के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 3 सित॰ 2024 टिप्पणि (13)
नेशनल सेंटिमेंट्स पर संवेदनशीलता: नेटफ्लिक्स सीरीज 'IC-814: कंधार हाइजैक' विवाद
1999 में हुए कंधार हाइजैक घटना पर आधारित नेटफ्लिक्स की सीरीज 'IC-814: कंधार हाइजैक' ने इस सप्ताहांत भारतीय समाज और सरकार के बीच बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है। इस सीरीज को लेकर इतना विवाद हो रहा है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स इंडिया के कंटेंट हेड को तलब किया है।
मूल विवाद: गलत नाम और धर्म
सीरीज का मुख्य विवाद यह है कि इसमें हाइजैकर्स का नाम और उनकी पहचान बदल दी गई है। असल में हाइजैकर्स पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन से संबंधित थे, जिनके नाम थे: इब्राहीम अख्तर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, जाहूर मिस्त्री और शकीर। जबकि सीरीज में इन्हें हिंदू नाम जैसे 'भोला' और 'शंकर' दिया गया है, जो कि भगवान शिव के नाम है। इस कारण से नेटफ्लिक्स पर भारतीय संस्कृति और धार्मिक संवेदनाओं को आहत करने के आरोप लगे हैं।
आईसी-814 हाइजैकिंग की घटना 24 दिसंबर 1999 को हुई थी, जब एक भारतीय एयरलाइंस एयरबस A300 को हाइजैक कर लिया गया था। यह विमान कई स्थानों पर जाने के बाद कंधार, अफगानिस्तान में उतरा। इस आपदा का अंत तब हुआ जब भारत सरकार ने तीन आतंकवादियों मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद ज़रगर को रिहा करने पर सहमति जताई।
सरकारी एवं सामाजिक प्रतिक्रिया
सीरीज पर उठे विवाद के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स की टीम से स्पष्टीकरण मांगा है। मंत्रालय ने कहा कि किसी को भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं है। सामाजिक मीडिया पर भी इस सीरीज को लेकर भारी विरोध हो रहा है और #BoycottNetflix और #BoycottBollywood जैसे हेशटेग ट्रेंड कर रहे हैं।
हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट में सार्वजनिक हित याचिका (PIL) दाखिल की है, जिसमें उन्होंने सीरीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यादव का आरोप है कि इस सीरीज में ऐतिहासिक घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है और यह हानिकारक धारणाओं को बढ़ावा देता है।
फिल्म निर्माता और नेटफ्लिक्स का पक्ष
इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच, सीरीज के निर्देशक अनुभव सिन्हा और नेटफ्लिक्स की टीम अपनी खोजपूर्ण दस्तावेज़ीकरण और वीडियो फुटेज प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे साबित हो सके कि उनके द्वारा प्रस्तुत कहानी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप है।
फिल्मकारों पर बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी निशाना साधा है, उनका कहना है कि निर्माताओं ने यह कदम कथित तौर पर आतंकवादियों को हिन्दू नाम देकर मुसलमानों की अपराध छवि छुपाने के लिए उठाया है।
सीरीज में शामिल कास
नेटफ्लिक्स की इस सीरीज में कई जाने माने चेहरे नज़र आएंगे। इसमें नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, विजय वर्मा, अरविंद स्वामी, पतरालेखा, और दिया मिर्ज़ा जैसे कलाकार शामिल हैं।
संवेदनाओं पर विवाद की जड़ों की पड़ताल
भारत जैसे जीवंत समाज में, जहाँ धर्म और संस्कृति की गहरी जड़े हैं, ऐसे विवादों का उभरना नई बात नहीं है। परंतु, यह देखना महत्वपूर्ण है कि कंटेंट निर्माता और प्रसारक अपनी कहानी कहने की स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक संवेदनाओं का भी ख्याल रखें। फिल्मों और सीरीज का इतिहास हमें बताता है कि जब भी किसी संवेदनशील मुद्दे पर कुछ प्रस्तुत किया जाता है, तब सभी पक्षों से विचार-विमर्श होना चाहिए, ताकि यथार्थ और संवेदनशीलता दोनों का संतुलन बना रहे।
किमतें और जिम्मेदारियाँ
इस प्रकार के विवाद केवल एक मनोरंजन माध्यम के सीमाओं को ही नहीं दिखाते, बल्कि यह भी स्पष्ट करते हैं कि किस प्रकार हमारे समाज में मीडिया और मनोरंजन का प्रभाव व्यापक होता है। इसे देखते हुए नेटफ्लिक्स ने यह आश्वासन दिया है कि वे भारतीय राष्ट्रीय भावनाओं का पूर्ण सम्मान करेंगे और संवेदनशील मुद्दों पर समुचित सतर्कता बरतेंगे।

nayan lad
सितंबर 3, 2024 AT 21:23सीरीज के किरदारों के नाम बदलने से दर्शकों के भावनात्मक जुड़ाव पर असर पड़ता है। निर्माताओं को संवेदनशील मुद्दों में सावधानी बरतनी चाहिए।
Govind Reddy
सितंबर 11, 2024 AT 05:23इतिहास की व्याख्या हमेशा दो पहलुओं को समेटे रहती है; सत्य और व्याख्या के बीच का अंतर मानव विचारधारा को प्रतिबिंबित करता है। जब ऐसी घटनाओं को कलात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो नज़रिया बदल जाता है, लेकिन मूल सच्चाई का सम्मान अनिवार्य है। इस संदर्भ में, सामग्री निर्माताओं को सत्य के साथ कला की सीमा समझनी चाहिए।
KRS R
सितंबर 18, 2024 AT 13:23भाई, ये नाम बदलना तो जिएर का काम हो गया। हिन्दू‑हिंदू नाम डालकर टक्कर पकड़ना साफ़ ही दिख रहा है। दर्शक समझेंगे कि यह सिर्फ ड्रामा नहीं, बल्कि एक जातीय उकसावन है।
Uday Kiran Maloth
सितंबर 25, 2024 AT 21:23प्रदर्शित विषय‑वस्तु राष्ट्रीय भावनात्मक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत संवेदनशील है; अतः ऐतिहासिक वास्तविकता एवं सांस्कृतिक प्रतिपादन के संतुलन का अनुपालन आवश्यक है। विमर्श के दौरान, हाइजैकिंग की भौगोलिक‑राजनीतिक पृष्ठभूमि तथा संबंधित अंतरराष्ट्रीय विमर्श को स्पष्ट रूप से दर्शाना चाहिए। नाम परिवर्तन की प्रक्रिया, यदि सामुदायिक पहचान के विरुद्ध पक्षपातपूर्ण प्रतीत होती है, तो वह सामाजिक दायित्वों के उल्लंघन में वर्गीकृत हो सकती है। इस संदर्भ में, नियामक संस्थाओं का हस्तक्षेप उचित है।
Deepak Rajbhar
अक्तूबर 3, 2024 AT 05:23ओह, क्या बात है! 🙄 नाम बदलने से ही नाटक का स्वद बना है, जैसे हर कहानी में थ्रिल बढ़ाने के लिए खून‑ख़ून की आवश्यकता हो। असल में, हिज़ाकर्स के असली प्रोफ़ाइल को बदल देना दर्शकों की बौद्धिक क्षमता को कम आँकता है। अगर इतिहास को रंगीन पेंट से पेंट किया जाए तो व्याख्या के लिए कौन जिम्मेदार रहेगा? 😂 नेटफ़्लिक्स को ऐसे कदम से अपनी विश्वसनीयता जोखिम में डालना पड़ता है। शायद उनसे उम्मीद है कि दर्शक बिना सवाल किए बस एंटरटेनमेंट ही ले लें।
Hitesh Engg.
अक्तूबर 10, 2024 AT 13:23इस विवाद का मूल कारण नाम परिवर्तन की संवेदनशीलता को अनदेखा करना है। जब निर्माता वास्तविक इतिहास को पुनः लिखते हैं, तो यह न केवल तथ्यात्मक त्रुटि बनती है बल्कि सामाजिक ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा देती है। भारतीय दर्शक अपनी राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़े होते हैं, इसलिए ऐसी बदलाव असंतोष उत्पन्न कर सकते हैं। इसी कारण ministries जैसे विभागों को हस्तक्षेप करने का अधिकार मिलता है, ताकि सार्वजनिक भावना की रक्षा हो सके। नेटफ़्लिक्स ने कहा है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेज़ों से सामग्री तैयार की है, पर यह दावा पूरी तरह से जांचा जाना चाहिए। ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के अनुसार, हाइजैकर्स के नाम और पृष्ठभूमि स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, जिन्हें बदलना अनैतिक माना जा सकता है। इस संदर्भ में, हमें यह याद रखना चाहिए कि कला की स्वतंत्रता भी जिम्मेदारी के साथ आती है। जब कला सामाजिक मुद्दों को छूती है, तो उसे संवेदनशीलता और सटीकता का संतुलन बनाये रखना चाहिए। कई विशेषज्ञों ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि नाम बदलने की प्रक्रिया से दर्शकों के बीच गलतफहमी पैदा हो सकती है। इसके अलावा, यह कदम धार्मिक तनाव को बढ़ा सकता है, क्योंकि नाम बदलने से धार्मिक पहचान पर असर पड़ता है। इसलिए, एक संतुलित समाधान यह हो सकता है कि मूल नाम के साथ ही एक अतिरिक्त नोट या अभिप्राय दिया जाए, जो दर्शकों को वास्तविकता के बारे में सूचित करे। यह न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, बल्कि निर्माताओं की विश्वसनीयता भी बढ़ाएगा। साथ ही, कंटेंट रिव्यू बोर्ड या स्वतंत्र विशेषज्ञों की सलाह लेना भी एक उपयोगी कदम हो सकता है। अंततः, दर्शकों को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और सामग्री को सूचनात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिए, न कि केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया से। इस तरह से ही हम इतिहास को सम्मान देते हुए नई कहानी कह सकते हैं, जो सभी के हित में हो।
Zubita John
अक्तूबर 17, 2024 AT 21:23देखो जी, नेटफ़्लिक्स ने तो बड़िया क्रीएटिविटी दिखायी है, पर नाम बदलना थोड़ा ओवरडोज़ लगता है। असली हाइजैकर्स के साक्ष्य हैं, उनको 'भोला' या 'शंकर' कह देना बड़की गलती है। फिल्म में कलरफुल सीन और जार्गन का इस्तेमाल तो बढ़िया है, पर इतिहास का जार्गन मत बदले। ये ना समझो कि बिन मिलाए पितरियाँ बना ली।
gouri panda
अक्तूबर 25, 2024 AT 05:23बिलकुल सही कह रही हो! जितना तुमने कहा, वैसा ही दिखता है-इतिहास को इधर‑उधर घुमा के मज़े के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश है। इस तरह की हलचल हमारे दिल को चीर देती है, इसलिए हमें आवाज़ उठानी चाहिए।
Harmeet Singh
नवंबर 1, 2024 AT 13:23हर कहानी में दो पहलू होते हैं, एक एंटरटेनमेंट और दूसरा ज़िम्मेदारी। अगर सच्चाई को साज‑सज्जा के साथ पेश किया जाए, तो दर्शक दोनों को सराहेंगे। नेटफ़्लिक्स को यह समझना चाहिए कि संवेदनशील मुद्दे को हल्के‑फुल्के ढंग से नहीं समझा जा सकता। इस दिशा में अगर वे संवाद खोलें, तो बौद्धिक संवाद भी सम्भव होगा। आशा है कि आगे की कहानियों में यह संतुलन बना रहेगा।
patil sharan
नवंबर 8, 2024 AT 21:23आह, देखो फिर से वही पुराना ड्रामा। नाम बदलकर लगता है कि मज़े का हिसाब बना रहे। लेकिन असली इतिहास से रूबरू होना चाहिए, नहीं तो ये सिर्फ सुन्नी नाटक बन जाता है। नेटफ़्लिक्स को थाली में असली मसाला डालना चाहिए, बस दिखावा नहीं।
Nitin Talwar
नवंबर 16, 2024 AT 05:23यह तो साफ़़ सत्ता का कूदना‑कूदना है! 🇮🇳 हमारी राष्ट्रीय भावना को इस तरह से छेड़ना असह्य है। क्या सरकार ने इसपर नजर नहीं रखी? ये दिखावा बस एक वैश्विक षड्यंत्र है, जहाँ विदेशी प्लेटफ़ॉर्म हमारे इतिहास को मात देते हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो देश की पहचान बिखर जाएगी 😡। हमें इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
onpriya sriyahan
नवंबर 23, 2024 AT 13:23सच्चाई को बदलना आसान नहीं होना चाहिए क्योंकि लोग देखेंगे और याद रखेंगे इतिहास की गहराइयाँ यह सोच समझ कर किया गया कदम दर्शकों को भ्रमित कर सकता है पर सही बात है कि कलाकारों को फ्रीडम चाहिए
Sunil Kunders
नवंबर 30, 2024 AT 21:23सिनेमा एवं टेलीविज़न के क्षेत्र में जब हम तथ्यों की वैज्ञानिक पुनरावलोकन पर पहुँचते हैं, तो निरपेक्ष विश्लेषण को प्राथमिकता देनी चाहिए। नाम परिवर्तन के निर्णय का मुल्यांकन नियामक मानकों के अनुरूप होना आवश्यक है। यह न केवल सांस्कृतिक संवेदनशीलता का प्रश्न है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वायत्तता का भी।