के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay    पर 1 जून 2024    टिप्पणि (0)

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024: मुफ्त काउंसलिंग से सैकड़ों लोगों ने छोड़ी तंबाकू की लत, बने 250 स्वास्थ्य योद्धा

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024: तंबाकू निषेध में बढ़ते कदम

हर साल 31 मई को मनाया जाने वाला विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 इस बार कुछ अलग और विशेष था। इस बार के आयोजन ने 'आई एम अगेंस्ट टोबैको' संस्था द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों को प्रमुखता से उजागर किया। इस संगठन की स्थापना प्रदीप चावला ने 2019 में की थी और तब से यह तंबाकू की लत से जूझ रहे लोगों को मुफ्त काउंसलिंग उपलब्ध करवा रहा है।

पिछले चार वर्षों में, इस संस्था ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से 2,200 से अधिक लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। तंबाकू छोड़ने के लिए की गई इन कोशिशों का परिणाम सकारात्मक रहा है। सैकड़ों लोग अब तंबाकू मुक्त जीवन जी रहे हैं और करीब 250 लोग 'स्वास्थ्य योद्धा' के रूप में उभरकर सामने आए हैं। ये 'स्वास्थ्य योद्धा' अब खुद औरों को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

प्रदीप चावला का लक्ष्य

प्रदीप चावला का उद्देश्य केवल तंबाकू छोड़वाना नहीं है, बल्कि एक तंबाकू मुक्त भारत का निर्माण करना है। उनके अनुसार, तंबाकू का सेवन मुख कैंसर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण है। उनकी इस मुहिम को डिजिटल इंडिया और नीति आयोग द्वारा 2023 में बेस्ट सोशल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

तंबाकू की लत छोड़ने में कठिनाई का सामना कर रहे लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए उनके द्वारा दी जाने वाली मुफ्त काउंसलिंग ने एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। उनके प्रयासों से यह संभावना जगी है कि लोग तंबाकू की घातक आदत को पीछे छोड़ कर एक स्वस्थ जीवन यापन करने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

स्वास्थ्य योद्धाओं की उत्पत्ति

'आई एम अगेंस्ट टोबैको' के मार्गदर्शन में तंबाकू की लत छोड़ चुके सैकड़ों लोग अब खुद 'स्वास्थ्य योद्धा' बनकर औरों की सहायता कर रहे हैं। ये योद्धा न केवल अपने अनुभव साझा कर रहे हैं, बल्कि संगठनों और समुदायों में जागरूकता फैलाने का कार्य भी कर रहे हैं।

इन 'स्वास्थ्य योद्धाओं' का कहना है कि तंबाकू छोड़ने का फैसला उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय था। अपनी कहानी साझा कर, ये अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं, जिससे सामूहिक रूप से तंबाकू निषेध की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा सके।

तंबाकू की लत के विरुद्ध जारी जंग

तंबाकू छोड़ना आसान नहीं है, यह बात प्रदीप और उनके संगठन के सदस्य अच्छी तरह समझते हैं। वे तंबाकू छोड़ने की प्रक्रिया के दौरान आने वाली मानसिक और शारीरिक चुनौतियों को लेकर विस्तृत समझ रखते हैं और इसी के अनुसार प्रभावी रणनीतियाँ अपनाते हैं। शुरुआत में, लोगों को यह विश्वास दिलाना सबसे महत्वपूर्ण होता है कि वे तंबाकू की लत से निपट सकते हैं। चावला का मानना है कि सकारात्मक सोच और निरंतर समर्थन ही किसी को इस लत से निजात दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

चावला की प्रेरणा

चावला की प्रेरणा

प्रदीप चावला का यह प्रयास उनके व्यक्तिगत जीवन की प्रेरणा से प्रेरित है। उन्होंने स्वयं तंबाकू की लत से जूझ कर इसे छोड़ा है और इसके बाद, उन्होंने इस दिशा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके अनुसार, तंबाकू सीधे तौर पर न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थितियों पर भी प्रभाव डालता है।

वे मानते हैं कि तंबाकू निषेध से जनस्वास्थ्य में व्यापक सुधार संभव है। उन्होंने अपने संघर्ष और तजुर्बे से प्रेरणा लेकर इस अभियान को शुरू किया और हर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लिया है।

भविष्य की योजनाएँ

प्रदीप चावला और उनकी टीम की योजना है कि वे इस अभियान को और भी अधिक विस्तारित करें। तंबाकू मुक्त समाज की दिशा में काम करके वे भारत को स्वस्थ और समृद्ध देश बनाने का लक्ष्य रखते हैं। उनके अनुसार, तंबाकू के सेवन के खिलाफ जागरूकता फैलाना और लोगों को इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराना बहुत जरूरी है।

इस योजना के तहत वे स्कूलों, कॉलेजों, और कार्य स्थलों पर भी जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही, वे विभिन्न स्थानों पर मुफ्त काउंसलिंग सत्रों का भी आयोजन करेंगे।

सामाजिक समर्थन और भागीदारी

चावला मानते हैं कि तंबाकू निषेध के इस अभियान में सबसे जरुरी चीज है सामाजिक समर्थन और भागीदारी। उन्होंने विभिन्न समुदायों, संस्थानों और संगठनों से सहयोग की अपील की है, ताकि इस अभियान को अधिकतम लोगों तक पहुंचाया जा सके।

वे कहते हैं कि अगर सभी मिलकर काम करें और एक साथ कदम बढ़ाएँ, तो तंबाकू से मुक्ति पा सकते हैं। उनके अनुसार, यह अभियान केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय हित का भी है।

सामाजिक और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में कदम

इस अभियान के तहत, चावला और उनकी टीम ने अनुसंधान और डेटा विश्लेषण पर भी जोर दिया है। वे इस दिशा में हो रहे प्रगति को मापने के लिए विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन कर रहे हैं। इन अध्ययनों के माध्यम से, वे प्रभावी रणनीतियों और योजनाओं को तैयार कर रहे हैं, जो तंबाकू निषेध की दिशा में अधिक प्रभावी साबित हो सकें।

तंबाकू निषेध के इस अभियान की सफलता केवल प्रदीप चावला और उनकी टीम के प्रयासों का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उन सैकड़ों लोगों की भी मेहनत का नतीजा है, जिन्होंने तंबाकू की लत को छोड़ा और अब औरों को प्रेरित कर रहे हैं।

तंबाकू का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

तंबाकू का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

तंबाकू केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक गंभीर समस्या है। तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो चिकित्सीय खर्च को बढ़ाते हैं और कार्य क्षमता को कम करते हैं। यह समस्या न केवल व्यक्तियों बल्कि उनके परिवारों और समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।

इस समस्या के समाधान की दिशा में चावला का यह अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है। वे मानते हैं कि अगर हर व्यक्ति इस अभियान में शामिल होकर अपनी भूमिका निभाए, तो तंबाकू मुक्त भारत का सपना जल्द ही साकार हो सकता है।

स्वास्थ्य योद्धाओं की भूमिका

स्वास्थ्य योद्धा न केवल स्वयं तंबाकू मुक्त हो चुके हैं, बल्कि वे अब अन्य लोगों को मदद और मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहे हैं। विभिन्न कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से, ये योद्धा तंबाकू निषेध की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

इन योद्धाओं की कहानियाँ और उनके व्यक्तिगत अनुभव अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रहे हैं। वे अपने अनुभवों के माध्यम से लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और उन्हें एक सक्षम और स्वस्थ जीवन जीने की राह दिखा रहे हैं।

समापन

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 के मौके पर यह स्पष्ट होता है कि तंबाकू निषेध की दिशा में किए गए ये प्रयास सफल हो रहे हैं। 'आई एम अगेंस्ट टोबैको' संगठन और प्रदीप चावला की मेहनत और प्रतिबद्धता सराहनीय है। तंबाकू निषेध की इस मुहिम को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना और तंबाकू मुक्त भारत का सपना साकार करना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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