के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 5 अप्रैल 2025    टिप्पणि (15)

राजकुमार राव और पत्रलेखा ने 2025 के महाकुम्भ मेले में लिया हिस्सा, सांस्कृतिक विरासत पर जोर

बॉलीवुड अभिनेता राजकुमार राव और उनकी पत्नी पत्रलेखा ने 2025 के महाकुंभ मेले में शिरकत करके धार्मिक अनुभवों का आनंद लिया। प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान के दौरान उन्होंने देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं के साथ इस विशाल आध्यात्मिक आयोजन का हिस्सा बनकर गर्व महसूस किया। इस बार का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित किया गया।

राजकुमार और पत्रलेखा ने परमार्थ निकेतन आश्रम में रहकर स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती जैसे धार्मिक नेताओं का आशीर्वाद लिया। राजकुमार ने इस आयोजन को 'सुंदर तरीके से आयोजित' बताया और भारत की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने के इस अद्भुत मौके के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

इस दौरान उन्होंने डॉ. स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, जो कि किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं, से मुलाकात की। स्वामी जी ने राजकुमार के LGBTQ+ के प्रतिनिधित्व में उनके काम की सराहना की और सिनेमा में और समावेशी कहानियों को प्रेरित करने के लिए प्रेरित किया। राजकुमार ने अपने पूर्व के कुंभ मेला के अनुभव को याद करते हुए इसे जीवन में बदलाव लाने वाला बताया, जो आध्यात्मिक विकास और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।

इस महाकुंभ मेले में अन्य प्रसिद्ध हस्तियों ने भी हिस्सा लिया, जिनमें हेमा मालिनी, अनुपम खेर और कुमार विश्वास प्रमुख हैं। राजकुमार ने इस पुण्य स्नान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह विशाल आध्यात्मिक उत्सव का हिस्सा बनने की खुशी अनमोल है।

15 Comments

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    Anushka Madan

    अप्रैल 5, 2025 AT 19:24

    ऐसे आध्यात्मिक कार्यक्रमों में सच्ची श्रद्धा चाहिए, नहीं तो दिल में ठहराव रहता है।

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    nayan lad

    अप्रैल 8, 2025 AT 02:57

    नया साल, नया अनुभव। राजकुमार जी ने महाकुंभ में भाग लेकर संस्कृति को आगे बढ़ाया।

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    Agni Gendhing

    अप्रैल 10, 2025 AT 10:30

    ओह! क्या बात है, बहुत बड़ा जलसा!!! पर क्या ये सच में आध्यात्मिक है??? उल्टा लगता है...??

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    Jay Baksh

    अप्रैल 12, 2025 AT 18:04

    देश की धरती पर हमारे ही लोग होना चाहिए, विदेशी झुकाव नहीं! यह महाकुंभ हमारी पहचान का प्रतीक है।

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    Ramesh Kumar V G

    अप्रैल 15, 2025 AT 01:37

    इतिहास बताता है कि कुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है, और इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।

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    Gowthaman Ramasamy

    अप्रैल 17, 2025 AT 09:10

    महाकुंभ में भाग लेकर राष्ट्रीय एकता की भावना को सुदृढ़ किया गया। धन्यवाद। 😊🙏

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    Navendu Sinha

    अप्रैल 19, 2025 AT 16:44

    राजकुमार राव और पत्रलेखा की उपस्थिति ने इस महाकुंब को और भी खास बना दिया।
    उन्होंने त्रिवेणी संगम में स्नान करके आध्यात्मिक शुद्धि का अनुभव किया।
    इस प्रकार का धार्मिक आयोजन भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को दर्शाता है।
    अनेक श्रद्धालु इस अवसर पर अपने मन की शांति और मोक्ष की कामना लेकर आते हैं।
    कुंभ के दौरान आस-पास के गाँवों में भी आर्थिक लहर दौड़ती है, जिससे स्थानीय स्तर पर विकास होता है।
    राजकुमार जी ने साध्वी भगवती सरस्वती और स्वामी चिदानंद सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त किया।
    यह दिखाता है कि बॉलीवुड और धर्म के बीच में भी एक पुल बना रहता है।
    लिंग विविधता के प्रतिनिधि के रूप में राजकुमार की मुलाक़ात डॉ. स्वामी लक्ष्मी नारayan त्रिपाठी से एक सामाजिक संदेश प्रदान करती है।
    इस संवाद ने समावेशी विचारों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर किया।
    महाकुंभ का समय-जनवरी से फ़रवरी-भारत के सर्दियों के अंत को दर्शाता है।
    इस अवधि में कई पर्यटक भी आए, जिससे सांस्कृतिक आदान‑प्रदान बढ़ता है।
    यह आयोजन राष्ट्रीय एकता को भी सुदृढ़ करता है, क्योंकि विभिन्न प्रदेशों के लोग एक साथ स्नान करते हैं।
    धार्मिक नेताओं की भागीदारी इस बात की पुष्टि करती है कि आध्यात्मिकता और सामाजिक जिम्मेदारी साथ चल सकती है।
    राजकुमार ने इस अनुभव को 'जीवन में बदलाव लाने वाला' कहा, जो दर्शाता है कि व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास सामाजिक परिवर्तन से जुड़ा है।
    अंत में, महाकुंब न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक विरासत की निरंतरता भी है।

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    reshveen10 raj

    अप्रैल 22, 2025 AT 00:17

    वाह! क्या धमाल है, महाकुंभ में सितारे भी इकट्ठा हो गए! ए ऊर्जा!

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    Navyanandana Singh

    अप्रैल 24, 2025 AT 07:50

    आपके विस्तृत वर्णन ने इस आयोजन की गहराई को उजागर किया। लेकिन क्या हम आध्यात्मिकता को वाणिज्यिक लाभ से नहीं बिगाड़ रहे? सोचने वाली बात है।

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    monisha.p Tiwari

    अप्रैल 26, 2025 AT 15:24

    आपकी चिंता वैध है, लेकिन श्रद्धा और व्यवहार में संतुलन संभव है। सभी को सम्मान देना ही रास्ता है।

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    Nathan Hosken

    अप्रैल 28, 2025 AT 22:57

    महाकुंभ का आयोजन यू.एस.पी. (Unified Spiritual Protocol) के तहत प्रोटोकॉल्स को परिपालन करता है, जिससे रीति‑रिवाजों की मानकता बनी रहती है।

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    Manali Saha

    मई 1, 2025 AT 06:30

    कुंभ में ऊर्जा का स्तर बहुत हाई!!! लोग झूमते हैं, गाते हैं, नाचते हैं!!!

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    jitha veera

    मई 3, 2025 AT 14:04

    भाई, विदेशी झुकाव की बात छोड़ो, असली मुद्दा तो सुरक्षा है। यदि भीड़ नियंत्रण नहीं हुआ तो व्यर्थ है।

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    Sandesh Athreya B D

    मई 5, 2025 AT 21:37

    वाह, आपने तो सब समझा दिया! जैसा कहा, सब कुछ यूँ ही चलता रहता है।

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    Jatin Kumar

    मई 8, 2025 AT 05:10

    बहुत बढ़िया विश्लेषण, राजकुमार जी की भागीदारी प्रेरणादायक है। हमें और ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत है! 😊

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