शायद चुनावी परिणामों पर भी असर पड़ेगा।
Shivam Kuchhal
अगस्त 5, 2024 AT 12:26केजरीवाल के इस कदम से आशा की किरण जगी है; हमें इस ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ना चाहिए।
Adrija Maitra
अगस्त 10, 2024 AT 09:40बड़े पैमाने पर देखे तो यह एक साहसिक कदम है, लेकिन इसके परिणाम अभी अनिश्चित हैं।
RISHAB SINGH
अगस्त 15, 2024 AT 06:53केजरीवाल की इस कार्रवाई को देखें तो यह उनके अनुयायियों में नई ऊर्जा भर सकता है।
Deepak Sonawane
अगस्त 20, 2024 AT 04:06सार्वजनिक नीति और न्यायिक प्रक्रियाओं के बीच इस प्रकार का टकराव अक्सर गहन विश्लेषण का पात्र होता है।
Suresh Chandra Sharma
अगस्त 25, 2024 AT 01:20इसे देखके लगता है सच्ची बतवई बिगड गई