के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 28 सित॰ 2025 टिप्पणि (0)

Petal Gahlot का करियर और पृष्ठभूमि
नई दिल्ली में पैदा हुई Petal Gahlot ने राजनीति विज्ञान, अनुवाद और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गहरा ज्ञान हासिल किया। 2015 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल होने के बाद, वह तेज़-तर्रार करियर का आनंद लेती रही। यूरोप‑पश्चिम डिवीजन में उप-सेक्रेटरी के तौर पर जून 2020 से जुलाई 2023 तक काम करने के साथ‑साथ, पेरिस और सैन फ़्रांसिस्को में भारतीय दूतावासों में विभिन्न पदों पर कार्य किया।
जुलाई 2023 में उन्हें भारत के स्थायी मिशन, संयुक्त राष्ट्र में प्रथम सचिव (First Secretary) नियुक्त किया गया। इस भूमिका में वह भारत के प्रमुख हितों को बहुपक्षीय मंच पर प्रस्तुत करती रहीं। फिर सितंबर 2024 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार (Advisor) का पद सौंपा गया, जहाँ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हितों के समुच्चय को समझते हुए रणनीतिक सलाह दी।
डिप्लोमैटिक काम के साथ‑साथ, Petal गीता संगीत में भी माहिर हैं—गिटार बजाते और गाते हुए उन्होंने अपनी रचनात्मकता को भी मंच पर लाया है। इस बहुमुखी व्यक्तित्व ने उन्हें न केवल कूटनीतिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत की आवाज़ बना दिया।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खिलाफ उनका कठोर जवाब
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरिफ के भाषण के बाद भारत ने अपनी ‘रिप्लाई’ का अधिकार इस्तेमाल किया। इस अवसर पर Petal Gahlot ने पाकिस्तान को सीधे टारगेट किया, कहा कि वह आतंकवादी संगठनों को आश्रय देता है और अपने पराजय को जीत में बदलने की कोशिश करता है। उन्होंने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ के समर्थन को उजागर किया, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदार थी।
उन्होने बताया कि पाकिस्तान ने अल‑कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को भी एक वक्त आश्रय दिया, जबकि वह खुद को आतंकवाद विरोधी के रूप में पेश करता रहा। ‘कोई नाटक या झूठ पाकिस्तान के वास्तविक कर्तव्यों को छुपा नहीं सकता,’ उन्होंने कहा, और अप्रैल 2025 में यूएन सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान द्वारा वही समूह को बचाते हुए दिखाए गए व्यवहार को उजागर किया।
उनकी इस प्रतिक्रिया को कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने ‘तथ्य‑परक और प्रखर’ बताया। यह केवल बयान नहीं, बल्कि भारत के लिए एक रणनीतिक कदम था—भ्रांतियों को दूर करने और कूटनीतिक मंच पर अपनी स्पष्ट स्थिति स्थापित करने का। उनके शब्दों ने कई देशों में चर्चा को बढ़ावा दिया और पाकिस्तान की कहानी को फिर से प्रश्नवाचक बना दिया।
Petal Gahlot की इस साहसिक प्रस्तुति ने दिखाया कि भारत के युवा और सक्षम राजनयिक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बँधे हुए मुद्दों को स्पष्ट शब्दों में कह सकते हैं। इस अनुभव से स्पष्ट है कि अब कूटनीति में केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि सच्ची जानकारी और त्वरित प्रतिक्रिया भी आवश्यक है। उनका यह कदम भारत की कूटनीति को नई दिशा देता है—यदि तथ्य स्पष्ट हैं, तो कोई भी कथा टिक नहीं सकती।