एग्जिट पोल चुनाव के दिन वोट डालने के बाद किए जाने वाले सर्वे होते हैं जिनका उद्देश्य यह बताना होता है कि किस पार्टी या उम्मीदवार को कितने वोट मिले। पसंद पढ़ने से पहले यह समझ लें कि ये नतीजे फाइनल रिज़ल्ट नहीं, बल्कि एक त्वरित स्क्रीनशॉट की तरह होते हैं। कई बार एग्जिट पोल रुझान सही होते हैं और कई बार वे लोकल फाइन-ट्यूनिंग, कम मतदान या रुझान में बदलाव के कारण चूक सकते हैं।
आमतौर पर सर्वे एजेंसियां चुनी हुई मतदान बूथों पर जाकर यादृच्छिक तरीके से वोटरों से पूछती हैं कि उन्होंने किसे वोट दिया। इसमें सैम्पल साइज, बूथ चयन और पूछताछ का तरीका बहुत मायने रखता है। यदि सैम्पल छोटा हो या चुने हुए बूथ पक्षपाती हों तो रिज़ल्ट झुक सकता है। एजेंसियां अपने मॉडल में सीट-लेवल अनुमान, जनसंख्या प्रोफाइल और पिछली वोटिंग पैटर्न भी जोड़ती हैं, पर ये सब अनुमान पर आधारित होते हैं।
आप जिन एग्जिट पोल रिपोर्ट्स को पढ़ रहे हैं, उनके बारे में ये बातें जरूर जाँचे:
हमारी वेबसाइट पर चुनाव से जुड़ी कई रिपोर्टें हैं — जैसे दिल्ली उम्मीदवारों की सूची, वोटर आईडी विवाद और स्थानीय रुझान — जो एग्जिट पोल के संदर्भ में मददगार साबित हो सकती हैं। एग्जिट पोल पढ़कर आप टीवी बहस या सोशल मीडिया चर्चाओं को समझ सकते हैं, पर मतदाता निर्णय में बदलाव के पूरा असर के लिए आधिकारिक काउंट का इंतज़ार जरूरी है।
अंत में एक सिंपल नियम: एग्जिट पोल को सूचना का स्रोत मानें, अंतिम निर्णय नहीं। अगर आप चुनाव नज़र रख रहे हैं तो कई एजेंसियों के परिणाम देखें, उनके मॉडल पढ़ें और लोकल खबरों के साथ जोड़कर समझें कि असली तस्वीर क्या हो सकती है। इससे आप खुशदिल अनुमान और खबरों के शोर में ठोस समझ बना पाएंगे।
Posted By Krishna Prasanth पर 30 मई 2024 टिप्पणि (20)
इस लेख में उत्तर प्रदेश के लिए आगामी लोक सभा चुनावों के एग्जिट पोल परिणामों पर चर्चा की गई है। एग्जिट पोल परिणाम 1 जून को घोषित किए जाएंगे और यह राज्य की सभी 80 सीटों को कवर करेंगे। लेख में 2019 के चुनावों के एग्जिट पोल की सटीकता का भी समीक्षा की गई है।
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