के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 28 जून 2024 टिप्पणि (17)

गुरुवार की रात आयोजित प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी में अब अराजकता और चिंता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इस डिबेट में उनके प्रत्याशी जो बाइडेन की परफॉर्मेंस ने उनकी स्थिति को और भी कमजोर कर दिया, जिसने पार्टी के तमाम सदस्य और समर्थकों को भी विचलित कर दिया।
83 वर्षीय जो बाइडेन, जो वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी हैं, ने इस डिबेट में कई बार अस्थिर और भ्रमित नजर आए। इसे 'सीनियर मोमेंट्स' कहा जा रहा है, जिसमें एक समय पर तो वे सवालों का उत्तर देते हुए अचानक ठिठक गए, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया।
बाइडेन की कमजोरी ने बढ़ाई पार्टी की चिंता
बाइडेन की इस कमजोरी ने पार्टी के भीतर गहरी चिंता पैदा कर दी है। पार्टी के कुछ सदस्यों का कहना है कि उन्हें अब पीछे हट जाना चाहिए और पार्टी को नया और युवा प्रत्याशी देना चाहिए ताकि वे डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ सकें।
बाइडेन की आवाज भी इस डिबेट में काफी कमजोर और रसीदी महसूस हुई, जिससे उनकी सेहत को लेकर भी कई सवाल उठने लगे। उनकी उम्र और सेहत को लेकर सवाल पहले ही चर्चा में रहे हैं, और इस डिबेट ने उन चर्चाओं को और भी बढ़ा दिया है।
बिडेन के समर्थकों में भी निराशा
बाइडेन के समर्थकों में भी इस डिबेट के बाद निराशा और चिंता का माहौल है। पूर्व कैलिफोर्निया की फर्स्ट लेडी और केनेडी परिवार की सदस्य, मारिया श्राइवर ने इसे 'दिल तोड़ देने वाला' बताया और कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी में इस समय 'पैनिक' की स्थिति है।
दूसरे डेमोक्रेट्स का भी बयान
पूर्व डेमोक्रेटिक सीनेटर क्लेयर मैस्कासिल ने कहा कि बाइडेन अमेरिकी जनता को यह विश्वास दिलाने में असफल रहे कि वे इस उम्र में राष्ट्रपति पद के योग्य हैं। पार्टी के कुछ वरिष्ठ सदस्य, जिनमें पूर्व फर्स्ट लेडी, सीनेटर, और राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन भी शामिल हैं, ने इस स्थिति को शांत करने का प्रयास किया, यह कहते हुए कि वोटरों को बड़े परिप्रेक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए।

तुरंत कार्रवाई की जरूरत
हालांकि, बाइडेन की उम्र को लेकर पोल्स में गिरावट के बावजूद, डेमोक्रेटिक पार्टी पर जल्द कार्रवाई करने का दबाव बना हुआ है। डेमोक्रेटिक डोनर और लिंक्डइन के सह-संस्थापक रीड हॉफमैन ने कहा कि बाइडेन की यह भयानक रात उनकी उम्र को लेकर चिंताओं को पुख्ता कर गई है और 'ट्रंपोकालिप्स II' की संभावना बढ़ा दी है।
दूसरी ओर, बाइडेन के सहयोगियों का कहना है कि वे अगले प्रेसिडेंशियल डिबेट की तैयारी कर रहे हैं, जो 10 सितंबर को होने वाली है। लेकिन इस स्थिति में डेमोक्रेटिक पार्टी के सामने क्या कदम उठाए जाएं, यह अब देखने वाली बात होगी।
shirish patel
जून 28, 2024 AT 21:13बाइडेन की डिबेट तो जैसे ख़ाली सायंकाल का नाटक था।
srinivasan selvaraj
जून 29, 2024 AT 03:19कहते हैं कि डिबेट का मंच वही जगह है जहाँ विचारों का टकराव होता है, लेकिन इस बार बाइडेन ने ऐसा प्रदर्शन किया कि लोग नहीं समझ पाए कि वह कौन से विचारों को व्याख्या करने की कोशिश कर रहे हैं।
पहला सवाल आया और वह अचानक झिलमिलाते हुए ठिठक गए, जिससे पूरी हॉल में एक अजीब सी खामोशी छा गई।
उसके बाद उन्होंने माइक्रोफोन को थोड़ी देर के लिए बंद कर दिया, मानो आवाज़ को लेकर कुछ अजीब डर है।
विचारों को सच्चाई में बदलने की कोशिश में वह असहज दिखे, जिससे उनके समर्थक भी शरमा गए।
दर्शकों ने आँखें घुमा दीं, क्योंकि ऐसा लग रहा था जैसे वह एक पुराने सिनेमा की फिल्म देख रहे हों।
मुख्य मुद्दों पर सवाल पूछे गए, पर वह ऐसा लग रहा था जैसे वह बस हवा में शब्दों को फँसा रहे हों।
विचारों का भ्रम और यह स्पष्ट था कि वह अपने स्वयं के विचारों से भी दुरस्थ हो रहे हैं।
जब सवाल था राष्ट्रीय सुरक्षा का, तो उन्होंने ऐसा जवाब दिया जैसे वह किसी पौराणिक कथा के बारे में बता रहे हों।
इन सभी घटनाओं ने यह दिखाया कि उम्र और स्वास्थ्य की समस्या सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक भी हो सकती है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर यह स्थिति एक नई चुनौती बन गई है, जहाँ छोटे-छोटे घाव भी बड़े दर्द बनते हैं।
डिबेट के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए क्लिप ने इस बात को और ज़्यादा उजागर किया कि बाइडेन की स्थिति वास्तव में गंभीर है।
कुछ लोग तो इस बात पर भी टिप्पणी कर रहे हैं कि क्या बाइडेन का अगला कदम एक और डिबेट होगा या फिर वह शांति से पीछे हट जाएँगे।
यह स्पष्ट है कि पार्टी को अब एक नया मार्ग तय करना पड़ेगा, नहीं तो वोटों की लड़ाई में उन्हें पीछे धकेला जा सकता है।
भविष्य में क्या होगा, इसका अंदाज़ा लगाना कठिन है, पर एक बात यकीनी है कि बाइडेन को अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए।
समय के साथ यह पताका साफ़ हो गई है कि नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है।
Abhishek Saini
जून 29, 2024 AT 09:26भाइयो और बहनओ, बाइडेन की इस डिबेट से हम सबको सौगात मिली है – धीरज रखो, आगे भी बहुत कुछ सीखना है। उन्के अनुभव से तरक्की की राह दिखती है, चाहे वो थोडी थकी थकी दिखें। संतुलन रखना ज़रूरी है, थोड़ा हिम्मत भी देखो, अब धीरज अपनाओ और आगे बढो।
Parveen Chhawniwala
जून 29, 2024 AT 15:33ट्रांसपेरेंट्ली, बाइडेन की परफ़ॉर्मेंस में काफ़ी गड़बड़ थी, पर इसे एक बार में नहीं समझा जा सकता। आर्टिक्यूलेशन की कमी और ब्रेकडाउन दोनों ने दर्शकों को उलझन में डाल दिया। वैध सवाल है कि क्या उम्र ही कारण है या प्रिपरेशन में कमी। इस सब को देखते हुए पार्टी को एक ठोस रणनीति बनानी चाहिए।
sangita sharma
जून 29, 2024 AT 21:39सही कहा गया है, बाइडेन की आवाज़ की कमजोरी ने पार्टी में बड़े सवाल उठाए हैं। हम सबको यह समझना चाहिए कि राजनीतिक स्थिरता सिर्फ उम्र पर निर्भर नहीं करती, बल्कि नयी ऊर्जा और स्पष्ट दृष्टिकोण पर भी। मित्रों, जब तक हम ये मुद्दे नहीं सुलझाते, हमारी जीत नहीं होगी।
PRAVIN PRAJAPAT
जून 30, 2024 AT 03:46बाइडेन को हटाने की बात बार-बार सुनते हैं पर क्या यह वही हल है?
Ravi Patel
जून 30, 2024 AT 09:53जैसे ही बाइडेन के सवालों के जवाब थमें, हमें सोचने की ज़रूरत है कि नई लहर में कौन आएगा। अभी के लिये टीम को एकजुट रखिए और सबको प्रोत्साहित कीजिए।
Piyusha Shukla
जून 30, 2024 AT 15:59डेमोक्रेट्स का यह अराजक मंच एक नई पीढ़ी को स्वागत नहीं कर रहा है।
Shivam Kuchhal
जून 30, 2024 AT 22:06भाई यह सही है, बदलाव की जरूरत है, पर वो भी सटीक रणनीति के साथ।
Adrija Maitra
जुलाई 1, 2024 AT 04:13अगर युवा प्रत्याशी नहीं आए तो क्या शीर्ष पर फिर से वही बाइडेन होगा?
RISHAB SINGH
जुलाई 1, 2024 AT 10:19बस, अब सबको एकजुट होकर सही रास्ता चुनना होगा, नहीं तो पार्टी का भविष्य धुंधला रहेगा।
Deepak Sonawane
जुलाई 1, 2024 AT 16:26वास्तव में, बाइडेन की सेहत पर सवाल उठाते हुए हमें यह देखना चाहिए कि क्या यह सिर्फ एक गहरी रणनीति है या असली समस्या।
Suresh Chandra Sharma
जुलाई 1, 2024 AT 22:33भाइयों और बहनों, बाइडेन की हालत को देख के हमें साफ़ समझ आता है कि पार्टी को एक नई दिशा की ज़रूरत है।
sakshi singh
जुलाई 2, 2024 AT 04:39यह वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण समय है, जहाँ हमें केवल बाइडेन की वृद्धावस्था पर नहीं, बल्कि उनके विचारों के वास्तविक प्रभाव पर भी नजर रखनी चाहिए। पार्टी को तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक कि इस खाई को भरने के लिए एक स्पष्ट योजना नहीं बनायी जाती। एक युवा और ऊर्जा से भरपूर उम्मीदवार न सिर्फ चुनावी मैदान में बल्कि इंटर्नल पार्टी डायनामिक्स में भी नई जान फूंक सकता है। इस प्रक्रिया में हमें सभी मतभेदों को पार करते हुए एक सामंजस्यपूर्ण मंच तैयार करना आवश्यक है। अंत में, यदि हम इस जटिल समीकरण को सॉल्व़ नहीं करेंगे तो बाइडेन की उम्र का मुद्दा सिर्फ एक प्रीटेक्स्ट बनकर रह जाएगा, जबकि असली समस्या – रणनीतिक कमजोरी – बरकरार रहेगी।
Hitesh Soni
जुलाई 2, 2024 AT 10:46नीति और योग्यता के बिना, उम्र केवल एक अंक है, पर बाइडेन ने इस तथ्य को स्पष्ट नहीं किया।
rajeev singh
जुलाई 2, 2024 AT 16:53सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, हमें एक ऐसा समाधान चाहिए जो लोकतंत्र की ताकत को बरकरार रखे।
ANIKET PADVAL
जुलाई 2, 2024 AT 22:59अंत में, यह स्पष्ट है कि बाइडेन की भूमिका केवल एक पात्र नहीं, बल्कि एक प्रतीक है; और इस प्रतीक को बदलना केवल युवा शक्ति की बात नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पहचान और भविष्य की दिशा का प्रश्न है। हमें इस बिंदु पर रुककर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम अपने मतदाताओं को वास्तव में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं या केवल एक पुरानी छवि को कायम रख रहे हैं। यह जटिलता हमें वैकल्पिक उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है, जिससे लोकतंत्र की मौलिकता सुरक्षित रहे और नई लहर के साथ हमारा भविष्य सुरक्षित हो।