के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 9 अग॰ 2025    टिप्पणि (17)

तेजस्वी यादव का वोटर आईडी फर्जी घोषित, 16 अगस्त तक मूल कार्ड जमा करने का आदेश

चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव की वोटर आईडी को फर्जी बताया

बिहार की राजनीति में भूचाल तब आ गया जब तेजस्वी यादव द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए गए वोटर आईडी नंबर पर सवाल खड़े हो गए। चुनाव आयोग ने जिस EPIC नंबर RAB2916120 को वो दिखा रहे थे, उसे अपने रिकॉर्ड में न होने की बात कही और इसे पूरी तरह फर्जी घोषित कर दिया। आयोग के निर्देश पर तेजस्वी को 16 अगस्त शाम 5 बजे तक असली वोटर आईडी प्रस्तुत करने का अल्टीमेटम दिया गया है।

यह नोटिस बिहार की दीघा विधानसभा के निर्वाचक पंजीकरण पदाधिकारी (ERO) की तरफ से आया, जो पटना सदर के सब-डिविजनल अफसर भी हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आयोग के डेटा में ऐसा कोई नंबर ही नहीं है और ऐसा फर्जी दस्तावेज बनाना या इस्तेमाल करना कानूनी अपराध है।

कैसे उठा विवाद और क्या बोले चुनाव अधिकारी?

गड़बड़ की शुरुआत तब हुई जब तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनका नाम नए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से गायब है और उनका EPIC नंबर बिना वजह बदल दिया गया है। उन्होंने मीडिया में जो कार्ड दिखाया, उसका नंबर ECI की वेबसाइट पर दर्ज ही नहीं था। जब ERO ने अपनी जांच शुरू की तो पाया कि तेजस्वी यादव का असली EPIC नंबर RAB0456228 ही पिछले कई सालों से रिकॉर्ड में है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव नामांकन पत्रों में भी यही नंबर दिखा है और 2025 की ताजा वोटर लिस्ट में भी यही दर्ज है।

तेजस्वी के नाम की मौजूदा लोकेशन पटना के बिहार एनिमल सायंसेज यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी बिल्डिंग के पोलिंग बूथ नं. 204 की सीरियल नंबर 416 है। उनका नाम पहले पोलिंग स्टेशन नं. 171 (सीरियल 481) में जारी था, जिसे अब बदल दिया गया है। प्रशासन ने ड्राफ्ट लिस्ट की स्क्रीनशॉट भी सार्वजनिक कर दी है, जिसमें उनका असली ID नंबर साफ नजर आ रहा है।

  • 1 अगस्त को तेजस्वी ने कहा था, उनका नाम लिस्ट में नहीं है।
  • 2 अगस्त को प्रेस के सामने विवादित EPIC नंबर RAB2916120 पेश किया।
  • चुनाव आयोग ने जांच में पाया यह नंबर देशभर के किसी वोटर का नहीं है।
  • तीन बार तेजस्वी को अलग-अलग तारीख पर नोटिस भेजा गया।

पूरे मामले में तेजस्वी यादव का कहना है कि वह समय आने पर आयोग को जवाब देंगे। वहीं, चुनाव आयोग प्रशासनिक पारदर्शिता बनाए रखने की बात कर रहा है। इस घमासान के बीच एक सवाल और खड़ा हो रहा है—क्या कोई बड़ा राजनीतिक खेल चल रहा है या फिर ये सब महज एक प्रशासनिक चूक है?

17 Comments

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    Nathan Hosken

    अगस्त 9, 2025 AT 18:48

    चुनाव आयोग ने EPIC सत्यापन प्रक्रिया में अत्याधुनिक एलगोरिद्म लागू किया है, जिससे फर्जी दस्तावेज़ों की पहचान आसान हो गई है। तेजस्वी यादव द्वारा प्रस्तुत किए गए नंबर को डाटा मैपिंग में असंगत पाया गया, जो कि प्रोटोकॉल उल्लंघन दर्शाता है। इस तरह के केस में वैधता सुनिश्चित करने के लिए फिजिकल वैरिफिकेशन की भी आवश्यकता होती है। यदि उम्मीदवार अपनी वैधता साबित नहीं कर पाए तो चुनावी योग्यता को चुनौती देना आवश्यक है। अंततः लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुद्धता बनाए रखने के लिए यह कदम सराहनीय है।

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    Manali Saha

    अगस्त 10, 2025 AT 17:01

    वाह! क्या मज़ा है यह एंटी‑फर्जी केस! चुनावी गतीश तकनीक ने बवाल खड़ा कर दिया!! तेजस्वी को अब जल्दी से जल्दी असली कार्ड दिखाना चाहिए!!

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    Jatin Kumar

    अगस्त 11, 2025 AT 15:15

    सच में, यह मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ विवाद नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूलभूत सिद्धान्तों पर प्रश्न उठाता है।
    जब एक प्रमुख नेता अपने वोटर आईडी को लेकर विवाद में पड़ता है, तो इससे यह स्पष्ट होता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं खामियाँ मौजूद हैं।
    पहले तो हमें यह समझना चाहिए कि वोटर आईडी का उद्देश्य क्या है – यह व्यक्तिगत पहचान का साधन है और इसे फर्जी बनाना सीधे चुनावी कानून का उल्लंघन है।
    दूसरा, चुनाव आयोग ने इस मुद्दे को तुरंत उठाया, जिससे यह दिखता है कि संस्थान अपनी जिम्मेदारियों को समझता है।
    तीसरा, इस तरह का विवाद आसानी से राजनीतिक धूम्रपात बन सकता है, जहाँ विरोधी पार्टियाँ इसको अपने पक्ष में मोड़ना चाहेंगी।
    चौथा, यह दर्शाता है कि उम्मीदवारों को अपनी दस्तावेज़ीकरण में और अधिक सावधानी बरतनी चाहिए, नहीं तो उनका मौजूदगी सवाल बन जाएगी।
    पाँचवाँ, इस मामले में मीडिया की भूमिका भी अहम है; उन्हें तथ्यात्मक रिपोर्टिंग करनी चाहिए और अटकलों से बचना चाहिए।
    छठा, अगर तेजस्वी यादव असली कार्ड प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, तो कानूनी कार्रवाई अपरिहार्य हो जाएगी।
    सातवाँ, इस प्रक्रिया में जनता का विश्वास भी दांव पर है; यदि न्यायसंगत प्रक्रिया नहीं चलती, तो जनता का भरोसा टूट सकता है।
    आठवाँ, हमें यह भी देखना चाहिए कि क्या अन्य राजनीति में भी इसी तरह के केस मौजूद हैं, जो शायद अभी तक उजागर नहीं हुए।
    नौवाँ, यह पूरे राजनीतिक परिदृश्य को एक नई दिशा दे सकता है, जहाँ पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जाएगी।
    दसवाँ, इस घटना से यह सीख मिलती है कि डिजिटल वैधता प्रणाली को निरंतर अपडेट करने की आवश्यकता है।
    ग्यारहवाँ, यह सभी पक्षों के लिये एक चेतावनी है कि कोई भी छोटी चूक बड़े दाँव पर पड़ सकती है।
    बारहवाँ, अंत में, लोकतंत्र की सच्ची शक्ति उसके नियमों की कड़ाई में निहित है, और यही कड़ाई इस तरह के मामलों को सुलझाने में मदद करती है।
    तेरहवाँ, आशा है कि इस मामले का निष्पक्ष समाधान होगा और सबको न्याय मिलेगा।
    चौदहवाँ, अंततः, यह घटना हमें याद दिलाती है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हर कदम पर जिम्मेदारी होती है।
    पंद्रहवाँ, इसलिए सभी नेताओं को चाहिए कि वे अपनी दस्तावेज़ी मान्यताओं को दोबारा जाँचें और फिर ही सार्वजनिक मंच पर आएँ।
    सोलहवाँ, जय हिन्द, जय लोकतंत्र!

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    patil sharan

    अगस्त 12, 2025 AT 13:28

    ओह, फिर से नाटक शुरू!

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    onpriya sriyahan

    अगस्त 13, 2025 AT 11:41

    भाई ये खेल तो बहुत बड़ा है , जल्दी से सॉल्यूशन निकालना चाहिए। हम सब देख रहे हैं

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    Sunil Kunders

    अगस्त 14, 2025 AT 09:55

    उपर्युक्त स्थिति का विश्लेषण करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासनिक परिप्रेक्ष्य में कुछ लापरवाही हुई है। वास्तव में, दस्तावेज़ी त्रुटियों को नज़रअंदाज़ करना अस्वीकार्य है। इसपर विचार करने पर स्पष्ट हो जाता है कि प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता है। अंततः, यदि ऐसा अनियमित व्यवहार दोहराया गया तो संस्थागत विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचेगा।

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    suraj jadhao

    अगस्त 15, 2025 AT 08:08

    🚀 दोस्तों, ये मामला जल्दी सॉल्व हो, नहीं तो पॉलिटिकल ड्रामे का नया सीजन शुरू हो जाएगा! 🙌

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    Agni Gendhing

    अगस्त 16, 2025 AT 06:21

    क्या बात है!! एडीटर!! ये सब फर्जी कार्ड वाला काम साजिश को छुपाने के लिये है... सरकार के पीछे छुपे बड़े भुत!! फर्जी नंबर वाली चीज़ें हर जगह!!

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    Jay Baksh

    अगस्त 17, 2025 AT 04:35

    अरे यार, इतनी बड़ी बात को लेकर इतनी फुर्सत नहीं है, लेकिन ये चुनावी झाँझट बहुत ही नाटकीय है! हमारी जनता को बेवकूफी में मत डालो!

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    Ramesh Kumar V G

    अगस्त 18, 2025 AT 02:48

    यदि आप नहीं समझते कि फर्जी वोटर आईडी का प्रयोग गंभीर अपराध है, तो आपका ज्ञान बहुत सीमित है। शीघ्रता से असली दस्तावेज़ दिखाएँ।

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    Navendu Sinha

    अगस्त 19, 2025 AT 01:01

    समय की कसौटी पर, इस तरह के विवाद का अर्थ केवल सतही नहीं, बल्कि गहरी जाँच की मांग करता है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता का सिद्धान्त हमेशा प्रमुख रहना चाहिए। जब कोई नेता अपने वोटर आईडी को लेकर उलझन में पड़ता है, तो यह स्थिति सार्वजनिक भरोसे को प्रभावित करती है। इस कारण, आयोग की सावधानीपूर्वक जाँच आवश्यक बनती है। साथ ही, हमें यह समझना होगा कि दस्तावेज़ी सत्यापन में तकनीकी त्रुटियों की संभावना भी रहती है, इसलिए डिजिटल और फिजिकल दोनों स्तरों पर जांच अनिवार्य है। अंततः, न्यायपूर्ण समाधान ही जनता का भरोसा बनाए रखेगा, और यह सभी राजनीतिक वर्गों की जिम्मेदारी है।

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    reshveen10 raj

    अगस्त 19, 2025 AT 23:15

    बिल्कुल सही, न्यायिक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। हम सब मिलकर इसको सॉल्व करें।

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    monisha.p Tiwari

    अगस्त 20, 2025 AT 21:28

    यह एक अच्छी पहल है कि ऐसा मुद्दा सामने आया, इससे सभी को अपने दस्तावेज़ों की सटीकता पर ध्यान देना चाहिए। लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह महत्वपूर्ण है।

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    jitha veera

    अगस्त 21, 2025 AT 19:41

    सबको चालाकी दिखाने की कोशिश में दिलचस्प है, पर सच्चाई हमेशा बाहर आती है, और यहाँ भी यही होगा।

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    Sandesh Athreya B D

    अगस्त 22, 2025 AT 17:55

    ओह वाह, फिर से वही पुरानी ड्रामा! ये सब तो दिखावे के लिए है, असली मुद्दे पे कभी नहीं पहुंचते।

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    Anushka Madan

    अगस्त 23, 2025 AT 16:08

    नैतिकता की इस स्थिति में, हमें सभी प्रकार की धोखाधड़ी के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए। यह हमारे सामाजिक मूल्यों की रक्षा करता है।

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    nayan lad

    अगस्त 24, 2025 AT 14:21

    तथ्यात्मक जानकारी साझा करें, ताकि स्पष्टता बनी रहे।

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