के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay    पर 21 सित॰ 2024    टिप्पणि (0)

31 साल बाद भारतीय सिनेमा में लौट रही 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम'

कहानी का पुनरागमन

बहुचर्चित एनिमेटेड फिल्म 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' भारतीय सिनेमाघरों में 31 साल बाद वापसी करने जा रही है। यह फिल्म पहली बार 1992 में रिलीज हुई थी, लेकिन अपने जापानी निर्माण और हिंदू देवताओं की एनिमेटेड प्रस्तुतियों को लेकर उठे विवादों के कारण इसे जल्दी ही प्रतिबंधित कर दिया गया था।

1992 के बाबरी मस्जिद दंगों के बाद साम्प्रदायिक माहौल के चलते इस फिल्म को दर्शकों के सामने लाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। अब, 31 साल के लंबे अंतराल के बाद, यह फिल्म फिर से चार भाषाओं—हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, और तेलुगू में रिलीज हो रही है।

फिल्म की ऐतिहासिक यात्रा

फिल्म 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' को मूल रूप से 1992 में रिलीज किया गया था और इसे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में 1993 में प्रस्तुत किया गया, जहां इसे वैश्विक पहचान मिली। इस फिल्म के निर्माण में लेखन का कार्य विख्यात पटकथा लेखक वी. विजयेन्द्र प्रसाद ने किया था, जिन्हें 'बाहुबली', 'बजरंगी भाईजान' और 'आरआरआर' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।

फिल्म का निर्देशन कोइची ससाकी और राम मोहन ने किया था, और इसका संगीत वानराज भाटिया द्वारा रचित है। फिल्म की ग्रैफिक्स और एनीमेशन ने उस समय दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था और आज यह कहानी फिर से जीवंत होने के लिए तैयार है।

फिल्म का महत्व

भारतीय पौराणिक कथाओं के साथ जापानी एनीमेशन का यह अद्वितीय समागम ना केवल हमारी पीढ़ी को रामायण की कथा से परिचित कराने का कार्य करेगा, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए एक सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रूप में देखने का अवसर भी प्रदान करेगा।

अर्जुन अग्रवाल जो कि गीक पिक्चर्स इंडिया के सह-संस्थापक हैं, ने इस फिल्म के पुन: रिलीज को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा, "रामायण का यह एनीम संस्करण इंडो-जापानी सहयोग की शक्ति का चिरस्थायी प्रमाण है। राम की इस अनूठी, डायनामिक प्रस्तुति का सभी क्षेत्रों और आयु समूहों के दर्शकों के साथ जुड़ाव होना सुनिश्चित है।"

यह फिल्म दशहरा और दिवाली के त्योहारी सीजन में पूरे भारत में गीक पिक्चर्स इंडिया, एए फिल्म्स और एक्सेल एंटरटेनमेंट के माध्यम से वितरित की जाएगी और भारतीय दर्शकों को एक बार फिर से इस अर्धशाश्वत महाकाव्य की ओर आकर्षित करेगी।

फिल्म में जुड़ी तकनीक और कला

इस फिल्म में अत्याधुनिक तकनीक और उत्कृष्ट ग्राफिक्स का उपयोग किया गया है। आंचलिक भारतीय कला और जापानी एनीमेशन ने मिलकर इस कथा को एक नया रूप दिया है। इस फिल्म में भगवान राम के जीवन और उनके संघर्षों को जीवंत किया गया है, जिसे देखने के लिए दर्शकों की दिलचस्पी और जिज्ञासा पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।

इसके साथ ही, चरित्रों के संवाद भी बेहद जीवंत और प्रभावशाली बनाए गए हैं, जो दर्शकों को उनके साथ एक जुड़ाव महसूस कराने में सक्षम हैं।

फिल्म की संगीत धुन

वानराज भाटिया के संगीत ने इस फिल्म को आत्मीय और भावुक बना दिया है। उनकी धुनें कथा के गहराई और उसके मर्म को बखूबी उकेरती हैं। संगीत की बारीकियों ने न केवल कथा को बल दिया, बल्कि दर्शकों को भी एक मार्मिक अनुभव प्रदान किया है।

सांस्कृतिक धरोहर में योगदान

'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह फिल्म न केवल हमारे पौराणिक कथाओं को जिंदा रखने का कार्य कर रही है, बल्कि इसे नई दृष्टि से प्रस्तुत भी कर रही है। इस फिल्म का पुनर्मूल्यांकन और पुनःप्रदर्शन हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

हम आशा करते हैं कि 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' की यह नई यात्रा भारतीय दर्शकों को विशिष्ट तरीके से प्रभावित करेगी और उन्हें एक नए दृष्टिकोण से रामायण की कथा को देखने का मौका देगी।

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