तामिलनाडु उत्सव — जानें कब, क्या और कैसे
तामिलनाडु सिर्फ मंदिरों की ज़मीन नहीं, यहाँ साल भर रंग-बिरंगे उत्सव चलते हैं। कुछ त्यौहार पारिवारिक खुशियाँ लेकर आते हैं, कुछ बड़े मंदिरों की परंपरा को जीवंत रखते हैं। अगर आप पहली बार जा रहे हैं तो जानना चाहिए कौन सा पर्व कब होता है और किस तरह का अनुभव मिलेगा।
मुख्य त्योहार और खासियत
पोंगल (जनवरी): खेत-खेताने और सौर त्यौहार। चार दिनों का पर्व है — भोग के लिए सत्तू/सक्करई पोङ्गल बनता है और घरों के बाहर रंगी-रँगोली (कोलम) दिखती है। देसी खाना, गाय-भेंट और परम्परागत खेल देखने को मिलते हैं।
थाइपु्सम (जन्युअर-फरवरी): शंकर-परिवार का भक्ति का उत्सव; माउंटेन-दीपक थरे वाला उत्सव और कुछ जगहों पर भक्त किस्म के तप करते हैं। कुझिपीडु और सौंदर्य भक्ति यहाँ की खास बात हैं।
कार्थिगई दीपम् (नवंबर-दिसंबर): छोटे-छोटे दीपक घरों और मंदिरों में जलते हैं। तिरुवन्नामलाई का दीपक उत्सव बड़ा मशहूर है—एक पहाड़ पर विशाल दीपक जलते देखना शांत कर देता है।
मदुरै चिथिराई (अप्रैल): मदुरै का चिथिराई महोत्सव बहुत बड़ा रीति-रिवाज वाला जुलूस होता है। मंदिर व्यंजन, रथयात्रा और लोक नृत्य-नाट्य देखते ही बनते हैं।
दीपावली: दीपों और मिठाइयों का त्यौहार, लेकिन यहां के लोक रूप और मंदिर की सजावट अलग अनुभव देती है।
इनके अलावा मरकज़ी (Margazhi) संगीत और भरतनाट्यम के कार्यक्रम भी सिखने-देखने लायक होते हैं — खासकर दिसम्बर-जानेवरी में।
यात्रा टिप्स और एटिकेेट
कब जाएँ — पोंगल और मरकज़ी सीजन त्योहारों का सबसे अच्छा समय है। लेकिन भीड़ ज्यादा मिलेगी, इसलिए होटल और यात्रा पहले बुक कर लें।
ड्रेस और एटिकेेट — मंदिर जाते समय कंधे और घुटने ढक कर रखें। कुछ मंदिरों में पॉकेट, कैमरा या जूते की पाबंदी होती है, बोर्ड देख लें।
खाना ट्राय करें — सक्करई पोङ्गल (मीठा) और वेन पोङ्गल (नमकीन), समभर, वाटटकड़ी, तरह-तरह के तमिल नाश्ते ज़रूर चखें। स्ट्रीट फूड से पहले साफ-सफाई पर ध्यान दें।
भीड़ से निपटना — रथयात्रा या मंदिर उत्सव में भाग लेने से पहले जाने-माने रास्ते और इमरजेंसी निकास पता कर लें। स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवकों की मदद लें।
फोटोग्राफी — निजी व धार्मिक रीति-रिवाजों का सम्मान करें। अगर श्रद्धालु या पुरोहित फोटो नहीं चाहें तो अनुमति लें।
अगर आप तामिलनाडु के उत्सवों पर और रिपोर्ट या स्थानीय अपडेट पढ़ना चाहें तो प्रेम वशीकरण न्यूज़ पर हमारे आर्टिकल्स देखें — वहां ताज़ा कवरेज और यात्रा सुझाव मिलते हैं।
सावधानियों और भव्य उत्सवों के साथ सरस्वती पूजा और विजयदशमी 2024 की समग्र जानकारी
Posted By Krishna Prasanth पर 8 अक्तू॰ 2024 टिप्पणि (0)

सरस्वती पूजा और विजयदशमी हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्व हैं, जो भारतीय संस्कृति में ज्ञान और बुराई पर विजय के प्रतीक हैं। सरस्वती पूजा विशेष रूप से ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना का दिन होता है, जबकि विजयदशमी भगवान राम के रावण पर विजय का उत्सव है। यह पर्व तामिलनाडु और कर्नाटक सहित भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
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