नए दिशानिर्देश और विवाद
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने हाल ही में BCCI द्वारा जारी किए गए 10-बिंदु दिशा-निर्देशों पर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। यह विवाद ऐसे वक्त सामने आया है जब ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए टीम की घोषणा की जा रही थी। दिशा-निर्देशों में विशेष रूप से लंबे दौरों के दौरान खिलाड़ियों के परिवार के सदस्यों की उपस्थिति को सीमित किया गया है। दिशानिर्देशों के अनुसार, परिवार के सदस्यों को अधिकतम 14 दिनों की अवधि के लिए ही खिलाड़ियों के साथ रहने की अनुमति है, और इससे अधिक की अवधि के लिए कोच की विशेष अनुमति आवश्यक होगी।
रोहित शर्मा की चिंता
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रोहित शर्मा ने BCCI के नए दिशा-निर्देशों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यहां तक पूछ लिया कि क्या दिशा-निर्देश वास्तव में BCCI का आधिकारिक रुख है। इस दौरान रोहित की अपने साथी खिलाड़ियों और चयनकर्ता प्रमुख अजीत अगरकर के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा सुनी गई। रोहित ने अगरकर से साफ कहा कि वे BCCI सचिव देवजीत सैकिया के साथ मिलकर इस पर चर्चा करेंगे ताकि खिलाड़ियों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
चयनकर्ताओं की प्रतिक्रिया
चयनकर्ता प्रमुख अजीत अगरकर ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। उनके अनुसार, दिशा-निर्देशों में ज्यादातर चीजें पहले से ही लागू हैं और खिलाड़ी स्वयं परिपक्व हैं। अजीत का मानना था कि खिलाड़ी सुपरस्टार होते हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का भली-भांति पता होता है।
टीम की घोषणा और हालिया प्रदर्शन
भारत की चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए 15 सदस्यीय टीम की घोषणा रोहित शर्मा को कप्तान बनाकर की गई है, और शुबमन गिल को उप-कप्तान की भूमिका सौंपी गई है। टीम में प्रमुख खिलाड़ियों में विराट कोहली, केएल राहुल और जसप्रीत बुमराह शामिल हैं। हालांकि, पिछले सीज़न में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जिसमें श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज हार और घरेलू टेस्ट सीरीज में न्यूज़ीलैंड से 0-3 से हार शामिल है।
भविष्य की संभावनाएं
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं की भूमिका का निर्धारण होना तय है। भारत अपने अभियान की शुरुआत 20 फरवरी, 2025 को बांग्लादेश के खिलाफ करेगा। खिलाड़ियों और विशेष रूप से रोहित शर्मा के लिए यह समय विचार और पुनरावृत्ति का है कि वे कैसे इन नई दिशाओं में संतुलन बनाते हुए अपने खेल पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

Harmeet Singh
जनवरी 18, 2025 AT 20:47रोहित की नाराज़गी बिल्कुल समझ में आती है। इस तरह की प्रतिबंधें खिलाड़ी की मानसिक शांति को प्रभावित कर सकती हैं। हमें यह देखना चाहिए कि क्या यह कदम वास्तव में प्रदर्शन को सुधारता है या सिर्फ नौकरशाही का एक हिस्सा है। यदि सभी पक्ष मिलकर एक संतुलित समाधान निकालें, तो टीम की एकता मजबूत होगी। इस सिलसिले में सभी की आवाज़ सुनी जानी चाहिए।
patil sharan
जनवरी 18, 2025 AT 21:53बिलकुल, BCCI की नई नीति से सबको ख़ुशी है, है ना? अब players को घर से दूर रहना पड़ेगा, तो टीवी पर भी कम दर्शक मिलेंगे। लंबी टूर्नामेंट की बजाय छोटे‑छोटे मैचों का मज़ा ले लेना चाहिए। यह सब एक बड़ी मज़ाकिया सी बात है।
Nitin Talwar
जनवरी 18, 2025 AT 23:00क्या BCCI के पास खिलाड़ी के परिवार को रोकने का कोई गुप्त एजेंडा नहीं है? 🤔 यह सब दफ़ा‑दफ़ा बदलते नियम सिर्फ़ फॉर्मलिटी लगते हैं, असली मकसद तो कुछ और है। हमें सतर्क रहना चाहिए, नहीं तो हमारी टीम पर असर पड़ेगा। 😠
onpriya sriyahan
जनवरी 19, 2025 AT 00:07रोहित की बात में दम है क्योंकि खिलाड़ी भी इंसान होते हैं और उनका परिवार भी उनका साथ देता है। हम सबको मिलकर इस नियम को फिर से देखना चाहिए ताकि खेल और मन दोनों जीतें
Jay Baksh
जनवरी 19, 2025 AT 01:13ऐसे नियमों से हमारी राष्ट्रीय घमंड को चोट पहुँचती है। हम चाहते हैं कि खिलाड़ी अपने घर से दूर न हों, बल्कि देश के लिए लड़ते रहें। यह सब एक नाटकीय खेल है।
Ramesh Kumar V G
जनवरी 19, 2025 AT 02:20नए दिशा‑निर्देशों का मुख्य उद्देश्य लागत और लॉजिस्टिक को नियंत्रित करना है। BCCI ने पिछले वर्षों में इसी तरह की सीमाएं लागू की थीं, लेकिन उनका पालन अधूरा रहा। यह नियम अगर ठीक से लागू किया जाए तो टीम की तैयारी में मदद मिल सकती है।
Gowthaman Ramasamy
जनवरी 19, 2025 AT 03:27नमस्ते, नई नीति के संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाना आवश्यक है कि परिवार के साथ रहने की अवधि केवल खेल के प्रदर्शन को नहीं, बल्कि खिलाड़ियों की अभिव्यक्ति को भी प्रभावित करेगी। उचित अनुदान और स्पष्ट प्रोटोकॉल स्थापित करने पर विचार किया जाना चाहिए। धन्यवाद 🙏
Navendu Sinha
जनवरी 19, 2025 AT 04:33क्रिकेट केवल एक खेल नहीं, यह हमारे समाज की प्रतिबिंब है। जब नियम बनाने वाले बोर्ड निर्णय लेते हैं, तो उनका असर पूरे राष्ट्र पर पड़ता है। रोहित शर्मा की नाराज़गी इस बात का संकेत है कि खिलाड़ियों की निजी ज़िंदगी को किनारा नहीं देना चाहिए। परिवार के साथ समय बिताना मानसिक संतुलन के लिए आवश्यक है, जैसा कि कई मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में दर्शाया गया है। यदि यह संतुलन बिगड़ता है, तो प्रदर्शन में गिरावट स्वाभाविक है। इसलिए नई नीति को लागू करने से पहले विस्तृत परामर्श करना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने भी कहा था कि 'परिवार ही शक्ति का स्रोत है'। बिना परिवार के समर्थन के खिलाड़ी तभी जीतते हैं जब उनका आत्मविश्वास मजबूत हो। विचार करें कि यदि खिलाड़ी को घर से दूर रखने की कोशिश की जाए, तो उनका मन कैसे प्रभावित होगा। विरोधी भावना उत्पन्न होगी और टीम के भीतर सामंजस्य टूट सकता है। हमारे पास यह विकल्प है कि नियम लचीले रखें और व्यक्तिगत मामलों को समझदारी से देखें। अंततः, खेल का मूल मकसद दर्शकों को खुशी देना है, न कि प्रशासनिक जटिलताओं से मनोरंजन को कठिन बनाना। संघर्ष के समय, खिलाड़ी को अपने परिवार से समर्थन मिलना ही नैतिक दायित्व है। इसलिए, मैं प्रस्ताव रखता हूँ कि 14 दिन की सीमा को लचीलापन के साथ देखा जाए। यह बदलाव न केवल खिलाड़ियों की भलाई को बढ़ावा देगा, बल्कि राष्ट्रीय टीम की एकता को भी सुदृढ़ करेगा। समाप्ति में, हमें याद रखना चाहिए कि खेल का सार मानवता और सहयोग में निहित है।
reshveen10 raj
जनवरी 19, 2025 AT 05:40यह दिशा‑निर्देश खिलाड़ियों के मनोबल को नीचे ले जा सकते हैं।
nayan lad
जनवरी 19, 2025 AT 06:47इस नीति को लागू करने से पहले सभी एजेंसेज़ से इनपुट लेना चाहिए। इससे संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान लग सकेगा।
Govind Reddy
जनवरी 19, 2025 AT 07:53विचारों की जड़ें गहरी होती हैं, और हमें यह समझना चाहिए कि व्यक्तिगत स्वातंत्र्य ही सच्ची शक्ति का मूल है। नियमों को लचीला बनाकर ही हम असली प्रगति कर सकते हैं।
KRS R
जनवरी 19, 2025 AT 09:00भाई, थोड़ा शांत हो, हर चीज़ का दो‑पहिया नहीं होना चाहिए। नियमों को समझदारी से देखना ज़रूरी है, नहीं तो बहुत उलझन पैदा होगी।