डोगलापन (पाखंड) — खबरों में दिखने वाले असल चेहरे
डोगलापन यानी वही व्यवहार जो बोलने और करने में फर्क दिखाता है। अखबारों और सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसे मामले दिखते हैं — नेता या संस्था कुछ कहती है और काम कुछ और होता है। आप भी ये सोचते होंगे कि आखिर सही पहचान कैसे करें? इस पेज पर हम किसी पक्ष का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि खबरों में आए स्पष्ट उदाहरणों से सीखने की कोशिश कर रहे हैं।
कहां-कहां दिखता है डोगलापन?
अखबारों में डोगलापन कई रूप में आता है: राजनीतिक दावे और असल दस्तावेज़ में फर्क (जैसे खबर: तेजस्वी यादव का वोटर आईडी विवाद), कानूनी प्रक्रिया में धोखा (झारखंड हाई कोर्ट में नकली इंटरव्यू लेटर केस), या मीडिया में फैलने वाली आधी- सूचनाएँ (वायरल वीडियो जिनका संदर्भ गलत दिखता है)। कंपनियों के बड़े दावे और अंदरूनी नीतियों में विरोध भी पाखंड जैसा लगता है — उदाहरण के तौर पर बड़े-बड़े बयान और फिर कर्मचारियों की छंटनी।
ये सब सिर्फ अखबारों की कहानियाँ नहीं हैं; ऐसे मामलों का असर रोज़मर्रा की जिंदगी पर भी पड़ता है। वोटर कार्ड या सरकारी दस्तावेज़ का फर्जी होना सीधे लोकतंत्र पर असर डालता है। नकली इंटरव्यू लेटर से नौकरी के भरोसे पर चोट लगती है। इसलिए पहचानना जरूरी है।
डोगलापन कैसे पहचानें? आसान तरीके
पहचान के लिए कुछ सीधे तरीके हैं जिन्हें आप तुरंत इस्तेमाल कर सकते हैं:
1) स्रोत देखें: खबर या पोस्ट किसने जारी की है? आधिकारिक बयान, कोर्ट रिकार्ड या केवल सोशल मीडिया पोस्ट — फर्क समझें।
2) दस्तावेज़ की जाँच: अगर कोई दस्तावेज़ दिख रहा है तो उसकी तिथियाँ, सील और संदर्भ देखें। कई मामलों में छोटे-छोटे निशान ही फर्जी होने का संकेत देते हैं।
3) दूसरा प्रमाण खोजें: क्या कोई दूसरी विश्वसनीय रिपोर्ट भी इसे कवर कर रही है? केवल एक स्रोत पर भरोसा न करें।
4) वक्तव्य और कर्म की तुलना: जो कहा जा रहा है और जो किया जा रहा है, उन दोनों को पारस्परिक रूप से जाँचें।
ये कदम तेजस्वी वोटर-आईडी जैसे मामलों या नकली इंटरव्यू लेटर जैसे केसों में मददगार साबित होते हैं।
जब आप डोगलापन देखें तो क्या करें? सबसे पहले तारीफ या निंदा बिना जांच के न शेयर करें। भरोसेमंद स्रोतों से पुष्टि करें और अगर संबंधित संस्थान का आधिकारिक बयान मिले तो वही साझा करें। अगर आपको लगता है कि मामला गम्भीर है तो लोकल प्राधिकरण या संबंधित विभाग को सूचित करें।
प्रेम वशीकरण न्यूज़ पर हमने ऐसे कई उदाहरण कवर किए हैं जहाँ बयान और हकीकत में फर्क दिखा। इस टैग पेज से जुड़ी खबरें पढ़कर आप सिखेंगे कि असल खबरें कैसे पहचानी जाएं और झूठ फैलने से कैसे रोका जाए। सवाल है तो नीचे कमेंट करें — हम मिलकर जांचना और समझना आसान बना सकते हैं।
बिग बॉस 18 में सलमान खान और अशनीर ग्रोवर के बीच 'डोगलापन' पर तीखी बातचीत
Posted By Krishna Prasanth पर 16 नव॰ 2024 टिप्पणि (0)

बिग बॉस 18 के हालिया एपिसोड में सलमान खान ने अशनीर ग्रोवर को उनकी विवादास्पद टिप्पणियों पर जमकर लताड़ लगाई। अशनीर ने पहले कहा था कि वह सलमान को अपने ब्रांड का एंबेसडर बनाना चाहते थे लेकिन उनकी फीस वहन नहीं कर सकते थे। हालांकि, सलमान ने इन दावों का खंडन किया और कहा कि अशनीर के बयान आदर्श विरोधाभासी ('डोगलापन') थे। यह दिलचस्प बातचीत सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।
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