के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 6 अक्तू॰ 2025 टिप्पणि (18)
संयुक्त राज्य अमेरिका ने अचानक लाखों अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए तनाव भड़का दिया, जब मार्को रूबियो, विदेश मंत्री ने 27 मार्च 2025 को घोषणा की कि लगभग 300 छात्र वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं। इस कदम के साथ, अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने 20 जनवरी 2025 से अब तक 4,700 से अधिक SEVIS (Student and Exchange Visitor Information System) रिकॉर्ड समाप्त कर दिए, जिससे अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में एक व्यापक सदमा और अनिश्चितता पनपी।
पृष्ठभूमि और नीति का विकास
वीज़ा रद्दीकरण की तेज़ गति से उठती हुई लहर पिछले कुछ महीनों की कई घटनाओं से जुड़ी है। मार्च के शुरुआती दिनों में, कई अमेरिकी कैंपस पर प्रो-फ़िलिस्तीन विरोधों और सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ी छोटे‑छोटे उल्लंघनों को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने जांच शुरू की। इस बीच, अमेरिकी इमीग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) ने बताया कि 20 जनवरी से अब तक ICE ने छात्रों के SEVIS रिकॉर्ड समाप्त कर दिए, जिससे उनका वैध छात्र स्टेटस भी खतरे में पड़ सकता है।
विस्तृत केस स्टडीज़: प्रभावित छात्रों की कहानियाँ
रिपोर्टों में दो प्रमुख केस उजागर हुए हैं। पहला केस है महम्मूद ख़लील, जो एक कानूनी स्थायी निवासी और सक्रिय छात्र कार्यकर्ता हैं; उन्हें गिरफ्तारी के बाद वीज़ा रद्दीकरण का सामना करना पड़ा। दूसरा केस रुमैसा ओज़तुर्क का है, जो टफ्टस विश्वविद्यालय में फ‑1 छात्रा हैं और इज़राइल‑फ़िलिस्तीन पर लिखे एक ओप‑एड के कारण लक्ष्य बन गईं। दोनों मामलों में छात्रों ने वैध स्थिति बनाए रखने के लिए कानूनी सहायता हासिल करने की कोशिश की, पर सरकार की तेज़ कार्रवाई ने उन्हें भारी दुविधा में डाल दिया।
विश्वविद्यालयों की प्रतिक्रिया और कदम
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन (UW) ने 30 मार्च 2025 को एक त्वरित ब्लॉग पोस्ट जारी किया, जिसमें इंटर्नेशनल स्टूडेंट सर्विसेज (ISS) निदेशक ने कहा कि अपने वर्तमान छात्रों के लिए अभी तक कोई I‑20 या DS‑2019 रिकॉर्ड बंद नहीं किया गया है, पर वे लगातार SEVIS प्रणाली की निगरानी कर रहे हैं। इसी तरह, कोर्नेल यूनिवर्सिटी ने छात्रों को आधिकारिक ई‑मेल प्राप्त करने पर तुरंत [email protected] पर सूचित करने का निर्देश दिया और धोखाधड़ी वाले ई‑मेल के ख़तरे को उजागर किया। इस बीच, अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन (ACE) और 15 अन्य उच्च शिक्षा संघों ने 4 अप्रैल 2025 को एक संयुक्त पत्र क्रिस्टी नोएम, गृह सुरक्षा सचिव को संबोधित किया, जिसमें वीज़ा रद्दीकरण के कारण, प्रक्रिया की स्पष्टता और छात्रों के अधिकारों के संरक्षण की मांग की गई।
कानूनी विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय
इमीग्रेशन वकील साइरस डी. मेहता और उनकी सहयोगी केटलिन बॉक्स ने स्पष्ट किया कि वीज़ा रद्दीकरण का मतलब यह नहीं है कि छात्र का गैर‑इमिग्रेंट स्टेटस टूट गया है। वे कहते हैं, "वीज़ा स्टैंप केवल यू.एस. में प्रवेश की अनुमति देता है, जबकि वास्तविक कानूनी स्थिति डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सुरक्षा (DHS) द्वारा दी जाती है।" इस लिये, यदि DHS ने अभी तक स्टेटस नहीं समाप्त किया है, तो छात्र अपने पढ़ाई को जारी रख सकते हैं, बशर्ते वे वैध प्रवेश की शर्तें पूरी रखें। इस गुंजाइश को देखते हुए कई छात्र कानूनी चुनौती तैयार कर रहे हैं, जबकि ICE की आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
आगे क्या हो सकता है? संभावित प्रभाव और अगले कदम
हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक स्मरण पत्र नहीं आया है कि SEVIS रिकॉर्ड समाप्त होने पर छात्रों को कब तक सूचित किया जाएगा, लेकिन कई विश्वविद्यालयों ने अपने अंतर्राष्ट्रीय छात्र सेवाओं को 24‑घंटे हॉटलाइन बनाने का वादा किया है। विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि यदि यह रिवोक्शन नीति जारी रहती है, तो अगले शैक्षणिक वर्ष में विदेशी छात्रों की भर्ती में 5‑10% कमी देखी जा सकती है, जिससे विश्वविद्यालयों की राजस्व धारा पर असर पड़ेगा। साथ ही, इस कदम से अमेरिकी कैंपस पर सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में आत्मसंयम की हवा चल सकती है, क्योंकि छात्र अब सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करने से डर सकते हैं।
- रिवोक्शन की तिथि: 27 मार्च 2025 (मार्को रूबियो)
- रिवोक्शन की संख्या: लगभग 300 F‑1/J‑1 वीज़ा
- SEVIS रिकॉर्ड समाप्ति: 4,700+ (20 जनवरी से)
- मुख्य संस्थाएँ: ICE, AILA, ACE, UW, कोर्नेल
- कानूनी दृष्टिकोण: वीज़ा रद्दीकरण ≠ स्टेटस समाप्ति
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या वीज़ा रद्द हो जाने पर छात्र को तुरंत यू.एस. छोड़ना पड़ता है?
नहीं, वीज़ा रद्दीकरण केवल नए प्रवेश की अनुमति को रोकता है। यदि डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सुरक्षा ने अभी तक स्टेटस समाप्त नहीं किया है, तो छात्र कानूनी तौर पर पढ़ाई जारी रख सकते हैं। हालाँकि, कभी‑कभी ध्वजद्वंद्व या ऐतिहासिक स्थितियों में अतिरिक्त कार्रवाई हो सकती है, इसलिए तुरंत कानूनी सलाह लेना आवश्यक है।
कौन-सी संस्थाएँ इस नीति के बदलाव के लिए सबसे अधिक प्रभावित होंगी?
मुख्य रूप से अमेरिकी विश्वविद्यालयों की अंतर्राष्ट्रीय छात्र सेवाएँ, AILA एवं ICE। साथ ही, कुछ निजी कॉलेज और अनुसंधान संस्थान भी वीज़ा रद्दीकरण के परिणामस्वरूप विदेशी शोधकर्ताओं की भर्ती में कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
क्या कोई वैध अपील प्रक्रिया उपलब्ध है?
हाँ, छात्रों को आधिकारिक दूतावास या कांसुलर कार्यालय के माध्यम से पुनः विचार की याचिका (reconsideration request) जमा करनी होती है। कई विश्वविद्यालय अपनी कानूनी टीमों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए सलाह देते हैं। लेकिन सफलता की दर केस‑टू‑केस आधार पर अलग‑अलग रहती है।
क्या इस नीति का असर भारतीय छात्रों पर भी पड़ रहा है?
कुछ भारतीय छात्रों जैसे बाडर सूरी और रंजना श्रींवासन को वीज़ा रद्दीकरण का सामना करना पड़ा है। उनके मामलों में सोशल मीडिया पोस्ट और छोटे‑छोटे नियम उल्लंघन को कारण बताया गया है, जिससे भारतीय छात्र संघों ने भी इस नीति के विरुद्ध आवाज़ उठाई है।
आगे की स्थिति क्या हो सकती है?
यदि कांग्रेस या सार्वजनिक दबाव से नीति में सुधार नहीं आया, तो SEVIS समाप्तियों की संख्या बढ़ सकती है। विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि अगले छह महीनों में और 1,000‑2,000 छात्रों के वीज़ा रद्द हो सकते हैं, जिससे कैंपस डायनमिक्स में बदलाव आएगा।

Minal Chavan
अक्तूबर 6, 2025 AT 01:56संयुक्त राज्य के छात्र वीज़ा रद्दकरण से कई भारतीय विद्यार्थियों को अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।
Nanda Dyah
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:06नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, ICE ने पिछले कुछ महीनों में SEVIS रिकॉर्ड को बड़े पैमाने पर समाप्त किया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की स्थिति अस्थिर हो गई।
KABIR SETHI
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:16ऐसे कदम से छात्रों को सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि उनकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर भी असर पड़ेगा।
Arjun Dode
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:26भाई लोग, अगर आपका वीज़ा रद्द हो गया है तो तुरंत इंटरनल पॉलिसी से संपर्क करो, कई यूनिवर्सिटी मुफ्त कानूनी सहायता देती हैं।
santhosh san
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:36वास्तव में, यह नीति छात्रों के अधिकारों की उपेक्षा है, और इसके दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव भी गंभीर हो सकते हैं।
Sagar Singh
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:46ये सब बहुत खतरनाक है, सरकार को सोचना चाहिए कि छात्रों को शिक्षा के लिए क्यों निशाना बनाना चाहिए।
vishal Hoc
अक्तूबर 6, 2025 AT 02:56मैं मानता हूँ कि शांतिपूर्ण संवाद ही समाधान है; सभी पक्षों को इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए।
subhashree mohapatra
अक्तूबर 6, 2025 AT 03:06आँकड़ों को देखे तो यह स्पष्ट है कि नीति का लक्ष्य केवल राजनैतिक दबाव बनाना है, न कि सुरक्षा।
Mansi Bansal
अक्तूबर 6, 2025 AT 03:16भाई बहन, इस तरह की अस्थिरता से छात्रों में डर पैदा होगा और वे अपने सपनों को छोड़ सकते हैं।
Raj Bajoria
अक्तूबर 6, 2025 AT 03:26विदेशी छात्रों के लिए इस नीति का असर बड़ी कंपनियों की रिक्रूटमेंट में भी दिखेगा।
Simardeep Singh
अक्तूबर 6, 2025 AT 03:36जैसे कहा गया है, जब तक फ्रीडम की बारीकी से रक्षा नहीं की जाएगी, विकास रुकता रहेगा।
Poorna Subramanian
अक्तूबर 6, 2025 AT 03:46संस्थानों को चाहिए कि वे 24‑घंटे हॉटलाइन स्थापित करें, ताकि प्रभावित छात्रों को तुरंत मदद मिल सके।
Soundarya Kumar
अक्तूबर 6, 2025 AT 03:56मैं देखता हूँ कि कई छात्रों ने पहले ही कानूनी टीमों से संपर्क कर लेता है, पर प्रक्रिया लंबी हो सकती है।
Sudaman TM
अक्तूबर 6, 2025 AT 04:06ये नीति तो आध्यात्मिक रूप से भी गलत है; असहयोगी बनकर रोकना केवल गंदा खेल है।
Rohit Bafna
अक्तूबर 6, 2025 AT 04:16विदेशी छात्रों के उजागर किए गए सुरक्षा जोखिमों को देखते हुए, राष्ट्रीय हित की रक्षा के लिए कठोर कदम आवश्यक हो सकते हैं।
Rajesh Soni
अक्तूबर 6, 2025 AT 04:26व्यावहारिक तौर पर, विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे वैध SEVIS रिकॉर्ड को फिर से सक्रिय करने की प्रक्रिया स्पष्ट करें; यह छात्रों के मन की शांति के लिए आवश्यक है।
vikas duhun
अक्तूबर 6, 2025 AT 04:36यह निर्णय न केवल छात्रों की शैक्षिक प्रगति को बाधित करता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। एक ओर, छात्रों को लगातार अनिश्चितता के कारण तनाव और चिंता झेलनी पड़ती है, जिससे उनके शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आती है। दूसरी ओर, यह नीति अमेरिकी विश्वविद्यालयों की अंतर्राष्ट्रीय आकर्षण को प्रभावित करेगी, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी छात्रों की भर्ती में 5‑10% की गिरावट हो सकती है। इसके अलावा, इस कदम से छात्रों की सामाजिक और राजनीतिक आवाज़ भी दब जाती है, क्योंकि वे सार्वजनिक मंच पर अपनी राय व्यक्त करने से डरते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो अगले शैक्षणिक वर्ष में कई संस्थानों को फंडिंग की कमी का सामना करना पड़ेगा। अंततः, यह एक बड़े आर्थिक नुकसान की ओर इशारा करता है, न कि केवल वैधता का मुद्दा। इस कारण, नीति निर्माताओं को तुरंत पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, ताकि शैक्षिक माहौल सुरक्षित और स्थिर बना रहे। छात्रों की वैधता को बचाने के लिये कानूनी सहायता नेटवर्क को तेज़ी से सक्रिय किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों को SEVIS रिकॉर्ड के पुनः सक्रियकरण प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाना चाहिए। इस प्रकार की पहल से छात्रों का भरोसा फिर से बढ़ेगा। विदेश में पढ़ते भारतीय छात्रों की संख्या बड़ी है, इसलिए यह मुद्दा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यदि सरकार इस दिशा में लचीलापन दिखाती है, तो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भी सुधार होगा। वहीं, कठोर नीति कई छात्रों को अपने सपनों से दूर कर सकती है। इससे भारत की शैक्षिक एक्सपोर्ट में भी कमी आएगी। अंत में, सभी स्टेकहोल्डर्स को मिलकर एक दीर्घकालिक समाधान तैयार करना चाहिए।
Nathan Rodan
अक्तूबर 6, 2025 AT 04:46समग्र रूप से देखा जाए तो विभिन्न पक्षों को मिलकर एक स्पष्ट अपील प्रक्रिया बनानी होगी; इससे न केवल छात्रों को राहत मिलेगी, बल्कि संस्थाओं को भी भविष्य के ऐसे मामलों से निपटने में मदद मिलेगी। मैं मानता हूँ कि सहयोगी उपायों से ही इस समस्या का समाधान निकलेगा।