2004 में पाकिस्तान के नाभिकीय कार्यक्रम के जनक अब्दुल कादिर खान को गिरफ्तार किए जाने के बाद दुनिया भर में एक रहस्य छिपा था — क्या अमेरिका ने उन्हें मारने की योजना बनाई थी? अब दो पूर्व CIA अधिकारियों के बयानों ने इस रहस्य का खुलासा कर दिया है। जॉन किरियाकौ ने बताया कि सऊदी अरब के तत्कालीन दबाव ने अमेरिकी सरकार को खान को निशाना बनाने से रोक दिया था। वहीं, जेम्स लॉलर, जिन्हें CIA में 'मैड डॉग' कहा जाता था, ने खुलासा किया कि खान ने ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को नाभिकीय तकनीक बेची थी — एक ऐसा नेटवर्क जिसे अमेरिका ने 'वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा' माना।
सऊदी अरब ने कैसे बचाया खान को?
जॉन किरियाकौ, जो सीनेट विदेश संबंध समिति के साथ काम करते थे, ने बताया कि CIA के पास खान के घर, उनकी दिनचर्या और आम रास्तों की पूरी जानकारी थी। "हम उन्हें मार सकते थे, बस एक आदेश देना था," उन्होंने कहा। "लेकिन जब सऊदी अरब के अधिकारी हमारे पास आए और कहा — उन्हें छोड़ दो — तो हम रुक गए।" उन्होंने यह भी बताया कि सऊदी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे खान के साथ काम कर रहे हैं, और फैसलाबाद को राजा फाइसल के नाम पर रखा गया था — एक संकेत कि सऊदी अरब का इस नेटवर्क में गहरा हिस्सा था। किरियाकौ ने बताया कि व्हाइट हाउस ने भी खान के खिलाफ कार्रवाई रोकने का आदेश दे दिया था। "इसका मतलब था कि अमेरिका के लिए खान का नाभिकीय कार्यक्रम एक राजनीतिक उपकरण बन गया था," उन्होंने कहा। क्या सऊदी अरब भी अपना परमाणु हथियार बनाने की योजना बना रहा था? यह सवाल अभी तक बिना जवाब का है। लेकिन एक बात साफ है — जब तक खान जिंदा था, तब तक उसके साथ गहरे राजनीतिक रिश्ते बने रहे।"मर्चेंट ऑफ डेथ" का खुलासा
दूसरी ओर, जेम्स लॉलर ने खान के नाभिकीय गुप्तचर नेटवर्क के खुलासे की कहानी साझा की। 2004 में, जब जॉर्ज टेनेट, तब के CIA प्रमुख, परवेज मुशर्रफ के सामने खान के गुप्त अपराधों के सबूत रखे, तो मुशर्रफ का प्रतिक्रिया बेहद गुस्से वाला था। "उन्होंने चिल्लाकर कहा — यह कैसे संभव है?" लॉलर ने बताया। "लेकिन जल्द ही पता चला कि कुछ पाकिस्तानी जनरल खान के वेतन पर काम कर रहे थे।" इसलिए लॉलर ने खान को 'मर्चेंट ऑफ डेथ' कहा — एक ऐसा व्यक्ति जिसने नाभिकीय तकनीक को बाजार में बेच दिया। लॉलर के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी मूल रूप से सोचते थे कि खान केवल पाकिस्तान के लिए तकनीक इकट्ठा कर रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे, एक अंतरराष्ट्रीय जासूसी अभियान शुरू हुआ। लीबिया में 2003 के अंत में, CIA और MI6 के अधिकारी एक अज्ञात विमान में सवार हो रहे थे — जिसमें खान के नेटवर्क के दस्तावेज और उपकरण शामिल थे। इन दस्तावेजों ने साबित किया कि खान ने न केवल डिजाइन बेचे, बल्कि उन्हें लीबिया के नेता मुआम्मर खदाफी के हाथों में सौंप दिया।मुशर्रफ का झूठ और खान का बदला
2004 में मुशर्रफ ने खान को घर के अंदर निर्वासित कर दिया। उन्होंने खान को आधिकारिक तौर पर दोषी ठहराया। लेकिन खान ने बाद में दावा किया कि उन्हें बलपूर्वक यह सब करने के लिए मजबूर किया गया था। "मुशर्रफ और बेनजीर भुट्टो दोनों ने मुझे दबाव डाला," उन्होंने कहा। यह बयान उनके घर के अंदर बंद रहने के चार साल बाद सामने आया — जब उन्हें जनता का नायक माना जाता था, लेकिन पश्चिम उन्हें एक खतरनाक अपराधी मानता था। लॉलर ने सऊदी दबाव के बारे में अपनी राय भी व्यक्त की। "2001 के बाद नाभिकीय फैलाव को लेकर अमेरिका की चिंता बढ़ गई। लीबिया एक आतंकवादी राज्य था। हम उसे नियंत्रित करना चाहते थे।" उन्होंने कहा कि सऊदी अरब का खान के साथ संबंध एक बाद की बात थी — मुख्य खतरा तो लीबिया और ईरान थे।क्यों यह मामला अभी भी मायने रखता है?
खान की मृत्यु 10 अक्टूबर 2021 को कोविड-19 के कारण हुई, लेकिन उनके नेटवर्क का प्रभाव आज भी जीवित है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम, उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल, और लीबिया में अब भी छिपे हुए नाभिकीय सामग्री — सबका जड़ खान से जुड़ा है। वैश्विक अणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी बाद में स्वीकार किया कि खान के नेटवर्क ने अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण प्रणाली को बुनियादी तौर पर कमजोर कर दिया। आज, जब भी किसी देश को नाभिकीय तकनीक के लिए शक किया जाता है, तो पहला सवाल यही उठता है — क्या यह खान के नेटवर्क का हिस्सा है?क्या आज भी कोई खान है?
इस बात का अंदाजा लगाना आसान नहीं कि आज किसी और वैज्ञानिक ने खान की तरह एक गुप्त नेटवर्क बनाया है। लेकिन एक बात स्पष्ट है — जब राष्ट्रीय हित और वैश्विक सुरक्षा आमने-सामने आ जाएं, तो नियम टूट जाते हैं। सऊदी अरब का खान के साथ संबंध, या पाकिस्तानी सैन्य नेताओं का उनके साथ भागीदारी — ये सब बताते हैं कि नाभिकीय हथियारों का गुप्त व्यापार कभी खत्म नहीं होगा। बस इसका रूप बदल जाता है।अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या सऊदी अरब ने अब्दुल कादिर खान को नाभिकीय तकनीक दी?
कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिला है कि सऊदी अरब ने खान से तकनीक प्राप्त की। लेकिन पूर्व CIA अधिकारी जॉन किरियाकौ के अनुसार, सऊदी अधिकारियों ने अमेरिका को खान को नुकसान नहीं पहुंचाने के लिए दबाव डाला। इसका मतलब यह है कि वे उसके नेटवर्क का हिस्सा थे — शायद भविष्य में अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू करने के लिए।
अब्दुल कादिर खान ने किन देशों को नाभिकीय तकनीक दी?
पूर्व CIA अधिकारी जेम्स लॉलर ने पुष्टि की कि खान ने ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को नाभिकीय डिजाइन और उपकरण बेचे। लीबिया में 2003 में CIA और MI6 के अधिकारियों ने खान के नेटवर्क से संबंधित दस्तावेज और उपकरण जब्त किए थे। ये दस्तावेज आज भी अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण के लिए आधार बनते हैं।
क्यों भारत और भारतीय समाचार इस मामले पर चुप हैं?
भारतीय मीडिया ने इस मामले पर कम ध्यान दिया, क्योंकि भारत का नाभिकीय कार्यक्रम अलग इतिहास रखता है। लेकिन यह तथ्य कि एक वैज्ञानिक ने तीन देशों को नाभिकीय तकनीक बेची, भारत के लिए एक चेतावनी है — कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर भी अंदरूनी दुरुपयोग संभव है।
क्या पाकिस्तानी सेना ने खान के गुप्तचर नेटवर्क को स्वीकार किया?
नहीं। जेम्स लॉलर ने स्पष्ट किया कि यह पाकिस्तान की आधिकारिक नीति नहीं थी, बल्कि कुछ जनरलों और अधिकारियों का व्यक्तिगत षड्यंत्र था। खान के वेतन पर काम करने वाले अधिकारी उसे आर्थिक और राजनीतिक समर्थन देते थे। यह एक आंतरिक अपराध है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर छिपाया गया।
खान के मरने के बाद भी क्या नाभिकीय खतरा बना हुआ है?
हां। खान के द्वारा बेची गई तकनीक अभी भी ईरान और उत्तर कोरिया में इस्तेमाल हो रही है। लीबिया में जब्त किए गए डिजाइन अभी भी अंतरराष्ट्रीय निगरानी के लिए आधार बने हुए हैं। यह एक ऐसा विरासत है जिसे नियंत्रित करना आज भी दुनिया के लिए चुनौती है।
क्या अमेरिका ने खान के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई की?
अमेरिका ने खान को नहीं मारा, न ही उन्हें गिरफ्तार किया। लेकिन 2004 में उनके नेटवर्क का खुलासा करके उन्हें घर के अंदर बंद कर दिया गया। यह एक राजनीतिक समाधान था — नाभिकीय फैलाव को रोकने के लिए एक शांतिपूर्ण तरीका, लेकिन एक असफल नीति भी, क्योंकि खतरा अभी भी बना हुआ है।

Alok Kumar Sharma
नवंबर 26, 2025 AT 23:20ये सब तो पुरानी बात है, पर अभी तक कोई नहीं बता पाया कि सऊदी ने खान से कितना पैसा दिया।
Tanya Bhargav
नवंबर 28, 2025 AT 10:47इतनी बड़ी बात है और हमारे मीडिया चुप क्यों हैं? ये जासूसी नेटवर्क तो भारत के लिए भी खतरा है, पर कोई चिंता नहीं कर रहा।
हम तो अपने घर की बातें ही देख रहे हैं।
Sanket Sonar
नवंबर 29, 2025 AT 15:24खान का नेटवर्क एक डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम था - एक व्यक्ति ने नहीं, एक सिस्टम ने बनाया।
इसका असली खतरा ये नहीं कि वो तकनीक बेच रहा था, बल्कि ये कि राष्ट्रीय अधिकारियों ने उसे अपना टूल बना लिया।
साइबर सुरक्षा में भी ऐसा ही होता है - एक लीक से पूरा इकोसिस्टम खतरे में पड़ जाता है।
pravin s
नवंबर 30, 2025 AT 18:47अगर ये सच है तो ये तो बहुत बड़ी बात है।
क्या हम भी कभी ऐसे ही किसी वैज्ञानिक को बचा लेंगे अगर वो हमारे लिए काम कर रहा हो?
Ambika Dhal
दिसंबर 1, 2025 AT 03:47अब्दुल कादिर खान को नायक बनाना बिल्कुल गलत है।
एक आदमी ने दुनिया के लाखों लोगों की जान खतरे में डाल दी - और अब उसे नायक बनाया जा रहा है?
ये भारतीय दिमाग की बीमारी है - जो कुछ भी हमारे दुश्मन के खिलाफ करता है, उसे ही बड़ा बना देते हैं।
ये नहीं कि वो तकनीक बेच रहा था, ये ये कि वो नाभिकीय आतंक का आधार बन गया।
क्या आप जानते हैं कि उसके डिजाइन से लाखों बच्चे मर सकते हैं?
और फिर भी आप उसकी तारीफ कर रहे हैं?
ये तो बस एक अपराधी है, नायक नहीं।
अगर ये सच है कि सऊदी ने उसे बचाया, तो सऊदी भी एक अपराधी है।
हम इस तरह की बातों को नहीं बढ़ावा देना चाहिए।
ये तो नैतिकता का बहुत बड़ा अपराध है।
Vaneet Goyal
दिसंबर 2, 2025 AT 23:55क्या आप जानते हैं कि जब खान ने लीबिया को डिजाइन दिया, तो उसके बाद कितने लोग मारे गए? एक बार नाभिकीय हथियार फैल गए, तो उन्हें वापस नहीं लिया जा सकता।
और फिर भी, अमेरिका ने उसे नहीं मारा? क्या ये न्याय है? ये तो एक अपराधी को बचाना है, जो दुनिया के लिए खतरा है।
इसका नतीजा आज भी दिख रहा है - ईरान, उत्तर कोरिया, और अब शायद सऊदी भी।
ये सब एक ही जड़ से निकला है।
और हम अभी भी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।
Amita Sinha
दिसंबर 3, 2025 AT 11:01बस इतना ही बताओ कि सऊदी ने खान को बचाया तो फिर भारत क्यों चुप है? 😔
हम तो अपने घर की बातें ही देख रहे हैं।
क्या हम अपने वैज्ञानिकों को भी बेच देंगे अगर किसी देश ने पैसा दिया? 😭
Bhavesh Makwana
दिसंबर 4, 2025 AT 09:23ये कहानी सिर्फ एक वैज्ञानिक की नहीं है - ये दुनिया की नीतियों की कहानी है।
जब राष्ट्रीय हित और नैतिकता आमने-सामने आ जाती हैं, तो हमेशा हित जीत जाता है।
खान को बचाने का फैसला नहीं एक व्यक्ति का था - ये एक सिस्टम का था।
और आज भी वही सिस्टम चल रहा है - बस नाम बदल गया है।
अगर हम इसे समझ नहीं पाए, तो अगला खान किसी और देश का होगा।
और अगली बार शायद हमारा।
Vidushi Wahal
दिसंबर 5, 2025 AT 17:34मुझे लगता है कि इसका सबसे बड़ा सबक ये है कि जब तक राजनीति में अपराधी बने रहेंगे, तब तक नाभिकीय खतरा खत्म नहीं होगा।
हम तो बस बाहर से देख रहे हैं - अंदर की बातें किसी को नहीं पता।
Narinder K
दिसंबर 7, 2025 AT 08:40तो अब सऊदी अरब ने खान को बचाया... और अब वो भी परमाणु हथियार बना रहा है? 😏
अमेरिका का बस यही फॉर्मूला है - जो बेच रहा है, उसे बचाओ। जो खरीद रहा है, उसे नीचा दिखाओ।
Narayana Murthy Dasara
दिसंबर 9, 2025 AT 01:38मुझे लगता है कि खान के बारे में बात करना जरूरी है, लेकिन उसे बदनाम करना या नायक बनाना दोनों गलत है।
वो एक इंसान था - जिसने अपनी देशभक्ति को एक अलग तरीके से दिखाया।
और अमेरिका ने उसे बचाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगा कि उसका नेटवर्क अब बहुत बड़ा हो चुका है।
हमें इस तरह के राजनीतिक फैसलों को समझना चाहिए, न कि उन पर निंदा करना।
अगर हम इसे बेहतर समझेंगे, तो अगली बार ऐसा नहीं होगा।
lakshmi shyam
दिसंबर 10, 2025 AT 07:43ये सब बकवास है। खान एक धोखेबाज है, और सऊदी उसके साथ खेल रहे हैं।
भारत का मीडिया चुप क्यों है? क्योंकि वो भी डर रहा है।
अगर एक वैज्ञानिक ने तीन देशों को नाभिकीय तकनीक बेच दी, तो भारत के वैज्ञानिक क्या कर रहे हैं?
क्या हम भी अपने लिए कुछ छिपा रहे हैं?
ये तो एक बड़ा घोटाला है।