के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 29 सित॰ 2025    टिप्पणि (4)

बबर आज़म को एशिया कप में जोड़ना नाकाम, कोच हेसन का विकेटकीपर प्रस्ताव

जब बबर आज़म को एशिया कप 2025 के फाइनल में टीम में जोड़ने की कोशिश की गई, तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) का प्रस्ताव टूरनमेंट आयोजकों द्वारा तुरंत खारिज कर दिया गया। यह निर्णय एशिया कप 2025दुबई के ग्रुप चरण और सुपर‑4 में भारत के खिलाफ दो हार के बाद आया। फिर भी PCB ने बबर को यूएई भेजने की योजना बनाई, hoping a late inclusion would revive a faltering batting line‑up. लेकिन नियम‑बद्धता ने कहीं भी ज़हरीली दवा नहीं निकाली।

एशिया कप 2025 में पाकिस्तान की निराशा

पहले मैच में भारत के खिलाफ बटरफ्लाय रूपी पिच पर पाकिस्तान की टॉप‑ऑर्डर ने धूप की तरह चमक दिखाने की कोशिश की, लेकिन दो शट‑आउट और लगातार गिरते विकेट ने उन्हें 215 पर रोक दिया। दो रनों के अंतर से हार के बाद, टीम का मनोबल टूट गया। सुपर‑4 में भी वही तस्वीर रही – बॉलिंग में कुछ खास नहीं, बैटिंग में लगातार गिरते अंकों ने भारत को 258 तक पहुंचा दिया। फाइनल में दुबई के अंतर्राष्ट्रीय क्रीक में भारत ने 5 विकेट से जीत दर्ज की, जिससे भारत‑पाकिस्तान का फिर से एक और तीखा मुकाबला पन्नों में जमा हो गया।

PCB की बबर आज़म को टीम में लाने की योजना

अंतिम फाइनल से पहले ही पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने घोषणा की कि वे बबर आज़म को एक तेज़ी से तैयार किए गए "इंजॉयमेंट कंट्रैक्ट" पर यूएई भेजेंगे। इसके पीछे मुख्य कारण था बबर की हालिया फॉर्म में गिरावट और टीम की अंत‑ओवरों में लगातार समसामयिक शॉट्स न लगाने की समस्या। PCB के प्रवक्ता ने कहा, "बबर का अनुभव और प्रीशॉट क्षमता इस टूर्नामेंट को बचा सकती है, अगर नियामक अनुमति दें तो हम तुरंत कदम उठाएँगे।"

टूर्नामेंट आयोजकों का नियम‑कीमती निर्णय

तुम्हें बताऊँ तो एशिया कप के नियामक कमिटी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "किसी भी टीम में नया खिलाड़ी केवल तभी जुड़ सकता है जब मौजूदा खिलाड़ी को आधिकारिक चोट के कारण बाहर किया गया हो।" इस कारण बबर के लिए कोई वास्तविक चोट नहीं थी, इसलिए उनका नाम स्क्वाड में जोड़ना नियम‑विरुद्ध था। एक अधिकारी ने कहा, "हम खेल की निष्पक्षता को बरकरार रखने के लिए इस नीति को कड़े तौर पर लागू कर रहे हैं।" यह बयान PCB को बहुत ठंडा लगा, क्योंकि वे इस नियम को टालने की कई संभावनाओं पर विचार कर रहे थे।

कोच माइक हेसन की बबर को विकेटकीपर बनाकर वापसी की दुविधा

इन घटनाओं के बीच माइक हेसन, जो पाकिस्तान के T20 कोच हैं, पर यह अफ़वाह आई कि उन्होंने बबर को "बैक‑अप विकेटकीपर‑बैट्समैन" के रूप में टीम में लाने का प्रस्ताव रखा। आधिकारिक तौर पर यह बात पुष्टि नहीं हुई, लेकिन कुछ भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया ने रिपोर्ट किया कि हेसन ने बबर को कहा था, "तुम्हारी बैटिंग से टीम को मदद नहीं मिल रही, अगर तुम विकेटकीपर की भूमिका भी ले लो तो तुम्हें जगह मिल सकती है।"

यह सुझाव कई कारणों से चौंकाने वाला था। बबर ने पहले कभी प्रोफ़ेशनल रूप से विकेटकीपिंग नहीं की थी, और इस बदलाव को टीम की स्थिरता के लिए जोखिमभरा माना गया। फिर भी विशेषज्ञों ने माना कि आज के टी‑20 युग में बहु‑भूमिकाओं वाले खिलाड़ी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, और बबर जैसा बहुमुखी खिलाड़ी अगर इस तरह तालमेल बिठा ले तो टीम को नया दिशा‑निर्देश मिल सकता है।

भविष्य की राह और विशेषज्ञों की राय

एशिया कप के बाद बबर के वापसी की संभावना अब भी खुली है। कई क्रिकेट विश्लेषकों ने कहा कि "बबर का क्रिकेट से बाहर रहना अब अस्थायी हो सकता है, लेकिन उन्हें वापस लाने के लिए चोट के आधार पर नियम बदलवाने की जरूरत होगी।" कुछ ने यह भी सूचित किया कि PCB अगले महीने एक नई श्रृंखला में बबर को "हैंडिकैप" के साथ खेलने की सोच रहा है, जिससे उन्हें फॉर्म में फिर से लाया जा सके।

दुबई में हुए फाइनल पर भारत के कप्तान ने कहा, "हमने सभी परिस्थितियों को देखते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ किया, लेकिन आगे भी पाकिस्तान के साथ मुकाबले में भारत को तैयार रहना होगा।" वहीं पाकिस्तान के बकिरी में मीडिया ने बबर को "वापसी का दाँव" कहा, और कई फ़ैन्स ने सोशल मीडिया पर #बबरफिरसे का प्रयोग किया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बबर आज़म को एशियम कप में शामिल करने से टीम को क्या फायदा हो सकता था?

बबर की औसत 45+ और फिनीशिंग स्ट्राइक रेट ने टीम को मध्य‑ओवर में स्थिरता दी होती। उनकी सीनियरिटी जॉनी और हफ़िज़ को दबाव में बेहतर फ़ैसले लेने में मदद कर सकती थी।

क्या माइक हेसन की बबर को विकेटकीपर‑बॅट्समैन बनाने की सलाह सच्ची है?

यह अभी तक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन कई स्रोतों ने बताया कि हेसन ने बबर को विकल्प के तौर पर यह रास्ता सुझाया। अगर बबर इस भूमिका को अपनाते हैं तो टीम की बैटिंग‑बॉलिंग संतुलन पर बड़ा असर पड़ेगा।

एशिया कप के नियमों में बदलाव की संभावना कितनी है?

नियमों में बदलाव सिर्फ़ असाधारण परिस्थितियों में ही हो सकता है, और इसके लिए एशिया क्रिकेट काउंसिल (ACC) की सहमति चाहिए। इस समय कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं देखा गया।

पाकिस्तान की अगले सीज़न में बबर की वापसी कब हो सकती है?

विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया कप समाप्त होने के बाद, लगभग अक्टूबर‑नवंबर में बबर की वापसी के लिए एक अवसर मिल सकता है, जब घरेलू T20 लीग और अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला चल रही हों।

दुबई में हुए फाइनल में भारतीय टीम ने किस रणनीति से जीत हासिल की?

भारत ने शुरुआती ओवर में तेज़ पावरप्ले की और लक्ष्य को 100 से नीचे रखने के लिए लाइटनिंग‑फिनिश का सहारा लिया। दो जीतते विकेट बाद भी उनका रन‑रेट स्थिर रहा, जिससे उन्हें पांच विकेट से जीत मिल सकी।

4 Comments

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    Sandhya Mohan

    सितंबर 29, 2025 AT 20:31

    क्रिकेट केवल खेल नहीं, यह हमारे सामाजिक मनोवृत्ति का दर्पण है। बबर आज़म को टीम में जोड़ने की कोशिश असफल रहने से यह दर्शाता है कि नियम‑व्यवस्था कितनी दृढ़ है। कभी‑कभी यह विफलता हमें गहरी सोच की ओर ले जाती है, जैसे जीवन में छोटे‑छोटे झटके। फिर भी आशा है कि अगली बार हम इस चुनौती को बेहतर ढंग से संभालेंगे।

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    Govind Kumar

    अक्तूबर 11, 2025 AT 10:18

    मैं इस स्थिति को बहुत विनम्रता से देखता हूँ, और टीम प्रबंधन के प्रयासों को सम्मानित करता हूँ। नियमों की पालना आवश्यक है, इसलिए बबर को बिना आधिकारिक चोट के शामिल करना संभव नहीं रहा। कोच हेसन की वैकल्पिक योजना को मैं सराहता हूँ क्योंकि यह टीम को विविधता प्रदान कर सकती है। आशा है कि भविष्य में उचित प्रक्रियाओं के साथ अधिक लचीलापन दिखेगा।

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    vikash kumar

    अक्तूबर 23, 2025 AT 00:04

    अपरिवर्तनीय नियमों की अनुपालन में ही खेल की शुद्धता निहित है; यह एक बौद्धिक सिद्धांत है। बबर आज़म की संभावित भागीदारी को नकारना केवल नियामकीय परिप्रेक्ष्य में तर्कसंगत निर्णय है। अतः अस्थायी “इंजॉयमेंट कंट्रैक्ट” का प्रस्ताव निरर्थक प्रतीत होता है। इसी प्रकार, प्रत्येक संघ को अपनी अनुशासनात्मक नीतियों के प्रति सजग रहना अनिवार्य है।

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    Anurag Narayan Rai

    नवंबर 3, 2025 AT 13:51

    एशिया कप 2025 में पाकिस्तान की निराशाजनक प्रस्तुति ने कई पहलुओं को उजागर किया है।
    पहले मैच में भारत के खिलाफ टॉप‑ऑर्डर का प्रदर्शन असंतुलित रहा, जिससे टीम का मनोबल घटा।
    दो शट‑आउट और लगातार गिरते विकेट ने रन‑रेट को नीचे धकेल दिया।
    सुपर‑4 में भी वही पैटर्न दोहराया गया, जहाँ बॉलिंग में कोई खास प्रभाव नहीं दिखा।
    इसके परिणामस्वरूप भारत ने आराम से 258 पर पहुँचकर जीत हासिल की।
    बबर आज़म को शामिल करने की कोशिश इस संदर्भ में एक रणनीतिक कदम के रूप में देखी जा सकती है, लेकिन नियामकीय बाधाएँ इसे रोकती हैं।
    नियामक समिति की यह शर्त कि केवल वास्तविक चोट के आधार पर ही बदल संभव है, खेल की निष्पक्षता के लिए आवश्यक प्रतीत होती है।
    फिर भी, कोच माइक हेसन का बबर को बैक‑अप विकेटकीपर‑बैट्समैन बनाने का विचार कई नई संभावनाओं को खोलता है।
    बहु‑भूमिकाओं की आवश्यकता आज के टी‑20 क्रिकेट में स्पष्ट है, और ऐसा विकल्प टीम को लचीलापन दे सकता है।
    हालांकि, बबर ने कभी पेशेवर रूप से विकेटकीपिंग नहीं की, इसलिए इस बदलाव में जोखिम निहित है।
    विशेषज्ञों का मत है कि यदि बबर इस भूमिका को अपनाता है, तो वह टीम की मध्य‑ओवर स्थिरता में योगदान दे सकता है।
    दूसरी ओर, इस कदम से युवा खिलाड़ियों के विकास पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि वे अपने कौशल को गहराई से निखारने का अवसर खो सकते हैं।
    नियमों में बदलाव की संभावना कम है, क्योंकि ACC जैसी बोर्डें अत्यधिक सावधानी बरतती हैं।
    फिर भी, अगर भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जहाँ टीम को अनिवार्य रूप से प्रतिस्थापन चाहिए, तो शायद नियमों में कुछ लचीलापन दिखेगा।
    संक्षेप में, बबर की वापसी का मुद्दा केवल एक व्यक्तिगत चयन नहीं, बल्कि व्यापक नियामकीय और रणनीतिक पहलू को भी छूता है।
    अंत में, क्रिकेट प्रेमियों को यह समझना चाहिए कि खेल का मनोरंजन उसके सच्चे मूल्यों के साथ संगत रहना चाहिए, चाहे वह चयन हो या रणनीति।

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