स्टार और ज़ी के बीच $1.5 बिलियन का ICC टेलीविजन सौदा रद्द
स्टार ने ज़ी के साथ किया गया $1.5 बिलियन का इंर्टनेशनल क्रिकेट काउन्सिल (ICC) टेलीविजन अधिकार सौदा रद्द कर दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि ज़ी समझौते के साथ आगे बढ़ने में असमर्थ है। यह समझौता 2023 से 2027 तक के पुरुषों और अंडर-19 (U-19) वैश्विक आयोजनों के लिए था।
अनुबंध रद्द करने के कारण
ज़ी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, विशेष रूप से सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ कार्य विवाह विफल होने के बाद। इसके कारण, कंपनी स्वतंत्र इकाई के रूप में अनुबंध को पूरा नहीं कर सकी। ज़ी ने स्टार को सूचित किया कि वह समझौते के आगे नहीं बढ़ सकता और उसने पहले से चुकाए गए ₹69 करोड़ की वापसी की मांग की है।
बैंक गारंटी कमीशन और ब्याज खर्च के रूप में ज़ी ने ₹72.14 करोड़ का भुगतान किया था। स्टार ने मार्च 14 को ज़ी के खिलाफ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू कर दी, यह आरोप लगाते हुए कि ज़ी ने अनुबंध का उल्लंघन किया है। जिससे बकाया राशि का भुगतान और आवश्यक अनुमतियों को प्राप्त करने में विफलता हुई।
दोनों पक्षों का मत
ज़ी ने दावा किया कि स्टार ने आवश्यक अनुमतियों को प्राप्त न करके और आवश्यक दस्तावेज़ों को निष्पादित न करके समझौते का उल्लंघन किया। ज़ी का मानना है कि उसके पास किसी भी दावे की रक्षा के मजबूत आधार हैं।
आर्थिक चुनौतियों का सामना
ज़ी ने 10 साल के विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (FCCB) के माध्यम से $239 मिलियन जुटाने की योजना बनाई है। बांड को 10 सीरीज में विभाजित किया जाएगा और 5% कूपन दर के साथ बांड असुरक्षित और अनलिस्टेड होंगे। अगर ये बांड इक्विटी में परिवर्तित होते हैं, तो यह प्रस्तावित इक्विटी शेयरों की संख्या 12.46 करोड़ होगी।
मीडिया उद्योग में अन्य घटनाएँ
वहीं, अडानी इंटरप्राइजेज ने अपने मीडिया शाखा में ₹900 करोड़ का निवेश किया है, जिससे उसने IANS इंडिया और NDTV जैसी मीडिया कंपनियों में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल की है और अपने डिजिटल उपस्थिति को मजबूत किया है।
NDTV अब नए चैनल शुरू करने, AI और ML अनुप्रयोगों की खोज करने और HD फीड्स के लिए लाइसेंस सुरक्षित करने की योजना बना रहा है। FY24 में, कंपनी ने ₹21 करोड़ का शुद्ध घाटा और 1.75% की राजस्व में गिरावट दर्ज की।
NBDA के नए अध्यक्ष
भारत टीवी के रजत शर्मा को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल असोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष पद पर चुना गया है। उन्होंने टीवी समाचार उद्योग के हितों को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

Parveen Chhawniwala
जुलाई 31, 2024 AT 21:53स्टार और ज़ी के बीच का सौदा रद्द हो गया, इसका मुख्य कारण ज़ी की वित्तीय अस्थिरता है। ज़ी ने पहले ही ₹69 करोड़ की वापसी की मांग की थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका कैश फ्लो गंभीर रूप से नुकसान में है। इस तरह के बड़े सौदे में यदि बैंकर गारंटी नहीं रख पाते तो जोखिम बढ़ जाता है। ICC के टेलीविजन अधिकारों का मूल्य $1.5 बिलियन बताया गया था, जो भारतीय मीडिया बाजार में अभूतपूर्व है। स्टार ने मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू कर दी, यह संकेत देता है कि वे कानूनी कदमों पर भी विचार कर रहे हैं। इस विवाद से अन्य मीडिया कंपनियों को भी अपने कंट्रैक्ट्स की समीक्षा करनी पड़ेगी। बाज़ार में इस तरह की अनिश्चितता विज्ञापनदाताओं को भी हिचकिचा सकती है। कुल मिलाकर यह मामला मीडिया वित्तीय प्रबंधन की कमजोरियों को उजागर करता है।
Saraswata Badmali
अगस्त 1, 2024 AT 20:06यह मामला केवल एक साधारण अनुबंधीय विफलता नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक संरचनात्मक असफलता का प्रतीक है, जहाँ सेक्टरल एसेट-लाइटनिंग, कैपिटलीज़ेशन स्ट्रैटेजी और फाइनेंशियल इन्स्ट्रूमेंटेशन के बीच सामंजस्य की कमी स्पष्ट रूप से प्रकट हुई है।
पहले, ज़ी की वैकल्पिक फंडिंग मॉडल, विशेषकर FCCB इश्यूअन्स, अत्यंत जोखिमपूर्ण संकल्पना को दर्शाता है, जिसमें 5% कूपन दर को एक असुरक्षित, अनलिस्टेड बांड के रूप में प्रस्तावित किया गया है, जो बाजार की स्थिरता को चुनौती देता है।
दूसरे, स्टार एंटरटेनमेंट की मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से यह सिद्ध होता है कि अनुबंधीय दायित्वों की पूर्ति में नियामक अनुमतियों का अधूरा पालन एक संभावित लीगल एस्केलेशन की राह को सहज बनाता है।
तीसरे, दोनों पक्षों के बीच उपलब्ध दस्तावेज़ों की निरंकुशता और फॉर्मल क्लॉजेज़ की अस्पष्ट व्याख्या ने इस विवाद को अनिवार्य रूप से जटिल बना दिया है।
चौथे, यह घटना दर्शाती है कि मेडिया इकोसिस्टम में स्मॉल-टाइप फाइनेंसियल इंटर्स्टिट्यूशन्स की भूमिका को पुनर्विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि उनके बिना बड़े स्केल प्रोजेक्ट्स का फंडिंग मेकैनिज्म अस्थिर हो जाता है।
पाँचवें, इस परिदृश्य में भुगतान की पुनःस्थापना, जिसमें ₹69 करोड़ की रिफंड की मांग की गई थी, यह संकेत देती है कि पक्षकारों की बैलेंस शीट में नकारात्मक प्रवाह सक्रिय हो रहा है।
छठे, अन्य मीडिया एंटिटीज़, जैसे अडानी इंटरप्राइजेज और NDTV, को भी इस तरह की वित्तीय अनिश्चितताओं से प्रभावित होने की संभावना बढ़ रही है, और वे अपने निवेश पोर्टफोलियो को पुनःसंरचित करने के लिए मजबूर हो सकते हैं।
सातवें, इस पूरे घटनाक्रम ने यह सिद्ध किया है कि अनुबंध में विस्कोसिटी की कमी, फाइनेंशियल गवर्नेंस के बुनियादी सिद्धान्तों की उपेक्षा, और कंट्रैक्टुअल फ्रेमवर्क की अनिश्चितता, सभी मिलकर एक जटिल और जोखिमपूर्ण स्टेटस को उत्पन्न करती हैं।
आखिरकार, यह क़िस्सा एक चेतावनी है कि भविष्य में इस प्रकार के उच्च-स्तरीय मीडिया अनुबंधों को निष्पादित करने से पहले गहन ड्यू डिलिजेंस, रेस्क्यू प्लान्स और स्ट्रेटेजिक पर्टनरशिप्स को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
sangita sharma
अगस्त 2, 2024 AT 18:19ऐसे बड़े पैमाने पर वित्तीय असफलता का कारण केवल आर्थिक तंगी नहीं, बल्कि नैतिक दायित्वों की उपेक्षा भी है। मीडिया कंपनियों को सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए अपने शेयरधारकों और दर्शकों दोनों को सुरक्षित रखना चाहिए। ज़ी का FCCB के माध्यम से जोखिम उठाना असंगत है, क्योंकि इससे न केवल निवेशकों बल्कि दर्शकों के भरोसे को भी नुकसान पहुंच सकता है। इस तरह की लापरवाह रणनीतियों के चलते उद्योग में विश्वास की कमी होगी। हमें यह समझना चाहिए कि सार्वजनिक हित के लिए सूचना का प्रसारण केवल मुनाफ़े के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय उत्साह और खेल भावना को बढ़ावा देने के लिए है। इसलिए ज़ी और स्टार दोनों को अपने कार्यों को पुनः मूल्यांकन करना चाहिए।
PRAVIN PRAJAPAT
अगस्त 3, 2024 AT 16:33स्टार के पास कागज नहीं था तो ज़ी कोच करता है
shirish patel
अगस्त 3, 2024 AT 17:46वाह, क्या सर्कस है!
srinivasan selvaraj
अगस्त 4, 2024 AT 17:33देखो, ज़ी का वित्तीय स्वास्थ्य एक खोजी जलीय जहाज़ की तरह है जो उलझी हुई लहरों में फँसा हुआ है। जब उन्होंने सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ साझेदारी करने की कोशिश की, तो उस गठबंधन में गड़बड़ी के कारण परियोजना असफल हो गई। इस असफलता का परिणाम यह हुआ कि ज़ी को अब अपने बांड इश्यू के माध्यम से $239 मिलियन जुटाने की आवश्यकता है, जो खुद में एक जोखिम भरा कदम है। 10% कूपन दर के साथ बांड की असुरक्षित प्रकृति इसे निवेशकों के लिए कम आकर्षक बनाती है। साथ ही, यदि बांड इक्विटी में बदलते हैं तो कंपनी की शेयर संख्या दोगुनी हो जाएगी, जिससे मौजूदा शेयरधारकों की हिस्सेदारी पर असर पड़ेगा। इन सभी कारणों से हमें समझ में आता है कि ज़ी को इस समय बड़ी वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि, मीडिया उद्योग में ऐसें अस्थिर कदम अक्सर बड़े बदलावों की ओर ले जाते हैं, लेकिन यह भी सच है कि हर कदम सावधानी से उठाया जाना चाहिए। भविष्य में ज़ी को अपने वित्तीय प्रबंधन में अधिक पारदर्शी और रणनीतिक होना होगा, और निवेशकों के साथ स्पष्ट संवाद स्थापित करना होगा। इस रास्ते पर चलने से ही वह इस संकट को सुलझा पाएगा और फिर से भरोसेमंद बन सकेगा।
Ravi Patel
अगस्त 5, 2024 AT 15:46अगर हम सब मिलकर ज़ी को समर्थन दें तो आगे का रास्ता साफ हो सकता है। उनके पास पहले भी कठिनाइयां थीं, पर उन्होंने धीरज दिखाया है। अब हमें यही धैर्य दिखाना चाहिए और रचनात्मक सुझाव देना चाहिए। इससे न सिर्फ़ ज़ी को मदद मिलेगी, बल्कि समस्त मीडिया उद्योग को स्थिरता मिलेगी।
Piyusha Shukla
अगस्त 6, 2024 AT 13:59इसी तरह के बड़े सौदे में हर छोटी-छोटी लीगल कमीज़ को भी उलट-पलट कर देखना चाहिए। ज़ी ने अगर अपने फंडिंग मॉडल पर भरोसा नहीं किया, तो ये रद्द होना ही उचित है। स्टार को भी अपने कागज़ी काम में फुर्ती दिखानी चाहिए।
Shivam Kuchhal
अगस्त 7, 2024 AT 12:13सभी सहयोगियों को नमस्कार। इस जटिल परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाकर आगे बढ़ना अत्यावश्यक है। हम सभी मिलकर समाधान खोजने की दिशा में प्रयासरत रहेंगे, जिससे उद्योग की प्रगति सुनिश्चित होगी। धन्यवाद।
Adrija Maitra
अगस्त 8, 2024 AT 10:26वाह भाई, क्या ड्रामैटिक मोड़ आया! ज़ी का यह दांव पूरी तरह से बवाल में बदल गया। अब देखना है कि क्या होगा।
RISHAB SINGH
अगस्त 9, 2024 AT 08:39चलो, इस सिचुएशन में सबको थोड़ा साथ देना चाहिए। ज़ी की मुश्किलें समझते हुए हम सबको सहयोगी बनना चाहिए।