के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 7 अक्तू॰ 2024 टिप्पणि (0)
पोप फ्रांसिस की ऐतिहासिक घोषणा
पोप फ्रांसिस ने हाल ही में 21 नए कार्डिनलों के सृजन के लिए कांसिस्टरी की घोषणा की है, जो इतालवी चर्च के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। इस निर्णय का उद्देश्य विश्वभर के विभिन्न भागों से कार्डिनलों को शामिल करके कैथोलिक चर्च की 'यूनिवर्सैलिटी' को बढ़ावा देना है। यह आयोजन 8 दिसंबर, 2024 को वेटिकन के इमाकुलेट कॉन्सेप्शन के त्योहार के दिन होगा। यह घोषणा न केवल धार्मिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण है बल्कि यह सांस्कृतिक और समाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले नए कार्डिनलों को मौका मिलता है।
विविधता का प्रतीक
इस बार चुने गए कार्डिनल विभिन्न देशों और संस्कृतियों से हैं, जिससे यह स्पष्ठ होता है कि चर्च की छवि अब और अधिक समावेशी हो रही है। कार्डिनल-चुने हुए व्यक्तियों में पेेरू के अर्चबिशप कार्लोस गुस्तावो कास्टिलो मटासोग्लियो, अर्जेंटीना के अर्चबिशप विंसेंट बोकालिक इग्लिक, इक्वाडोर के अर्चबिशप लुइस गिरार्डो काबरेरा, चिली के फर्नांडो नैतालियो चोमाली, जापान के तर्तिसियो इसाओ किकुची, फिलीपींस के पाब्लो विर्गिलियो सियोनगको डेविड के नाम शामिल हैं। यह निर्वाचन न केवल नए कार्डिनलों के व्यक्तिगत योगदान को सम्मानित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि चर्च प्रत्येक भूगोलिक क्षेत्र की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को समझता है।
सिंथेसिस ऑफ ट्रादिशन एंड मॉडर्निटी
पोप फ्रांसिस का यह कदम चर्च को आधुनिक आवश्यकता के अनुरूप ढालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। विभिन्न देशों के नए कार्डिनलों की नियुक्ति से संसार के विभिन्न हिस्सों में चर्च का प्रतिनिधित्व व समाज पर प्रभाव विस्तार होगा। इसमें सर्बिया के अर्चबिशप लडिसलाव नेमेट, ब्राजील के अर्चबिशप जेम स्पेंगलर, आइवरी कोस्ट के अर्चबिशप इग्नेस बासी डोग्बो, अल्जीरिया के अर्चबिशप जीन-पॉल वेस्को शामिल हैं। यह समारोह यह संकेत देता है कि चर्च स्थिर होकर रहना नहीं चाहता, बल्कि वह सामाजिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।
सिनॉड ऑन सिनोडालिटी और भविष्य के विचार
सिनॉड ऑन सिनोडालिटी के दूसरे सत्र के बीच में यह घोषणा आई है जिसने चर्च के सुधार के प्रगतिशील चरण को प्रस्तुत किया है। इस नए बदलाव के तहत यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कैसे ये कार्डिनल विभिन्न मुद्दों पर चर्च को दिशा देंगे। इसमें इंडोनेशिया के बिशप पासकलिस ब्रूनो स्युकुर, ईरान के अर्चबिशप डोमिनिक जोसेफ मथियु, इटली के अर्चबिशप रॉबर्टो रीप्पोल और कनाडा के अर्चबिशप फ्रांसिस लियो शामिल हैं।
विश्वास और उम्मीद का जश्न
यह कांसिस्टरी न केवल एक धार्मिक समारोह है, बल्कि यह एकजुटता और सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। 2025 की उम्मीदों की जुबिली के आगे, यह घोषणा एक नई आशा का संचार करती है। चर्च के इस फैसले का व्यापक प्रभाव होगा और चर्च को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपना कार्य और प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिलेगा।