चिकित्सा आपातकाल: क्या करें जब हर सेकंड मायने रखता हो

अपना या किसी और का स्वास्थ्य अचानक खराब हो जाए तो पहला काम घबड़ाना छोड़ कर काम करना है। यहां सीधी, काम की बातें बताई जा रही हैं — कैसे पहचानें, क्या तुरंत करें और कब एम्बुलेंस बुलाएं।

पहचान और तुरंत कदम

सबसे पहले स्थिति तेज़ी से परखें: क्या वह व्यक्ति सचेत है, सांस ले रहा है, खून बह रहा है या सीने में तेज दर्द बता रहा है? अगर व्यक्ति बेहोश है और सांस नहीं ले रहा तो तुरंत 112 पर कॉल करें।

कुछ आसान लेकिन असरदार काम जो आप कर सकते हैं:

  • खून बह रहा हो: साफ कपड़े या गाजर से दबाव लगाएँ और जख्म को ऊंचा रखें।
  • सांस लेने में कठिनाई/छाती में दर्द: तुरंत 112/108 कॉल करें — दिल का दौरा हो सकता है।
  • बेहोशी या सांस रुकना: अगर प्रशिक्षित हैं तो CPR शुरू करें; नहीं तो तुरंत मदद बुलाएँ और व्यक्ति की नब्ज़ व श्वास देखें।
  • गला अटकना (Choking): अगर व्यक्ति बोल/सांस नहीं ले पा रहा, पीठ पर हाथ से 5 तेज थपथपाएँ; बड़े वयस्क में पेट पर दबाव (Heimlich) की कोशिश करें।
  • दौरे (Seizure): व्यक्ति को जगह दें, सिर को सुरक्षित रखें, कुछ भी मुंह में न डालें और टाइमर से समय नापें।

स्टार्टिंग टिप्स और क्या साथ रखें

स्टroke और दिल के दौरे को जल्दी पहचानना ज़रूरी है — FAST तरीका याद रखें: Face (चेहरा झुक गया या असमान), Arm (एक हाथ कमजोर), Speech (बोलने में दिक्कत), Time (समय है, तुरंत मदद लें)।

घरेलू इमरजेंसी किट में ये रख लें: बैंडेज, एंटीसेप्टिक, सैनीटाइज़्ड गॉज़, पेनकिलर (पैरा), थर्मामीटर, अपनी नियमित दवाइयाँ, एलर्जी व मेडिकल जानकारी की कॉपी और बीमा/राशन नंबर। इन नंबरों को फोन में 'Favorites' में रखें: 112 (राष्ट्रीय इमरजेंसी), राज्य एम्बुलेंस (102/108 जहाँ लागू हो), निकटतम हॉस्पिटल का नंबर।

एंबुलेंस बुलाने और निजी वाहन से ले जाने के निर्णय ऐसे लें: मुश्किल सांस, चुप्पी/बेहोशी, भारी खून बहना, तेज़ सीना-दरद या स्ट्रोक के लक्षणों में एम्बुलेंस बुलाएँ। चोट थोड़ी हो और व्यक्ति स्थिर हो तो तेज़ वाहन मददगार रहेगा। बेहोश व्यक्ति को कभी अकेले कार में नहीं बैठाइए जब तक किसी प्रशिक्षित व्यक्ति साथ न हो।

आखिर में, calm रहना सबसे बड़ा हाथ है। अभी जो करना है वही करें: नंबर डायल करें, सुरक्षा प्राथमिकता रखें और अस्पताल पहुंचाते समय जरूरी दवाइयाँ व पहचान साथ ले जाएँ। ऐसे सरल कदम अक्सर जान बचा देते हैं।

थैंक्सगिविंग पर पत्नी का अनुभव: जीवन की मूल्यवान सीख

Posted By Krishna Prasanth    पर 28 नव॰ 2024    टिप्पणि (0)

थैंक्सगिविंग पर पत्नी का अनुभव: जीवन की मूल्यवान सीख

एक लेखक के लिए थैंक्सगिविंग का त्योहार अचानक तब बदल गया जब उनकी पत्नी गंभीर चिकित्सा स्थिति में अस्पताल पहुँची। इस अनुभव ने उत्सव को उनके लिए भावनात्मक रूप से विशेष बना दिया है। लेख उन्हें इस आयोजन के माध्यम से जीवन के मूल्यवान पाठ और परिवार की महत्ता को याद दिलाता है।

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