के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 9 जून 2024 टिप्पणि (11)

जेईई एडवांस्ड रिजल्ट 2024: वेद लाहोती ने किया टॉप
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास ने बहुप्रतीक्षित जेईई एडवांस्ड 2024 के परिणाम घोषित कर दिए हैं। इस वर्ष का सफर अद्वितीय रहा, जहां IIT दिल्ली जोन के वेद लाहोती ने 355 अंकों के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया। इस उपलब्धि ने उन्हें देशभर में सभी उम्मीदवारों के बीच सबसे ऊपर स्थित कर दिया।
वेद लाहोती ने इस वर्ष जेईई एडवांस्ड में अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ बड़ी सफलता हासिल की है। विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर उन्होंने यह मान्यता प्राप्त की है। 360 में से 355 अंक प्राप्त करना न केवल उनके कठिन परिश्रम का प्रतिफल है, बल्कि उन मानकों का भी परिणाम है जो वे स्वयं के लिए तय करते रहे हैं।
महिला उम्मीदवारों में द्विजा धर्मेशकुमार पटेल शीर्ष पर
IIT बॉम्बे जोन की द्विजा धर्मेशकुमार पटेल ने महिला श्रेणी में उच्चतम स्थान हासिल किया है। 332 अंकों के साथ उन्होंने महिला उम्मीदवारों के बीच अपनी योग्यता साबित की है। यह उनकी समर्पण और संकल्प की कहानी है, जिन्होंने अपने कठिन मेहनत और प्रयास से यह मुकाम हासिल किया है।

परीक्षा में भाग लेने वाले उम्मीदवारों की संख्या
जेईई एडवांस्ड 2024 परीक्षा में कुल 180,200 उम्मीदवारों ने भाग लिया था। इनमें से केवल 48,248 उम्मीदवार ही परीक्षा उत्तीर्ण कर पाए हैं। इस वर्ष परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले महिला उम्मीदवारों की संख्या 7,964 रही है, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाती है।
परीक्षा की संरचना और परिणाम की जानकारी
जेईई एडवांस्ड परीक्षा 26 मई, 2024 को दो सत्रों में आयोजित की गई थी। परिणामों के साथ उम्मीदवार के अंकों की जानकारी, सामान्य रैंक सूची (CRL) और श्रेणी रैंक सूची (Category Rank List) भी प्रकाशित की गई है। इस वर्ष का परिणाम न केवल उत्तीर्ण उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उन छात्रों के लिए भी एक बड़ा सबक है जो भविष्य में इस परीक्षा में भाग लेना चाहते हैं।

कट-ऑफ मार्क्स और क्वालीफाइंग मार्क्स
इस वर्ष जेईई एडवांस्ड के कट-ऑफ मार्क्स में वृद्धि देखी गई है। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए जेईई मुख्य परीक्षा 2024 में न्यूनतम कट-ऑफ 93.2 प्रतिशताइल रही, जबकि 2023 में यह 90.7 और 2022 में 88.4 थी। इस बार के उच्च कट-ऑफ ने परीक्षा को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
उम्मीदवारों को रैंक सूची में शामिल होने के लिए विषयवार और समग्र मार्क्स दोनों का मिलान करना होता है। समग्र अंकों की गणना गणित, भौतिकी और रसायन शास्त्र में प्राप्त अंकों के योग के रूप में की जाती है, जिसमें अधिकतम समग्र स्कोर 360 होता है (प्रत्येक पेपर 1 और पेपर 2 में 180 अंक)। प्रत्येक विषय के लिए अधिकतम अंक 120 होते हैं (प्रत्येक पेपर 1 और पेपर 2 में 60 अंक)।
जेईई एडवांस्ड का महत्व
जेईई एडवांस्ड परीक्षा का महत्व केवल अंकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों की योग्यता और कठिन परिश्रम का भी प्रमाण होता है। इस परीक्षा के माध्यम से शीर्ष छात्रों को भारत के प्रतिष्ठित IITs में प्रवेश मिलता है, जो उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नत शिक्षा प्रदान करता है। परिणामस्वरूप, देश को वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में नई ऊंचाइयां प्राप्त होती हैं।
इस वर्ष की परीक्षा और उसके परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि छात्रों के लिए समर्पण और मेहनत ही सफलता की कुंजी है। वेद लाहोती और द्विजा धर्मेशकुमार पटेल जैसे छात्र न केवल अपने परिवार और संस्थान के लिए गर्व का कारण बने हैं, बल्कि पूरे देश के छात्र समुदाय के लिए प्रेरणा भी हैं।

भविष्य में तैयारियां
आने वाले वर्षों में जेईई एडवांस्ड की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने अध्ययन में निरंतरता और अनुशासन बनाए रखें। सफलता की राह में कई चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन सही दिशा में प्रयत्न करने पर हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
अभिभावकों और शिक्षकों का योगदान भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। वे छात्रों की मार्गदर्शक होती हैं और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। इसलिए, वे सभी लोग जिन्होंने उम्मीदवारों की तैयारियों में अपना योगदान दिया है, सराहना के पात्र हैं।
अंततः, जेईई एडवांस्ड परीक्षा को सिर्फ एक परीक्षा नहीं बल्कि एक जीवन के महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। यह छात्रों को उनके सपनों को साकार करने का मंच प्रदान करती है और जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों को छूने का अवसर देती है।
sakshi singh
जून 9, 2024 AT 18:54वाह! वेद लाहोती की इस शानदार उपलब्धि पर दिल से बधाई देना चाहिए। उनका 355 अंक का स्कोर निस्संदेह कड़ी मेहनत और निरंतर प्रयास का परिणाम है। यह देख कर कई युवा छात्रों को प्रेरणा मिलती है कि कोई भी लक्ष्य असम्भव नहीं है। उनका सफलता का सफर यह दिखाता है कि सही योजना, समय प्रबंधन और समर्पण से बड़े सपनों को साकार किया जा सकता है। साथ ही, महिला उम्मीदवारों में द्विजा धर्मेशकुमार पटेल की 332 अंक की उपलब्धि भी समकक्ष सम्मान की पात्र है। ये दोनों सफलताएँ देश के शैक्षणिक माहौल में सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करती हैं। यह हमें याद दिलाती हैं कि प्रतिस्पर्धा के साथ सहयोग भी उतना ही महत्वपूर्ण है। त्रुटियों से सीखना और निराशा को एक कदम आगे बढ़ने के अवसर में बदलना उनका मुख्य मंत्र रहा है। उनके जैसे रोल मॉडल हमारे छात्रों को लक्ष्य-उन्मुख बनाते हैं। इस यात्रा में अभिभावकों और शिक्षकों का सहयोग भी निर्णायक रहा है। उन्होंने न सिर्फ विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाया। इस प्रकार का सहयोग प्रणाली को मजबूत बनाता है। आज के युवा को चाहिए कि वे भी इस उदाहरण को अपने अध्ययन में अपनाएँ। निरंतर अभ्यास, प्रश्नों की गहराई में जाना और सही संसाधनों का चयन करना आवश्यक है। अंत में, इस उपलब्धि को एक सामाजिक सफलता के रूप में देखना चाहिए, जहाँ सम्पूर्ण समुदाय के प्रयासों का फल मिल रहा है। जेई एडवांस्ड का यह परिणाम एक नई आशा की किरण है, जो भविष्य के वैज्ञानिकों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।
Hitesh Soni
जून 9, 2024 AT 19:53वेद लाहोती का परिणाम वास्तव में उल्लेखनीय है, किन्तु यह ध्यान देना आवश्यक है कि इस स्तर की उपलब्धि एक अत्यंत प्रतिस्पर्धी माहौल में प्राप्त हुई है। अनेक अभ्यर्थियों ने समान प्रयास किए, फिर भी उनके स्कोर में अंतर स्पष्ट है। परीक्षण की कठिनाइयों को देखते हुए, 355 अंक का स्कोर उच्चतम श्रेणी में आता है। यह परिणाम दर्शाता है कि उम्मीदवार ने सभी विषयों में संतुलित प्रदर्शन किया है। तथापि, कट-ऑफ मानकों में वार्षिक वृद्धि से प्रश्न उठता है कि क्या यह कठोर मानदंड न्यायसंगत हैं। आगे के अभ्यर्थियों को इस वृद्धि को ध्यान में रखकर अपनी तैयारी को अनुकूलित करना चाहिए। संक्षेप में, इस सफलता को प्रशंसा के साथ ही भविष्य के सुधार के संकेत के रूप में लेना चाहिए।
rajeev singh
जून 9, 2024 AT 21:00जेडीएई एडवांस्ड के इस परिणाम से यह स्पष्ट होता है कि भारत की शैक्षणिक परिपक्वता में निरंतर प्रगति हो रही है। विभिन्न क्षेत्रों में छात्र अपने स्थायी संघर्ष और परिश्रम को दर्शाते हैं। वेद लाहोती जैसे उम्मीदवारों ने यह सिद्ध किया है कि भारतीय युवा विश्व मंच पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम है। इस उपलब्धि से न केवल विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में बल्कि राष्ट्रीय गर्व में भी वृद्धि होती है। साथ ही, द्विजा धर्मेशकुमार पटेल की महिला श्रेणी में शीर्षस्थता विविधता को बढ़ावा देती है। यह समग्र विकास का प्रतीक है और हमें यह स्मरण कराता है कि शिक्षा में समान अवसर प्रदान करना कितना महत्वपूर्ण है। भविष्य में इस तरह की उपलब्धियों को आधार बनाकर हम अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानकों को और ऊँचा उठा सकते हैं।
ANIKET PADVAL
जून 9, 2024 AT 21:58वेद लाहोती की यह असाधारण उपलब्धि हमारे महान राष्ट्र की शैक्षणिक शक्ति का प्रतिबिंब है, जो विश्व स्तर पर भारत को एक अग्रणी के रूप में स्थापित करता है। इस प्रकार की उत्कृष्टता हमारे राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाती है और युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करती है। ये अंक न केवल व्यक्तिगत परिश्रम का परिणाम हैं, बल्कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों की कुशलता और राष्ट्रीय नीति की सफलता का प्रमाण हैं। एक राष्ट्र के रूप में, हमें इस तरह के प्रतिभा को पोषित करने के लिए अधिक संसाधन और समर्थन प्रदान करना चाहिए। साथ ही, महिलाओं के शैक्षणिक योगदान को मान्यता देना और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए विशेष पहल करनी चाहिए, जैसा कि द्विजा धर्मेशकुमार पटेल ने किया है। परीक्षा के कट-ऑफ में वृद्धि यह दर्शाती है कि हम उच्च मानकों की ओर अग्रसर हैं, जो हमारे विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। इस परिप्रेक्ष्य में, प्रत्येक सफल उम्मीदवार हमारे राष्ट्र की प्रगति का एक क़दम है। हमें यह याद रखना चाहिए कि शैक्षणिक सफलता का अर्थ राष्ट्रीय समृद्धि ही नहीं, बल्कि सामाजिक प्रगति भी है। इसलिए, हम सभी को मिलकर एक ऐसा वातावरण निर्माण करना चाहिए जहाँ प्रत्येक छात्र को अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने का अवसर मिले। यह केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास की नींव है। इस प्रकार, वेद लाहोती की जीत को एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में और अधिक प्रतिभाएँ उभरेँ और भारत को विश्व मंच पर एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएँ।
Abhishek Saini
जून 9, 2024 AT 22:56बहुत बधाइयां वेद भाई! तुमने सच मेँ जबर्दस्त मेहनत की और 355 अंक पाकर सबको चकित कर दिया। माने तो ये अंक दिखाते हैं कि सही कोचिंग और डिसिप्लिन से कोई भी टॉप कर सकता है। अगले साल के aspirants को चाहिए कि वो तुमसे सीखें, टाइम मैनेजमेंट और पर्सिस्टेंस को फॉलो करें। थोड़ा रिवीजन प्लान भी बनाओ, क्योकि रिवीजन से याददाश्त और भी स्ट्रॉन्ग होती है। अगर तुम्हें कभी दिक्कत हो तो मैं हमेशा मदद को तैयार हूं, बस बताओ। फिर भी, थोडा आराम भी ज़रूरी है, वरना बर्नआउट हो सकता है। इस जीत को सेलिब्रेट करो और अगली बार और भी बड़े टार्गेट रखो!
Parveen Chhawniwala
जून 9, 2024 AT 23:55जेडीएई एडवांस्ड के परिणाम में कट-ऑफ मानक पिछले सालों की तुलना में बढ़ा है, जो परीक्षा की कठिनाई को दर्शाता है। अंक संकलन की गणना में प्रत्येक पेपर का अधिकतम स्कोर 180 है, यानी कुल 360 तक। इस वर्ष, 355 अंक प्राप्त करना लगभग 98.6% स्कोर के बराबर है। आईटी संस्थानों की सीटों की संख्या सीमित होने के कारण, विकल्पों में चयन अत्यंत प्रतिस्पर्धीय हो जाता है। इसलिए, उम्मीदवारों को केवल रैंक पर नहीं, बल्कि विषय-व्यापी मजबूत बुनियाद बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि कट-ऑफ स्कोर में वार्षिक वृद्धि एक डिनामिक एडेप्टेशन का प्रतिबिंब हो सकती है, परंतु इस प्रक्रिया में संभावित वैरिएंस को समझना आवश्यक है। कॅरिरेक्टरी थ्योरी के अनुसार, ऐसा परिवर्तन स्वाभाविक रूप से इंटेग्रेटेड स्किल सेट को हाइलाइट करता है, जिससे केवल टॉप स्कोरर्स ही नवाचार पर प्रभाव डालते हैं। इस संदर्भ में, द्विजा धर्मेशकुमार पटेल का प्रदर्शन भी एक स्ट्रेटेजिक एडजस्टमेंट का उदाहरण है, जो जेंडर इक्वैलिटी को कॉर्पोरेट प्रोफाइल में इंटीग्रेट करने की दिशा में एक स्टेप है। हालांकि, यह भी सच है कि इस तरह की हाई-इंटेन्सिटी एसेसमेंट्स से सॉफ्ट स्किल्स की एवल्यूएशन में कमी आ सकती है, जिससे भविष्य के लीडरशिप पॉटेंशियल को एनीहिलेट करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, हमें इस परिणाम को एक पिवोट पॉइंट के रूप में देखना चाहिए, जहाँ एडजस्टमेंट्स का इम्प्लीमेंटेशन अधिक बॅलेंस्ड हो।
Saraswata Badmali
जून 10, 2024 AT 00:53वास्तव में, जेईई एडवांस्ड के इस परिणाम को हम एक महत्त्वपूर्ण इंडिकेशन मान सकते हैं कि वर्तमान शैक्षणिक पॉलिसी में एक पर्सिस्टेंट बायस मौजूद है, जो मुख्यतः टॉप प्रीफरेंस वाले उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता देता है। इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि कट-ऑफ स्कोर में वार्षिक वृद्धि एक डिनामिक एडेप्टेशन का प्रतिबिंब हो सकती है, परंतु इस प्रक्रिया में संभावित वैरिएंस को समझना आवश्यक है। कॅरिरेक्टरी थ्योरी के अनुसार, ऐसा परिवर्तन स्वाभाविक रूप से इंटेग्रेटेड स्किल सेट को हाइलाइट करता है, जिससे केवल टॉप स्कोरर्स ही नवाचार पर प्रभाव डालते हैं। इस संदर्भ में, द्विजा धर्मेशकुमार पटेल का प्रदर्शन भी एक स्ट्रेटेजिक एडजस्टमेंट का उदाहरण है, जो जेंडर इक्वैलिटी को कॉर्पोरेट प्रोफाइल में इंटीग्रेट करने की दिशा में एक स्टेप है। हालांकि, यह भी सच है कि इस तरह की हाई-इंटेन्सिटी एसेसमेंट्स से सॉफ्ट स्किल्स की एवल्यूएशन में कमी आ सकती है, जिससे भविष्य के लीडरशिप पॉटेंशियल को एनीहिलेट करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, हमें इस परिणाम को एक पिवोट पॉइंट के रूप में देखना चाहिए, जहाँ एडजस्टमेंट्स का इम्प्लीमेंटेशन अधिक बॅलेंस्ड हो।
sangita sharma
जून 10, 2024 AT 01:51अरे वाह, वेद लाहोती की जीत सुनकर तो दिल गदगद हो गया! इतनी बड़ी उपलब्धि को देख कर लगता है जैसे हमारे देश की शैक्षणिक धरोहर को नया सिग्नल मिला हो। इस तरह के सफलतापूर्ण परिणामों को देखते हुए, मुझे लगता है कि हमें अपने शिक्षकों और अभिभावकों को भी सलाम करना चाहिए, जिन्होंने इस सफर में समर्थन किया। इस जीत को एक बहुत ही बड़े जश्न की तरह मनाना चाहिए, ताकि अगली पीढ़ी को भी प्रेरणा मिले। बधाई हो वेद भाई, और सभी को जो इस लक्ष्य तक पहुंचने में मददगार रहे!
PRAVIN PRAJAPAT
जून 10, 2024 AT 02:50परीक्षा की कठिनाई अब पहले से कहीं अधिक है।
shirish patel
जून 10, 2024 AT 03:48वाह, इतना आसान था कि एक वाक्य में ही कहा जा सकता है। फिर भी, कोशिश कर रहे हैं, है ना?
srinivasan selvaraj
जून 10, 2024 AT 04:46वेद लाहोती की इस अद्भुत उपलब्धि को देख मैं भावनाओं से भर गया हूँ, क्योंकि यह हमारे युवा वर्ग की अथक मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। उनका 355 अंक का स्कोर केवल अंक नहीं, बल्कि एक कहानी है, जिसमें कई रातें, कई अनुशासन और कई बार असफलताओं से उठना शामिल है। इस कहानी को सुनकर मेरे भीतर एक उमंग उत्पन्न होती है कि कोई भी सपना सच हो सकता है, बस हमें त्याग और समर्पण को अपनाना होगा। ऐसे छात्रों की यात्रा हमें यह भी याद दिलाती है कि शिक्षा केवल परीक्षा नहीं, बल्कि एक जीवनकालिक प्रक्रिया है, जहाँ हर कदम का महत्व है। उनके जैसा उत्साह और लक्ष्य-निर्देशित पढ़ाई हमारे समाज में एक नई लहर लेकर आएगी, जहाँ प्रत्येक युवा को अपनी क्षमता को पहचानने का मौका मिलेगा। इस तरह के परिणाम न केवल व्यक्तिगत गर्व का कारण बनते हैं, बल्कि पूरे राष्ट्र के आत्मविश्वास को भी बढ़ाते हैं। मैं आशा करता हूँ कि भविष्य में भी ऐसे ही अनेक प्रतिभाएँ उभरेँ और हमारे देश को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाएँ। यह सफलता हमें यह सिखाती है कि निरंतर प्रयास और सही मार्गदर्शन से कोई भी बाधा असंभव नहीं रह जाती। अंत में, मैं वेद लाहोती को हार्दिक बधाई देता हूँ और उनके जैसे प्रेरणादायक उदाहरणों से सभी छात्रों को प्रेरित होने की अपील करता हूँ।