के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 7 जून 2025 टिप्पणि (0)

RBI ने दिखाई आक्रामकता, ब्याज दरें छह साल की सबसे बड़ी कटौती पर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 जून, 2025 को जो कदम उठाया, वह हाल के वर्षों की सबसे आक्रामक नीति में गिना जाएगा। रेपो रेट में सीधी 50 बेसिस अंक की कटौती कर इसे 5.5% तक ले आया गया है। साथ ही कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) को 100 बेसिस अंक घटाकर 3% किया गया है, जो चार बार के चरणों में सितंबर से लागू होगी। यह फैसला ऐसे समय आया है जब महंगाई की रफ्तार पिछले छह साल में सबसे धीमी हो चुकी है। वायरल खबरों से आगे, जब कोई इतना बड़ा मोनेटरी कदम उठता है, तो इसका असर सीधा आपकी जेब पर पड़ता है।
अब अगर आप होम लोन चुके रहे हैं, तो आपके लिए ये रेट कट बड़ा तोहफा है। कर्ज पर ब्याज का बोझ कम होगा और EMI में कम-से-कम ₹1,500 मासिक की राहत मिल सकती है। बैंकों को नई रकम देने के लिए RBI ने CRR में भी कटौती की है जिससे अनुमानित ₹2.5 लाख करोड़ सिस्टम में आएंगे। मौजूदा दौर में जब कई देशों के सेंट्रल बैंक शानदार ग्रोथ पर भी सतर्क हैं, RBI ने घरेलू विकास को प्राथमिकता देने का इशारा दिया है। ये पश्चिमी देशों—खासतौर पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व—से एकदम अलग रास्ता है।
महंगाई में सुस्ती, आगे क्या हैं संभावनाएँ?
यह सब संभव हुआ क्योंकि अप्रैल में उपभोक्ता महंगाई (CPI) 3.2% रह गई थी — छह साल का सबसे निचला स्तर। खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में गिरावट का बड़ा योगदान रहा है। RBI के बड़े अफसर संजय मल्होत्रा ने कह तो दिया कि पॉलिसी के विकल्प सीमित हैं, मगर फिलहाल भरोसा साफ नजर आता है। फिर भी, उनका इशारा है कि कटौतियों का अगला कदम बिना वजह नहीं आएगा, इसके लिए और महंगाई के आंकड़ों का इंतजार होगा।
एसबीआई के जानकार सौम्य कान्ति चौधरी की माने तो RBI अक्टूबर 2025 में और 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर सकता है और इसके बाद फरवरी 2026 में भी ऐसा ही कुछ हो सकता है। ऐसे में उम्मीद है कि रेपो रेट 5% तक भी पहुंच सकता है। वहीं, MUFG रिसर्च का मानना है कि इन कटौतियों की आगे की राह सिर्फ तब खुलेगी जब महंगाई में और गिरावट आ जाए। उनका अनुमान है कि दिसंबर 2025 तक रेट 5.25% रह सकती है।
- RBI का ये कदम बैंकों की लिक्विडिटी बढ़ाएगा और कर्ज लेने–देने को रफ्तार देगा।
- होम लोन ही नहीं, कुल कर्ज सस्ता होने से मार्केट में फाइनेंस का प्रवाह तेज होने की उम्मीद है।
- फिर भी, RBI ने पॉलिसी को ‘न्यूट्रल’ स्टांस ही रखा है। यह दिखाता है कि भले अभी राहत है, लेकिन हर कदम वैश्विक अनिश्चितताओं की निगरानी के साथ ही उठाया जा रहा है।
तो फिलहाल ग्राहकों और बैंकों, दोनों के लिए अच्छी खबर है, लेकिन RBI की नजरें महंगाई व वैश्विक संकेतों पर टिकी रहेंगी।