के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 20 सित॰ 2025    टिप्पणि (0)

Arshdeep Singh का 'लेवल अप' पोस्ट: India vs Pakistan Asia Cup 2025 से पहले चयन पर बहस तेज

रिपोर्ट: कृष्णा

बेंच पर बैठे, मगर बहस के केंद्र में: अरशदीप का संकेत और टीम की सोच

Arshdeep Singh ने मैच से ठीक पहले इंस्टाग्राम पर एक लाइन साझा की—“लेवल अप से पहले सब कुछ मुश्किल हो जाता है… जो धक्का मारकर निकलते हैं, वे उसी जिंदगी में पहुंचते हैं जो कभी पहुंच से बाहर लगती थी।” यह पोस्ट ठीक उस वक्त आया जब एशिया कप 2025 के सुपर-4 में दुबई में भारत-पाकिस्तान भिड़ंत से पहले उन्हें शुरुआती मैच में बाहर रखा गया था। संदेश ने फैंस को साफ संकेत दिया—खिलाड़ी निराश नहीं, बल्कि और सख्त चुनौती के लिए तैयार है।

UAE के खिलाफ भारत ने एक ही स्पेशलिस्ट पेसर जसप्रीत बुमराह खिलाया और सीम बॉलिंग सपोर्ट के लिए हार्दिक पंड्या और शिवम दुबे पर भरोसा किया। स्पिन में कुलदीप यादव के साथ तीन-धीमी गेंदबाजी विकल्पों ने मैच को मोड़ा। प्लेइंग इलेवन में अरशदीप का न होना हर किसी को चौंकाने वाला था, क्योंकि वे T20I में भारत के सबसे सफल विकेटटेकिंग गेंदबाज के रूप में 100-विकेट क्लब में पहुंच चुके हैं।

बैटिंग कोच सितांशु कोटक ने साफ कहा—टीम चयन में कोई व्यक्तिगत पसंद-नापसंद नहीं, 15 में से हर कोई खेलने का हकदार है, अंतिम इलेवन सिर्फ टीम कॉम्बिनेशन पर चुनी जाती है। यही लाइन टीम मैनेजमेंट की सोच भी दिखाती है: मैच-टू-मैच प्लान, पिच और विपक्ष के हिसाब से बदलाव।

पोस्ट की टाइमिंग इसलिए भी भारी पड़ी क्योंकि भारत-पाक मैच को इस साल की भू-राजनीतिक तनातनी के बाद “पहली मुलाकात” के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने इसे “पोस्ट-वार” टोन दिया और कहा—स्टेडियम खचाखच भरेगा, टिकट बिक्री को लेकर अफवाहें अलग हैं, लेकिन भावनाएं सीटें भर देती हैं।

पर्दे के पीछे एक और कहानी है—अरशदीप का हालिया रिकॉर्ड। ओमान के खिलाफ उन्होंने 100 T20I विकेट पूरे किए, वह भी तेज गेंदबाजों में सबसे तेज रफ्तार से इस मुकाम तक पहुंचते हुए, समग्र सूची में रशीद खान और वानिंदु हसरंगा के बाद तीसरे स्थान पर। यह आंकड़ा बताता है कि डेथ ओवर्स में उनका अंदाज—यॉर्कर, एंगल और चेंज-ऑफ-पेस—भारत को बैकएंड पर सुरक्षा देता है।

रणनीति, पिच और आंकड़े: क्या अरशदीप का केस और मजबूत हुआ?

दुबई में रात की ओस और हार्ड लेयर वाली पिचें अक्सर सीम मूवमेंट कम देती हैं, लेकिन नई गेंद से एंगल पैदा करने वाला लेफ्ट-आर्म ऑप्शन पावरप्ले में बड़ा हथियार बन सकता है। पाकिस्तान का टॉप ऑर्डर आमतौर पर दाएं हाथ के बल्लेबाजों से भरा रहता है, ऐसे में इनस्विंगर/क्रॉस-सीम लेंथ के साथ लेफ्ट-आर्म का पहला स्पेल मैच-टेम्पो सेट कर देता है। यही वजह है कि फैंस पूछ रहे हैं—क्या भारत ने UAE के खिलाफ सफल स्पिन-हैवी टेम्पलेट को पाकिस्तान के खिलाफ भी जस का तस रखना है, या एक अतिरिक्त पेसर की जरूरत होगी?

टीम इंडिया का मौजूदा टेम्पलेट यह कहता है—अगर पिच धीमी हो और मिडिल ओवर्स में ग्रिप दिखे, तो तीन स्पिनरों के साथ जाना ही फायदे का सौदा है। लेकिन पाकिस्तान जैसे विपक्ष के खिलाफ, जहां पावरप्ले में जल्दी विकेट लेना पूरे गेम का नैरेटिव बदल देता है, वहां दो स्पेशलिस्ट पेसर्स का कॉम्बिनेशन रिस्क लेते हुए भी रिवॉर्ड दे सकता है। यह बैलेंसिंग एक्ट ही चयन का असली निचोड़ है।

अब जरा फॉर्म और रिद्म की तरफ देखें। अरशदीप ने पिछले महीनों में नई गेंद और डेथ दोनों में प्रभाव डाला है। 100 विकेट का आंकड़ा सिर्फ संख्या नहीं, एक मैसेज है—बोलिंग आर्चेटाइप के तौर पर वह भारत के बॉलिंग एसेट हैं। बुमराह-हार्दिक की जोड़ी पहले से है, लेकिन एक लेफ्ट-आर्म स्पेशलिस्ट के जुड़ने से एंगल, फील्ड सेट्स और प्लान-बी/सी की ऑप्शंस कई गुना बढ़ जाती हैं।

चयन पर चर्चा वहीं से उठती है जहां कॉन्टेक्स्ट बदलता है। UAE के खिलाफ 58 का टारगेट 4.3 ओवर में चेज करना बताता है कि मैच का पैटर्न एकतरफा हो गया था—ऐसे में रोटेशन पॉलिसी स्वाभाविक लगी। पाकिस्तान के खिलाफ हालांकि टेम्पो अलग होगा। यहां बारीकियां काम आएंगी—पावरप्ले की लेंथ, बॉलर के रिलीज एंगल, और बैटर्स के शुरुआती मूवमेंट को पढ़ना।

टीम के सामने संभावित रास्ते क्या हैं?

  • अगर पिच पर उछाल और कैरी दिखे: दो स्पेशलिस्ट पेसर + दो स्पिनर + एक सीमर ऑलराउंडर का कॉम्बिनेशन संतुलित रहेगा।
  • अगर सतह सूखी और धीमी हो: तीन स्पिनर बरकरार रखें, लेकिन नई गेंद से लेफ्ट-आर्म वैरिएशन के लिए एक स्लॉट अरशदीप को दें—डेथ में भी प्लान मजबूत होगा।
  • अगर ओस भारी पड़े: डेथ में यॉर्कर पर भरोसा बढ़ेगा, जिससे स्लोअर-हेवी प्लान का असर कम और हिट-द-होल्स रणनीति ज्यादा कारगर होगी।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया सीधी रही—रिकॉर्ड और परिस्थितियां, दोनों अरशदीप के पक्ष में खड़ी दिखती हैं। खिलाड़ियों का वर्कलोड मैनेजमेंट भी समीकरण में है; बड़े टूर्नामेंट के बीच बैक-टू-बैक मैचों में रोटेशन सिर्फ प्रयोग नहीं, जरूरी कवच बन जाता है। कोचिंग स्टाफ की लाइन—“टीम की जरूरत”—यही बताती है कि किसी भी दिन कोई भी बड़ा नाम बाहर हो सकता है, और अगले ही मैच में प्लॉट बदल सकता है।

पाकिस्तान की ओर नजर डालें तो उनका हालिया फॉर्म बता रहा है कि वे बड़े स्कोर सेट करने में सहज हैं—ओमान के खिलाफ 93 रन की बड़ी जीत इसका संकेत दे चुकी है। ऐसे में नई गेंद से एक-दो स्ट्राइक पूरे मैच को नई दिशा दे सकती हैं। भारत ने UAE के खिलाफ जो आक्रामक, नतीजा-उन्मुख स्प्रिंट दिखाया, वह टीम की बॉडी-लैंग्वेज बता देता है कि वे मैच को मोमेंटम से चलाते हैं—इसी मोमेंटम की शुरुआती चिंगारी अक्सर बॉल से आती है।

अरशदीप का क्रिप्टिक पोस्ट इसी चिंगारी का इशारा लगता है—मुश्किलें दरअसल अगले स्तर के ठीक पहले खड़ी होती हैं। चयन का फैसला चाहे जो हो, एक बात साफ है: लेफ्ट-आर्म का विकल्प भारत के पास है, फॉर्म भी साथ है, और बड़े मंच पर मैच-अप्स की कीमत सबसे ज्यादा होती है।

दुबई की रात, भरे हुए स्टैंड्स, और एक पोस्ट जिसने बहस को हवा दी—कहानी यहीं से दिलचस्प होती है। अब निगाहें टॉस, पिच रिपोर्ट और टीम शीट पर टिकेंगी। अगर नंबर 100 के बाद अगला बड़ा मोड़ आना है, तो उसके संकेत अरशदीप दे चुके हैं—धक्का मारकर निकलने वालों के लिए दरवाजे खुलते हैं।