के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 21 सित॰ 2024 टिप्पणि (17)

कहानी का पुनरागमन
बहुचर्चित एनिमेटेड फिल्म 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' भारतीय सिनेमाघरों में 31 साल बाद वापसी करने जा रही है। यह फिल्म पहली बार 1992 में रिलीज हुई थी, लेकिन अपने जापानी निर्माण और हिंदू देवताओं की एनिमेटेड प्रस्तुतियों को लेकर उठे विवादों के कारण इसे जल्दी ही प्रतिबंधित कर दिया गया था।
1992 के बाबरी मस्जिद दंगों के बाद साम्प्रदायिक माहौल के चलते इस फिल्म को दर्शकों के सामने लाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। अब, 31 साल के लंबे अंतराल के बाद, यह फिल्म फिर से चार भाषाओं—हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, और तेलुगू में रिलीज हो रही है।
फिल्म की ऐतिहासिक यात्रा
फिल्म 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' को मूल रूप से 1992 में रिलीज किया गया था और इसे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में 1993 में प्रस्तुत किया गया, जहां इसे वैश्विक पहचान मिली। इस फिल्म के निर्माण में लेखन का कार्य विख्यात पटकथा लेखक वी. विजयेन्द्र प्रसाद ने किया था, जिन्हें 'बाहुबली', 'बजरंगी भाईजान' और 'आरआरआर' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।
फिल्म का निर्देशन कोइची ससाकी और राम मोहन ने किया था, और इसका संगीत वानराज भाटिया द्वारा रचित है। फिल्म की ग्रैफिक्स और एनीमेशन ने उस समय दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था और आज यह कहानी फिर से जीवंत होने के लिए तैयार है।
फिल्म का महत्व
भारतीय पौराणिक कथाओं के साथ जापानी एनीमेशन का यह अद्वितीय समागम ना केवल हमारी पीढ़ी को रामायण की कथा से परिचित कराने का कार्य करेगा, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए एक सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रूप में देखने का अवसर भी प्रदान करेगा।
अर्जुन अग्रवाल जो कि गीक पिक्चर्स इंडिया के सह-संस्थापक हैं, ने इस फिल्म के पुन: रिलीज को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा, "रामायण का यह एनीम संस्करण इंडो-जापानी सहयोग की शक्ति का चिरस्थायी प्रमाण है। राम की इस अनूठी, डायनामिक प्रस्तुति का सभी क्षेत्रों और आयु समूहों के दर्शकों के साथ जुड़ाव होना सुनिश्चित है।"यह फिल्म दशहरा और दिवाली के त्योहारी सीजन में पूरे भारत में गीक पिक्चर्स इंडिया, एए फिल्म्स और एक्सेल एंटरटेनमेंट के माध्यम से वितरित की जाएगी और भारतीय दर्शकों को एक बार फिर से इस अर्धशाश्वत महाकाव्य की ओर आकर्षित करेगी।
फिल्म में जुड़ी तकनीक और कला
इस फिल्म में अत्याधुनिक तकनीक और उत्कृष्ट ग्राफिक्स का उपयोग किया गया है। आंचलिक भारतीय कला और जापानी एनीमेशन ने मिलकर इस कथा को एक नया रूप दिया है। इस फिल्म में भगवान राम के जीवन और उनके संघर्षों को जीवंत किया गया है, जिसे देखने के लिए दर्शकों की दिलचस्पी और जिज्ञासा पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।
इसके साथ ही, चरित्रों के संवाद भी बेहद जीवंत और प्रभावशाली बनाए गए हैं, जो दर्शकों को उनके साथ एक जुड़ाव महसूस कराने में सक्षम हैं।
फिल्म की संगीत धुन
वानराज भाटिया के संगीत ने इस फिल्म को आत्मीय और भावुक बना दिया है। उनकी धुनें कथा के गहराई और उसके मर्म को बखूबी उकेरती हैं। संगीत की बारीकियों ने न केवल कथा को बल दिया, बल्कि दर्शकों को भी एक मार्मिक अनुभव प्रदान किया है।
सांस्कृतिक धरोहर में योगदान
'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह फिल्म न केवल हमारे पौराणिक कथाओं को जिंदा रखने का कार्य कर रही है, बल्कि इसे नई दृष्टि से प्रस्तुत भी कर रही है। इस फिल्म का पुनर्मूल्यांकन और पुनःप्रदर्शन हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
हम आशा करते हैं कि 'रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम' की यह नई यात्रा भारतीय दर्शकों को विशिष्ट तरीके से प्रभावित करेगी और उन्हें एक नए दृष्टिकोण से रामायण की कथा को देखने का मौका देगी।
suraj jadhao
सितंबर 21, 2024 AT 04:37वाह! रामायण फिर से बड़े स्क्रीन पर, चलो देखते हैं! 😊
Agni Gendhing
सितंबर 27, 2024 AT 19:37क्या? फिर से वही पुरानी कहानी…!! क्या लोग अभी भी इस 'एनीम' पर भरोसा करेंगे??? हाहा…
Jay Baksh
अक्तूबर 4, 2024 AT 10:37देश की शान है राम का साहस, इस फिल्म से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। इसको देखना हर भारतीय का कर्तव्य है।
Ramesh Kumar V G
अक्तूबर 11, 2024 AT 01:37सही कहा, 1992 में भाईलाल नेस्बी की वजह से धमतरा की तरह इस पर रोक लगा थी। लेकिन तकनीकी उन्नति ने फिर इसे संभव बनाया है।
Gowthaman Ramasamy
अक्तूबर 17, 2024 AT 16:37उल्लेखनीय बात यह है कि इस फिल्म की संगीत रचना, वानराज भाटिया द्वारा की गई है, जो भावनात्मक गहराई जोड़ती है। विस्तृत विवरण हेतु आधिकारिक साइट पर देखें।
Navendu Sinha
अक्तूबर 24, 2024 AT 07:37यह पुनरुत्थान केवल फिल्म नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जीवन का प्रतीक है। जब जापानी एनीमेशन भारतीय पौराणिक कथा से मिलती है, तो यह दो विश्वों का सुंदर संगम बन जाता है। इस प्रकार का सहयोग वैश्विक समझ को बढ़ावा देता है और सीमाओं के पार संवाद स्थापित करता है। तकनीकी दृष्टिकोण से देखा जाए तो ग्राफिक्स और एनीमेशन में उपयोग किए गए नवीनतम रेंडरिंग एंजिन ने पात्रों को जीवंत बना दिया है। कहानी के प्रमुख मोड़ों को सटीक रूप से प्रस्तुत किया गया है, जिससे दर्शक भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। संगीत ने न केवल माहौल को उभार दिया, बल्कि प्रत्येक दृश्य की गूँज को भी बढ़ाया है। इस फिल्म में चंद्रमा के छाया में युद्ध के दृश्य अत्यधिक प्रभावशाली हैं, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। साथ ही, संवादों की भाषा सरल और सटीक है, जिससे सभी आयु वर्ग के लोग आसानी से समझ पाते हैं। इस पुनः रिलीज़ से युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों की समझ में वृद्धि होगी। इसे देख कर वे न केवल मनोरंजन करेंगे बल्कि भारतीय इतिहास और धर्म का सम्मान भी सीखेंगे। इस प्रकार की पहल फिल्म उद्योग को भी नई दिशा देती है। कुल मिलाकर, यह एक समग्र कलात्मक और शैक्षिक प्रयास है, जिसे सत्रहवीं सदी के दर्शकों के लिये बनाया गया है।
reshveen10 raj
अक्तूबर 30, 2024 AT 22:37बिलकुल, इस परफेक्ट टाइमिंग से फेस्टिवल मोड में मज़ा दूँगा! 🎉
Navyanandana Singh
नवंबर 6, 2024 AT 13:37समय की धारा में इतिहास फिर से उभरता है, लेकिन क्या हम उसकी सच्ची सार को समझ पाएँगे? विचारों की परतें कई हैं, हर लेयर में नए प्रश्न उठते हैं। भले ही एनीमेशन तकनीक अद्भुत हो, दिल की आवाज़ कभी नहीं बदलती।
monisha.p Tiwari
नवंबर 13, 2024 AT 04:37मैं मानती हूं कि इस तरह के प्रोजेक्ट से सबको एकजुट होने का मौका मिलता है। पर चलिए, देखते हैं क्या यह वास्तव में दर्शकों को जोड़ता है।
Nathan Hosken
नवंबर 19, 2024 AT 19:37इंटरडिसिप्लिनरी सायनर्जिक मॉडलिंग के तहत, इस एनीमेटेड व्याख्या में सांस्कृतिक रेफ्रेंसेस का इंटीग्रेशन महत्वपूर्ण है। यह फॉर्मेट दोनों एजाइल और टेम्पलेट-ड्रिवन फ्रेमवर्क्स को सैक्योर करता है।
Manali Saha
नवंबर 26, 2024 AT 10:37क्या बात है!!! यह फिर से देखने लायक है??? चलो अब टाइम नहीं बर्बाद करते! 🚀
jitha veera
दिसंबर 3, 2024 AT 01:37वास्तव में, ये सब सरकार की धुंधली मार्केटिंग ही है। ऐसा लगता है कि सिर्फ पैसा कमाने का रुख है, कलाकारों की भावना नहीं।
Sandesh Athreya B D
दिसंबर 9, 2024 AT 16:37ओह, क्या नया ट्रेंड है, फिर से पुरानी कहानी को एनीमेट करके बेच रहे हैं! 🙄
Jatin Kumar
दिसंबर 16, 2024 AT 07:37चलो, इस बार हम सब मिलकर इसे देखेंगे और अपने बच्चों को सच्ची विरासत देंगे! 🌟📽️
Anushka Madan
दिसंबर 22, 2024 AT 22:37ऐसी फिल्मों को समर्थन देना नैतिक दायित्व है, नहीं तो संस्कृति खो जाएगी।
nayan lad
दिसंबर 29, 2024 AT 13:37टिकट बुकिंग जल्दी करो, सीमित सीटें हैं।
Govind Reddy
जनवरी 5, 2025 AT 04:37विचारों का प्रवाह निरंतर रहता है; यह पुनः प्रस्तुति हमें आत्मनिरीक्षण की ओर प्रेरित करती है। इस प्रकार की कला हमें समय के साथ संवाद स्थापित करने में मदद करती है।