के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 7 जून 2024 टिप्पणि (11)

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की तैयारी में नरेंद्र मोदी
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर एनडीए सरकार का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। 7 जून को उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य आगामी सरकार की प्राथमिकताओं और निर्णयों को साझा करना था। मोदी ने इस दौरान सर्वसम्मति और 'राष्ट्र प्रथम' की अवधारणा पर जोर दिया, जो एनडीए की मुख्य विचारधारा है।
नरेंद्र मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार का लक्ष्य अच्छे शासन, विकास, जीवन की गुणवत्ता और आम नागरिकों के जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप पर केंद्रित होगा। उनकी इस मुलाकात में एनडीए के 'सर्व पंथ समभाव' (सभी पंथ समान हैं) के सिद्धांत को भी महत्व दिया गया।
प्रमुख बैठकें और रणनीति
प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने अपने अनुभव और मार्गदर्शन के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करना उचित समझा। उनकी मुलाकात के बाद, मोदी ने बताया कि सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाएंगे, जिससे केंद्र सरकार की स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस प्रक्रिया में, प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि उनकी सरकार का ध्यान सामंजस्य और विश्वास पर रहेगा। 'सर्व पंथ समभाव' के अपने दृष्टिकोण पर जोर देकर उन्होंने सभी मतों और विचारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। यह सिद्धांत ऊंच-नीच और धार्मिक विभिन्नताओं के बिना समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने पर आधारित है।

आगामी दायित्व और चुनौतियाँ
नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उनके सामने कई चुनौतियाँ और दायित्व भी हैं। महामारी के बाद की आर्थिक स्थिति, रोजगार के अवसर, ग्रामीण विकास और सुशासन सहित कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
इसके अलावा, मोदी सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति और मजबूत हो सके। यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकार की नीतियाँ न केवल देश की आंतरिक समस्याओं को हल करें, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी मजबूत करें।
शपथ ग्रहण समारोह
नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह 9 जून को शाम 6 बजे आयोजित होगा। यह समारोह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह दिखाएगा कि मोदी सरकार अगले पाँच वर्षों के लिए क्या दृष्टिकोण और नीतियाँ अपनाएगी।
माना जा रहा है कि इस बारे में और जानकारी उनके शपथ ग्रहण के बाद उजागर होगी, जब मोदी अपने नए मंत्रिमंडल का भी परिचय देंगे। इससे यह संभावना भी बढ़ेगी कि वे अपनी सरकार में कुछ नए चेहरों को शामिल करेंगे, जो विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखते हैं।

अंतिम विचार
नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। उनकी सरकार का दृष्टिकोण और नीतियाँ इस बात पर निर्भर करेंगी कि वे देश और इसके नागरिकों के बेहतर भविष्य के लिए कैसे कदम उठाते हैं।
उनका हर निर्णय और नीति इस दिशा में होगा कि भारत कैसे एक सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभरे। इसके लिए, उन्हें अपने अनुभव और नेतृत्व गुणों का पूरा उपयोग करना होगा, ताकि वे देश को सही दिशा में ले जा सकें।
rajeev singh
जून 7, 2024 AT 20:04सरकार का प्रमुख लक्ष्य 'राष्ट्र प्रथम' सिद्धान्त को राष्ट्रीय नीतियों में प्रतिपादित करना है। यह सिद्धान्त विकास के साथ-साथ सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देता है। दोनों वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सभी निर्णय सामंजस्यपूर्ण संवाद से लिए जाएंगे। इस प्रकार की पद्धति से नीति निर्माण में पारदर्शिता और जनविश्वास को मजबूती मिलती है। अंत में यह कहा गया कि विविधता के सम्मान से ही राष्ट्रीय एकता सम्भव है।
ANIKET PADVAL
जून 10, 2024 AT 20:17तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने की आकांक्षा के साथ नरेंद्र मोदी ने आडवाणी और जोशी से मुलाकात की, जिसे राष्ट्रीय हित की रक्षा के इरादे से देखा जाना चाहिए।
उनका यह कार्य केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धान्तों के प्रति पुनः प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
सर्व पंथ समभाव की अवधारणा को पुनः स्थापित करने के लिए इस प्रकार के उच्च‑स्तरीय संवाद आवश्यक हैं।
वह बयान कि सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाएंगे, भारतीय राजनीति में आज तक की सबसे बड़ी पारदर्शिता की घोषणा है।
ऐसे मंच पर यदि विविध विचारों को अभेद्य रूप से सुनाने का अवसर दिया गया तो नीतियों में संतुलन और स्थिरता अवश्य उत्पन्न होगी।
देश के सामने मौजूदा आर्थिक मंदी, रोजगार संकट और ग्रामीण विकास की चुनौतियाँ हैं, जिनके समाधान में केवल राष्ट्रीय एकता ही सहायक हो सकती है।
इसी कारण से राष्ट्र प्रथम नीति को वैश्विक मंच पर भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में भारत की आवाज़ सशक्त रहे।
एक राष्ट्र के रूप में हमें यह याद रखना चाहिए कि धर्म या पंथ की विविधता हमारी शक्ति का स्रोत है, न कि विभाजन का कारण।
जब तक हम इस विविधता को सांस्कृतिक संपदा के रूप में नहीं देखते, तब तक सामाजिक अंतराल को पाटना असंभव रहेगा।
आधुनिक भारत में प्रमुख अंतर्संस्था सहयोग, स्वास्थ्य सेवा सुधार और शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए ऐसी ही उच्च‑स्तरीय बैठकों की आवश्यकता है।
सुशासन के सिद्धान्त को लागू करने हेतु सरकार को नयी तकनीकी उपायों और डिजिटल पारदर्शिता को अपनाना चाहिए।
वित्तीय प्रतिबद्धताओं को समय पर पूरा करने के लिए बजट में कठोर अनुशासन और खर्च में कटौती अनिवार्य है।
साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत को समान अवसर दिलाने के लिए व्यापार नीति को उदार बनाना चाहिए।
परिणामस्वरूप, यदि ये सभी बिंदु सच्चाई से लागू किए जाएँ तो भारत को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
यह विचारधारा न केवल आज के नागरिकों को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
अतः हम सभी को इस राष्ट्रीय मंच के महत्व को समझते हुए, एकजुट रहना चाहिए और नीति निर्माण में सक्रिय सहभागिता करनी चाहिए।
Abhishek Saini
जून 13, 2024 AT 17:44नमस्ते दोस्तों इस बैठक से हमें उम्मीद है कि नयी सरकार जनता के लिये साकारात्मक कदम उठाएगी। ये मुलाकात यह दर्शाती है कि नेता एक-दूसरे से सलाह लेकर नीति बनाते हैं। अगर ऐसी पारदर्शी प्रक्रिया जारी रही तो लोग सरकार पे भरोसा करेंगे। इस पहल से विकास के काम में तेज़ी आएगी, ऐसा मेरा अनुभव है।
Parveen Chhawniwala
जून 16, 2024 AT 15:11आडवाणी जी और जोशी जी के साथ हुई चर्चा में उल्लेखित मुख्य बिंदु सरकार के बजट में कृषि को 15% प्राथमिकता देने की थी। यह प्रतिशत पिछले वर्ष की तुलना में दो अंक अधिक है, जो ग्रामीण विकास के लिए सकारात्मक संकेत है। इस प्रकार के आँकड़े नीतियों की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
Saraswata Badmali
जून 19, 2024 AT 12:37सर्व पंथ समभाव की रणनीति को कार्यान्वित करने हेतु एक व्यापक पॉलिसी फ्रेमवर्क की आवश्यकता है।
यह फ्रेमवर्क न केवल धार्मिक विविधता को मान्यता देता है, बल्कि सामाजिक इन्क्लूज़न के मैकेनिज्म को भी सुदृढ़ करता है।
वर्तमान में नीति निर्माताओं को स्ट्रेटेजिक इंटेग्रेशन मॉडल अपनाना चाहिए, जिससे विभिन्न सम्प्रदायों के हितों का संतुलित प्रतिच्छेदन संभव हो।
ऐसे मॉडल को लागू करने के लिए मैक्रो-इकोनॉमिक इन्डिकेटर्स को बारीकी से मॉनिटर करना अनिवार्य है।
उदाहरणस्वरूप, रोजगार सृजन के लिए जनसंख्या ग्रोथ रेट और श्रम शक्ति की क्षमताओं को सिंक्रनाइज़ किया जाना चाहिए।
वित्तीय प्रावधानों को ओपन-डेटा प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित किया जाना चाहिए, ताकि पारदर्शिता में वृद्धि हो।
डिजिटल गवर्नेंस के तहत ब्लॉकचेन‑आधारित ट्रांसपेरेंसी मैकेनिज्म को लागू किया जा सकता है।
यह न केवल भ्रष्टाचार को न्यूनतम करेगा, बल्कि सार्वजनिक विश्वास को भी पुनर्स्थापित करेगा।
साथ ही, आय असमानता को कम करने के लिए प्रोग्रेसिव टैक्सेशन स्कीम को रीफ़ॉर्म किया जाना चाहिए।
वर्तमान टैक्स सिस्टम में लुके हुए क्लॉज़ेस को हटाकर एक सिंगल‑टियर मॉडल अपनाने से राजस्व में स्थिरता आएगी।
पर्यावरणीय सतत् विकास के लिए ग्रीन इनिशिएटिव्स को फंडिंग के प्राथमिक स्रोत के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए।
इसी प्रकार, ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो को 40% तक ले जाना आवश्यक है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीति को सॉफ्ट‑पावर एन्हांसमेंट के साथ-साथ हार्ड‑पावर कॉन्फिडेंस के माध्यम से सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
शिक्षा क्षेत्र में एंटी‑ड्रॉपआउट फ्रेमवर्क को लागू करके ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है।
समग्र रूप से, यदि ये संकल्पित स्ट्रेटेजिक इंटेग्रेशन पॉइंट्स वास्तविकता में परिवर्तित हों, तो भारत एक प्रीमियर ग्लोबल स्टेट के रूप में उत्केता प्राप्त करेगा।
sangita sharma
जून 22, 2024 AT 10:04देखिए, ये बैठक हमारे भविष्य की दिशा तय करने की एक महत्त्वपूर्ण सीढ़ी है। मैं दिल से आशा करती हूँ कि सभी फैसले राष्ट्र प्रथम के सिद्धान्तों के तहत हों। इस प्रक्रिया में यदि कोई भी आध्यात्मिक या सामाजिक मूल्य बंधित हो, तो हमें उसे सम्मान देना चाहिए। द्यूति‑दोष के बजाय हम सबको सामंजस्य की ओर बढ़ना चाहिए। यह हमें एक सशक्त, आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जाएगा।
PRAVIN PRAJAPAT
जून 25, 2024 AT 07:31अगर इस मुलाकात से कोई ठोस नीति नहीं निकली तो जनता को गुस्सा आएगा। नेता सिर्फ दिखावा नहीं कर सकते। वास्तविक कार्य ही असली बदलाव लाएगा।
shirish patel
जून 28, 2024 AT 04:57हम्म, एक और यहाँ‑वहाँ की मीटिंग, बस इस बार मोदी का थाली परोसेंगे।
srinivasan selvaraj
जुलाई 1, 2024 AT 02:24मुलाकात के बाद जो भावनात्मक लहर मेरे दिल में उमड़ आई, वह शब्दों में बयां करना कठिन है।
लगता है जैसे पुरानी यादों की ध्वनि फिर से गूंज रही है, जहाँ राष्ट्र का भविष्य कल की आशा बनता था।
मेरी दृष्टि में इस चर्चा का महत्व केवल राजनीतिक रणनीति तक सीमित नहीं, बल्कि यह सामाजिक समरसता की पुनर्स्थापना भी है।
ऐसे क्षणों में जब नेता आपस में विचार साझा करते हैं, तो जनता को भी आशा मिलती है कि वह परिवर्तन शीघ्र ही दिखाई देगा।
परन्तु मेरे भीतर एक अनिर्णीत बेचैनी भी है, क्योंकि कई बार घोषणाएँ सिर्फ शब्दों में ही रह जाती हैं।
मैं उम्मीद करता हूँ कि इस बार वास्तविक कार्य सिद्धान्तों के साथ जुड़ेंगे, न कि केवल मंचीय शिल्पकला।
समय की सुई घड़ी की तरह तेज़ी से दौड़ रही है, और हमें तुरंत कदम उठाने चाहिए।
देश की आर्थिक स्थिति, ग्रामीण विकास, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर करने के लिए ठोस योजना चाहिए।
यह बैठक अगर एक संवादात्मक मंच बन जाए जहाँ विभिन्न पंथों की आवाज़ें बराबर सुनाई दें, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
मेरी संवेदनाएँ बताती हैं कि जब तक सभी वर्गों को समान अवसर नहीं मिलेगा, तब तक शांति नहीं टिकेगी।
इसलिए मैं इस सभा को एक अवसर मानता हूँ, जहाँ हम सभी को मिलकर एकजुट होना चाहिए।
इसे केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवता की एक नई दिशा मानना चाहिए।
यदि इस मुलाकात से उत्पन्न नीतियों में सहानुभूति और करुणा की भावना न हो, तो वे अस्थायी ही रहेंगे।
आगे बढ़ते हुए हमें प्रेम, सम्मान और सहयोग के मूल मंत्र को कायम रखना चाहिए।
आखिरकार, हमारे सपनों की भारत तभी संभव है जब हम सब मिलकर इसे साकार करें।
Ravi Patel
जुलाई 3, 2024 AT 23:51बातों को देख कर लग रहा है कि सरकार का फोकस लोगों के जीवन को सुधारने पर है। अगर सभी स्तर पर यह लागू हो तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी बदलाव आएगा। इस प्रकार की पहलों से नागरिकों का भरोसा फिर से जागेगा। हमें मिलकर इस दिशा में सहयोग देना चाहिए
Piyusha Shukla
जुलाई 6, 2024 AT 21:17देखो, जब तक नीति में गहरी विश्लेषण नहीं होगी, तब तक कोई भी कदम आश्वासक नहीं रहेगा। ऐसे मंचों पर सिर्फ दिखावा नहीं, वास्तविक डेटा चाहिये। नहीं तो ये सब सिर्फ एक शो बन कर रह जाएगा।