उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) राज्य सरकार में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पद होता है। अक्सर गठबंधन सरकारों या बड़ी पार्टियों की अंदरूनी समीकरणों को संतुलित करने के लिए यह जिम्मेवारी दी जाती है। आइए साफ और सीधा जानें कि उपमुख्यमंत्री किस तरह काम करता है, किसे यह पद मिलता है और इसके अपने सीमित परंतु असरदार दायरे क्या होते हैं।
सरल शब्दों में, उपमुख्यमंत्री मुख्यमंत्री का सहयोगी और कभी-कभी विकल्प भी माना जाता है। उनका काम सामान्य तौर पर दो हिस्सों में बंटा होता है: प्रशासनिक और राजनीतिक। प्रशासनिक रूप से वे किसी मंत्रालय का नेतृत्व संभालते हैं—जैसे गृह, वित्त, शिक्षा या स्वास्थ्य। राजनीतिक रूप से वे पार्टी-संगठना, गठबंधन समन्वय और विधानसभा रणनीति में भूमिका निभाते हैं।
क्या उपमुख्यमंत्री का संविधान में औपचारिक दर्जा है? नहीं। यह पद संवैधानिक नहीं बल्कि राजनीतिक जरूरतों से बनता है। इसलिए शक्तियाँ और दायित्व मुख्यमंत्री और पार्टी के फैसलों पर निर्भर करते हैं। कई बार उपमुख्यमंत्री अस्थायी सत्ता संतुलन बनाए रखने के लिए नियुक्त किए जाते हैं, खासकर जब सरकार गठबंधन पर टिकती है।
अक्सर तीन कारण दिखते हैं: (1) गठबंधन संतुलन—मुख्य साझेदार को या राजनैतिक समीकरण ठीक रखने के लिए, (2) अंदरूनी नेतृत्व बदलाव—कभी पार्टी के प्रभावशाली नेताओं को जिम्मेदारी देने के लिए, और (3) कार्यक्षेत्र का विभाजन—मुख्यमंत्री की मदद के लिए कठिन पोर्टफोलियो बांटना।
उदाहरण के तौर पर, चुनावों के बाद पार्टियों की युक्तिपूर्ण बैठकों में पद आवंटन तय होता है। कभी-कभी यह पद दबाव कम करने या जनसमर्थन बढ़ाने के लिए भी दिया जाता है।
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Posted By Krishna Prasanth पर 29 सित॰ 2024 टिप्पणि (15)
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री म. क. स्टालिन के पुत्र उध्यनिधि स्टालिन को तमिलनाडु का तीसरा उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। वे पहले युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री थे। यह नियुक्ति 28 सितंबर, 2024 को आधिकारिक रूप से घोषित की गई। इस कदम से DMK पार्टी में उध्यनिधि की स्थिति और मजबूत हो गई है।
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