यौन उत्पीड़न सिर्फ शारीरिक छेड़छाड़ नहीं है। यह अनचाहा रोज़मर्रा का व्यवहार भी हो सकता है — अपशब्द, अनुचित संकेत, बार-बार इशारे, गैर-जरूरी टेक्स्ट या ऑनलाइन संदेश। सबसे ज़रूरी बात: अगर आपको असहज महसूस हो रहा है तो वह उत्पीड़न ही है। आपका अहसास अहम है।
अगर कोई बार-बार आपकी सीमा पार करे — काम के बहाने अलग पहल करे, किसी जगह अकेला करने की कोशिश करे, या आपकी मर्जी के बिना शारीरिक संपर्क करे — ये सब चेतावनी हैं। ऑनलाइन में भी लगातार हॅरासमेंट, दुर्व्यवहार या नग्न तस्वीर भेजना यौन उत्पीड़न ही माना जाता है। छोटे-छोटे संकेत महत्वहीन न समझें।
ध्यान रखें: "मज़ाक" कहकर बार-बार की गई टिप्पणी, आपकी इजाजत के बिना दी गई अश्लील टिप्पणियाँ और काम में रौब झांकना भी शामिल है। अगर किसी ने आपके काम या पद के बदले अनैतिक प्रस्ताव रखा — उसे "क्विड प्रो क्वो" कहा जाता है और यह गंभीर अपराध है।
पहला कदम: अपनी सुरक्षा प्राथमिकता बनाएं। अगर हालात खतरे वाली हैं, तुरन्त सुरक्षित जगह पर जाएँ और स्थानीय आपात नंबर (112) या पुलिस से संपर्क करें।
सबूत इकठ्ठा करें: जितने भी संदेश, ईमेल, कॉल रिकॉर्डिंग, स्क्रीनशॉट, witnesses के नाम और तारीख-समय को सुरक्षित रखें। सबूत बाद में आपकी शिकायत के लिए निर्णायक होते हैं।
दोस्त, सहकर्मी या परिवार में किसी भरोसेमंद व्यक्ति को तुरंत बताएं। अकेले लड़ना कठिन होता है—मदद मांगना डरने की बात नहीं।
कार्यस्थल में रिपोर्टिंग: यदि घटना कार्यस्थल पर हुई है, तो कंपनी की पॉलिसी और Internal Complaints Committee (ICC) के बारे में जानकारी लें। भारत में POSH Act 2013 के अंतर्गत बड़ी कंपनियों में ICC होना अनिवार्य है। शिकायत लिखित में दर्ज कराएं और कॉपी रखें। POSH के तहत अक्सर 3 महीने की समयसीमा होती है—इसलिए देर न करें।
पुलिस में शिकायत: यदि अपराध गंभीर है या आप खतरे में हैं, नज़दीकी थाने में FIR दर्ज कराएँ। ऑनलाइन उत्पीड़न के लिए साइबर सेल भी मदद कर सकती है।
मदद कहां मिले: स्थानीय महिला आयोग, भरोसेमंद NGOs और कानूनी सहायता संगठन तुरंत मार्गदर्शन दे सकते हैं। मानसिक असर के लिए काउंसलिंग लें—आपकी भावनात्मक सेहत उतनी ही ज़रूरी है जितनी कानूनी कार्रवाई।
गवाहों और सहकर्मियों के लिए: अगर आपने किसी का उत्पीड़न देखा है तो चुप न रहें। पीड़ित से बात करके समर्थन दें और अपने देखे प्रमाण लिखबद्ध रखें। आपका सहयोग कानूनी प्रक्रिया में मददगार हो सकता है।
नियोक्ता के लिए: शिकायत मिलने पर गोपनीयता बनाए रखें, त्वरित और निष्पक्ष जांच करें और पीड़ित को सुरक्षा सुनिश्चित कराएँ। समय पर कार्रवाई न करने पर कानूनी परिणाम हो सकते हैं।
आप अकेले नहीं हैं। अगर आपको या किसी जानने वाले को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा हो तो सुरक्षित कदम उठाएँ, सबूत रखें और मदद मांगने से हिचकिचाएँ मत। हर शिकायत न्याय पाने का अधिकार रखती है।
Posted By Krishna Prasanth पर 10 अग॰ 2024 टिप्पणि (6)
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर की हत्या और यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। 10 अगस्त, 2024 को हुई इस घटना से चिकित्सा क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। पुलिस ने तत्काल कारवाई करते हुए एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है। पुलिस जांच जारी है और कॉलेज प्रशासन ने पूरे मामले में जांच में सहयोग का आश्वासन दिया है।
और पढ़ें