भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 3 दिसंबर, 2025 को जारी किए गए अपडेट के अनुसार, दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के शीतकालीन मौसम के लिए एक चेतावनी जारी की है: उत्तर-पश्चिम, केंद्रीय और उत्तर-पूर्व भारत में ठंडी लहरें सामान्य से अधिक होने की संभावना है। यह न केवल जीवन की रोजमर्रा की गतिविधियों को बाधित करेगा, बल्कि स्वास्थ्य, परिवहन और ऊर्जा आपूर्ति पर गहरा असर डालने वाला है। विभाग ने खासतौर पर दिसंबर के पहले सप्ताह में पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और झारखंड में अलग-अलग स्थानों पर गंभीर ठंडी लहरों की भविष्यवाणी की है।
कौन-से क्षेत्रों में ठंड की लहरें सबसे ज्यादा खतरनाक होंगी?
IMD के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में 7 और 10-11 दिसंबर को ठंडी लहरें अत्यधिक संभावित हैं। पश्चिमी मध्य प्रदेश और विदर्भ के लिए 7-8 दिसंबर को चेतावनी जारी की गई है। जबकि पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में 7 दिसंबर को ही ठंडी लहरें शुरू हो सकती हैं।
इन क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 2-3°C तक गिरने की उम्मीद है, जो अनुभवी लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में तापमान थोड़ा बढ़ने का अनुमान है, लेकिन यह अस्थायी है। वास्तविक खतरा उन जगहों पर है जहां लोग अचानक ठंड के सामने आ जाते हैं — बिना गर्म कपड़ों के, बिना गर्मी के इंतजाम के।
कोहरा और यातायात का अंधेरा
ठंड के साथ आ रहा है घना कोहरा। असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 5 से 9 दिसंबर तक कोहरा बना रहेगा। हिमाचल प्रदेश में भी 5-7 दिसंबर तक यह स्थिति बनी रहेगी।
यह कोहरा सुबह के समय हवाई और रेल यातायात को अवरुद्ध कर सकता है। दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों में पहले से ही खराब हवा की स्थिति अब और बिगड़ सकती है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि ये स्थितियां शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को और बढ़ा सकती हैं। एक अधिकारी ने कहा, "जब हवा रुक जाती है और तापमान गिरता है, तो धुएं और धूल के कण जमीन के पास ही फंस जाते हैं। यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए बहुत खतरनाक होता है।"
बारिश का अनुमान: सामान्य, लेकिन स्थानीय असमानता
दिसंबर के लिए पूरे भारत में बारिश सामान्य (79-121% लंबे अवधि के औसत के अनुसार) रहने की उम्मीद है। लेकिन यह औसत धोखा दे सकता है। तमिलनाडु, केरल और लक्षद्वीप में असामान्य बारिश की संभावना है — कुछ जगहों पर भारी बारिश और बिजली के साथ तूफान। 4-5 दिसंबर को तमिलनाडु और पुदुचेरी में बारिश के आंकड़े 120% के पार जा सकते हैं।
इसका मतलब यह नहीं कि उत्तरी भारत को बारिश की जरूरत नहीं है। बल्कि यह दर्शाता है कि जलवायु पैटर्न अब और अधिक अनिश्चित हो गए हैं। एक जगह बारिश हो रही है, तो दूसरी जगह धूल उड़ रही है। यह असमानता किसानों के लिए चिंता का विषय है — जिनके लिए बारिश का समय बहुत मायने रखता है।
स्वास्थ्य और ऊर्जा: दो छिपे हुए संकट
IMD ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि बुजुर्ग, बच्चे और दिल या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोग इस ठंड से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। हॉस्पिटल्स में निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और दिल के दौरे के मामले बढ़ने की संभावना है। गांवों में तो बहुत से लोग अभी भी लकड़ी या कोयले से गर्मी लेते हैं — जिससे घरेलू वायु प्रदूषण बढ़ता है।
ऊर्जा की मांग भी तेजी से बढ़ेगी। दिसंबर के अंत तक देश भर में बिजली की खपत 15-20% तक बढ़ सकती है। यह अस्थायी नहीं है — यह एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। बिजली कंपनियां अभी से तैयारी कर रही हैं, लेकिन क्या वे इस अचानक बढ़े हुए डिमांड को पूरा कर पाएंगी? यह एक बड़ा सवाल है।
क्या अगला कदम है?
IMD ने नागरिकों को भारतीय मौसम विभाग के डेली इम्पैक्ट-बेस्ड फॉरकास्ट (IBF) की जानकारी पर नजर रखने की सलाह दी है। ये अपडेट आमतौर पर सुबह 7 बजे जारी होते हैं — जिनमें अगले 24 घंटों के लिए तापमान, बारिश और कोहरे का विस्तृत अनुमान दिया जाता है।
अगले सप्ताह (11-17 दिसंबर) में पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में एक नया पश्चिमी विक्षोभ आने की उम्मीद है, जो उत्तरी भारत में ठंड को और बढ़ा सकता है। इसका मतलब है कि अगले 10 दिनों में यह अपडेट बार-बार बदल सकता है। इसलिए एक बार की जानकारी पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।
क्या यह पिछले साल जैसा है?
2024-25 के शीतकाल में भी उत्तरी भारत में ठंडी लहरें आई थीं, लेकिन वे अधिक स्थानीय और कम समय तक रहीं। इस बार ठंड अधिक व्यापक है — और अधिक लंबी अवधि के लिए बनी रहने की संभावना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के पास तापमान में असामान्य वृद्धि (जिसकी भविष्यवाणी भी IMD ने की है) और उत्तरी भारत में ठंडी लहरों के बीच एक अजीब संबंध है। यह जलवायु परिवर्तन का एक अनूठा प्रभाव हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस ठंड से बुजुर्गों और बच्चों को कैसे बचाएं?
बुजुर्गों और बच्चों को घर में गर्म रखें — गर्म कपड़े पहनाएं, गर्म पानी के बर्तन या बिजली के हीटर का उपयोग करें। रात में बाहर न निकलें, खासकर सुबह के समय। अगर कोई बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। घरों में लकड़ी या कोयले के इस्तेमाल से बचें — इससे हवा और खराब होती है।
कोहरे के कारण ट्रैफिक को कैसे बचाएं?
सुबह 6 बजे से 9 बजे तक यातायात कम करें। अगर जरूरी हो तो धीमी गति से चलें, हेडलाइट्स और फॉग लाइट्स जलाएं। हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द हो सकती हैं — बुकिंग के बाद हमेशा अपडेट चेक करें। रेलवे के लिए ट्रेनों के देरी का अनुमान लगाकर टिकट बुक करें।
बिजली की खपत बढ़ने से क्या होगा?
दिसंबर के अंत तक बिजली की मांग 15-20% तक बढ़ सकती है, जिससे बिजली कटौती की संभावना बढ़ जाती है। घरों में बिजली के उपकरणों का उपयोग समय-समय पर कम करें। ऊर्जा बचाने के लिए गर्म कपड़े और बिजली के हीटर के बजाय गर्म पानी के बर्तन का इस्तेमाल करें। बिजली कंपनियां अभी अतिरिक्त आपूर्ति की तैयारी कर रही हैं।
क्या यह जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा है?
हां, कुछ वैज्ञानिक इस अजीब ठंड और हिमालय के पास तापमान में वृद्धि को जलवायु परिवर्तन का परिणाम मानते हैं। हिमालय की बर्फ घट रही है, जिससे हवाओं के पैटर्न बदल रहे हैं। यह उत्तरी भारत में ठंडी लहरों को अधिक तीव्र और लंबा बना रहा है — एक ऐसा विरोधाभास जो अब आम हो रहा है।

ankur Rawat
दिसंबर 8, 2025 AT 09:19इस ठंड में बाहर निकलना तो बर्फ के टुकड़े खाने जैसा है, खासकर जब तुम्हारा ऑटो वाला बिना गर्म कपड़े के बैठा हो। पंजाब में तो लोग अभी भी लकड़ी के चूल्हे चला रहे हैं, और घर में धुएं का तापमान बाहर से ज्यादा है। IMD का अपडेट तो सही है, लेकिन सरकार का क्या? गरीबों के लिए गर्मी का इंतजाम कब होगा?
Vraj Shah
दिसंबर 10, 2025 AT 00:42भाई ये ठंड तो सिर्फ दिल्ली और पंजाब तक ही सीमित नहीं है, मेरा दोस्त झारखंड से बता रहा था कि उनके गांव में बच्चे अभी भी बिना जूते के घूम रहे हैं। बस एक ही बात कहूं - गर्म कपड़े और गर्म पानी का बर्तन जरूर रखो। डॉक्टर नहीं, तुम्हारी चाची की सलाह यही है।
Kumar Deepak
दिसंबर 10, 2025 AT 20:38अरे यार, IMD ने चेतावनी दी तो अब हम सब बैठ गए कि जलवायु परिवर्तन का जिम्मेदार कौन है? ये सब तो पिछले 20 साल से चल रहा है, लेकिन हमारे नेता अभी भी बर्फ के टुकड़े खाकर फोटो खिंचवा रहे हैं। ठंड बढ़ रही है, लेकिन उनकी बुद्धि ठंडी हो रही है।
Ganesh Dhenu
दिसंबर 12, 2025 AT 13:41कोहरे में गाड़ी चलाना तो अंधेरे में आंखें बंद करके चलने जैसा है। मैंने इस साल असम से आते समय देखा, बस स्टॉप पर लोग बैठे थे, कोई बात नहीं कर रहा था, सिर्फ सांस ले रहा था। ये जलवायु बदल रही है, लेकिन हमारी आदतें अभी भी पुरानी हैं।
Yogananda C G
दिसंबर 13, 2025 AT 18:34ये ठंड जो हम अभी देख रहे हैं वो तो बस शुरुआत है, अगले 10 साल में जब हिमालय की बर्फ 50% घट जाएगी तो उत्तरी भारत में तापमान असामान्य रूप से ऊपर-नीचे होगा, बर्फ घटेगी तो हवाएं बदलेंगी, हवाएं बदलेंगी तो बारिश के पैटर्न बदलेंगे, बारिश के पैटर्न बदलेंगे तो किसानों की फसलें बर्बाद होंगी, फसलें बर्बाद होंगी तो भूख लगेगी, भूख लगेगी तो समाज अस्थिर होगा, अस्थिर होगा तो शांति खतरे में पड़ जाएगी, और शांति खतरे में पड़ जाएगी तो हम सब बच्चों को क्या सिखाएंगे? कि जलवायु परिवर्तन एक शब्द है या एक जीवन-मरण का सवाल?
Divyanshu Kumar
दिसंबर 14, 2025 AT 00:39जब तक हम अपने घरों में बिजली के हीटर की जगह गर्म पानी के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तब तक बिजली की खपत कम नहीं होगी। यह एक सामाजिक जिम्मेदारी है, न कि सिर्फ एक तकनीकी समाधान। इसके लिए हमें अपने दैनिक आचरण को बदलना होगा।
Mona Elhoby
दिसंबर 15, 2025 AT 17:10हां भाई, IMD ने चेतावनी दी, लेकिन क्या तुम्हारे नेता ने कभी किसी गरीब के घर में जाकर देखा कि वो किस चीज़ से गर्मी ले रहा है? ये सब तो बस एक शो है - जब बर्फ गिरे तो टीवी पर राजनेता गर्म कपड़े पहनकर दिखाई देंगे, और फिर अगले दिन वो गर्मी के लिए बिजली की बिल बढ़ाएंगे। असली समस्या तो ये है कि हम लोग बस बातें करते रह जाते हैं।
Arjun Kumar
दिसंबर 17, 2025 AT 06:19अरे यार, ये ठंड तो सिर्फ इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हम अब गर्म चाय नहीं पीते, बल्कि कॉफी पीते हैं। चाय तो गर्मी देती है, कॉफी तो बस दिमाग को जगाती है। अगर हम चाय पीते रहे तो ठंड का क्या डर?
RAJA SONAR
दिसंबर 17, 2025 AT 16:15मैंने इस ठंड को देखकर सोचा कि ये जलवायु परिवर्तन नहीं, ये तो एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है - अमेरिका और चीन ने हिमालय पर बर्फ घटाने के लिए लेजर लगा दिए हैं। अभी तो बस उत्तरी भारत बर्फ में डूब रहा है, अगले साल तो दक्षिण भारत में बर्फ गिरेगी। मैंने अपने स्वप्न में देखा था - चेन्नई में स्की लगाकर बच्चे खेल रहे हैं।
Mukesh Kumar
दिसंबर 19, 2025 AT 00:38ये ठंड तो बड़ी चुनौती है, लेकिन ये एक मौका भी है - हम सब मिलकर गरीबों के लिए गर्म कपड़े और गर्म पानी के बर्तन जुटा सकते हैं। मैंने अपने गांव में एक गर्मी अभियान शुरू किया है - जिसने भी गर्म कपड़ा दिया, उसका नाम दीवार पर लिख दिया गया। एक छोटी सी चीज़ से बड़ा बदलाव आ सकता है।