के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth पर 8 अग॰ 2024 टिप्पणि (17)

महामारी के दौरान अनुकरणीय कदम
एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के प्रमुख मुकेश अंबानी ने लगातार चौथे साल अपनी कंपने से किसी भी प्रकार का वेतन न लेने का निर्णय लिया है। इस कदम को ना केवल उनके कर्मचारियों के लिए बल्कि पूरे देश के बिजनेस समुदाय के लिए एक उदाहरण माना जा रहा है।
COVID-19 महामारी ने जब पूरी दुनिया को झकझोर दिया था, तब मुकेश अंबानी ने जून 2020 में पहली बार अपने पूरे वेतन, भत्तों, सुविधा-सम्बंधित लाभों और किसी भी प्रकार के कमीशन को त्यागने का निर्णय लिया था। यह निर्णय उन्होंने देश की सामाजिक, आर्थिक, और औद्योगिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया था, क्योंकि वह मानते थे कि यह समय है एकजुट होकर इस महामारी से लड़ने का।
उन्होंने 2020-21, 2021-22, 2022-23, और अब 2023-24 तक लगातार अपने इस निर्णय को जारी रखा है। इसके पहले भी, अंबानी ने 2008-09 से अपने वेतन को 15 करोड़ रुपये तक सीमित रखा था, ताकि प्रबंधकीय वेतन स्तरों में संयम का उदाहरण प्रस्तुत कर सके।
रिलायंस इंडस्ट्रीज का निगाह में वृद्धि
रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी है और जिसने 20 लाख करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण को पार किया है, के पास 50% से अधिक हिस्सेदारी अंबानी परिवार की है। मुकेश अंबानी, जिनकी संपत्ति लगभग 113.6 बिलियन डॉलर आंकी गई है, वह दुनिया के 11वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं।
अंबानी ने अपने शेयरधारकों को दी गई वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि कंपनी अब अपने अगले चरण की वृद्धि के लिए तैयार है, खासकर पिछले निवेश दौर के बाद। 'हमारे निरंतर प्रयास हैं कि भारत और भारतीयों के लिए समाधान खोजे जाएं, जिसने हमें हमारे व्यावसायिक पोर्टफोलियो का विस्तार करने के कई अवसर दिए,' उन्होंने कहा।

शेयरधारकों के लिए जानकारी
रिलायंस की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अंबानी ने अपनी चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर की क्षमता में किसी भी प्रकार का वेतन नहीं लिया। उनके बच्चों इशा, आकाश और अनंत, जिन्हें पिछले साल अक्टूबर में बोर्ड में नियुक्त किया गया था, को केवल 4 लाख रुपये की सिटिंग फीस और 97 लाख रुपये का कमीशन प्राप्त हुआ।
अन्य गैर-कार्यकारी निदेशकों में आदिल ज़ैनुलभाई, रमींदर सिंह गुजराल, शुमीत बनर्जी, पूर्व एसबीआई चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य, पूर्व सीवीसी केवी चौधरी, अनुभवी बैंकर केवी कामथ, और सऊदी सॉवरिन वेल्थ फंड के प्रतिनिधि यासिर ओथमैन एच अल रुमैयान शामिल हैं। सभी स्वतंत्र निदेशकों को 2.25 करोड़ रुपये का कमीशन मिला।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर प्रदर्शन
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों की कीमत वर्तमान में 2927.85 रुपये पर ट्रेड कर रही है, जो आज 0.55% की मामूली वृद्धि दर्शाती है। तीन-दिनी साधारण मूविंग एवरेज 2988.33 रुपये पर खड़ा है, जो शेयर के प्रदर्शन में अल्पकालिक गिरावट का संकेत देता है।
कंपनी के शेयर ने पिछले सप्ताह -3.28% की गिरावट के साथ 2912.1 रुपये पर बंद हुआ। इसमें 5,118,093 शेयर्स का ट्रेडिंग वॉल्यूम शामिल था, जो कि सात-दिन की औसत अवधि से थोड़ा कम था। इसके साथ ही, रिलायंस के शेयर ने पिछले 3 महीनों में 2.57% की स्थिर वृद्धि देखी है, और इसका 6-महीने का बीटा मूल्य 0.9252 है, जो बाजार की तुलना में कम अस्थिरता को इंगित करता है।
इस अनुकरणीय कदम से यह साफ है कि मुकेश अंबानी केवल अपने लाभ पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह एक दृष्टांत पेश कर रहे हैं, जो अन्य उद्योगपतियों के लिए भी प्रेरणास्पद हो सकता है। उनका यह निर्णय केवल एक साधारण वेतन त्याग नहीं है, बल्कि भारतीय उद्योग के लिए एक बड़ा संदेश है कि हम सबको एक साथ आकर इस महामारी और अन्य आर्थिक चुनौतियों का सामना करना है।
Manali Saha
अगस्त 8, 2024 AT 20:45मुकेश अंबानी का ये कदम वाकई प्रेरणादायक है!
jitha veera
अगस्त 8, 2024 AT 22:25वह कहता है कि ये सब अपना ढ़ंग है, लेकिन असली व्यवसाय में लोग profit की परवाह नहीं करते!!! आर्थिक वास्तविकता से आँखें मूंदना बेतुका है, ये तो सिर्फ दिखावा है, लोगों को झाँसा नहीं, बल्कि भ्रमित कर रहा है.
Sandesh Athreya B D
अगस्त 9, 2024 AT 00:05ओह, क्या बात है! वही अमीर नेता जो हर साल अपनी महंगाई के चक्र को बढ़ाते हैं, अब वेतन नहीं ले रहा। क्या हमें उन्हें 'समाजसेवी' कहना चाहिए या बस एक और मार्केटिंग ट्रिक?
Jatin Kumar
अगस्त 9, 2024 AT 01:45मैं पूरी तरह से मानता हूँ कि इस तरह का नेतृत्व हमारे युवाओं को प्रेरित कर सकता है। जब बड़े उद्योगपति असुरक्षा में भी योगदान देते हैं, तो छोटे स्तर पर भी सहयोग की भावना बढ़ती है। यह कदम केवल अंबानी परिवार की नहीं, बल्कि सम्पूर्ण देश की आर्थिक स्थिरता की ओर संकेत करता है। ऐसे कार्य हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि सामाजिक जिम्मेदारी सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि कर्म है। आशा है अन्य कंपनियां भी इस उदाहरण को अपनाएँगी।
Anushka Madan
अगस्त 9, 2024 AT 03:25ऐसे बड़े प्रबंधकों को अपने कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि सिर्फ शेयरधारकों को खुश करने के लिए दिखावा करना। आर्थिक असमानता को कम करने में ऐसे कदम आवश्यक हैं।
nayan lad
अगस्त 9, 2024 AT 05:05बिल्कुल सही, यह एक सकारात्मक कदम है और इससे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा।
Govind Reddy
अगस्त 9, 2024 AT 06:45समय का प्रवाह कभी रुकता नहीं, और हमारे कार्य उसके साथ चलते हैं। जब किसी ने अपना वेतन त्याग दिया, तो वह वास्तव में स्वयं को समय के साथ समन्वित कर रहा है। इस कर्म में न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामाजिक परिप्रेक्ष्य भी निहित है। हम सभी को अपने बंधनों से मुक्त होकर योगदान देना चाहिए। यही जीवन का वास्तविक सार है।
KRS R
अगस्त 9, 2024 AT 08:25यार, देखो तो सही, अंबानी ने फिर से दिखा दिया कि पैसा केवल एक साधन है, लक्ष्य नहीं।
Uday Kiran Maloth
अगस्त 9, 2024 AT 10:05उल्लिखित विवरणों से स्पष्ट रूप से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस के अंतर्गत शीर्ष प्रबंधन द्वारा वेतन पर नियंत्रण रणनीतिक रूप से लागू किया गया है, जिससे शेयरधारक मूल्य एवं सामाजिक उत्तरदायित्व का संतुलन स्थापित होता है।
Deepak Rajbhar
अगस्त 9, 2024 AT 11:45हां हां, यही तो हमें चाहिए था - ब्यूरेक्रेटिक शब्दों में लिपटे हुए एक और 'स्मार्ट' निर्णय, असल में कुछ नहीं बदलता।
Hitesh Engg.
अगस्त 9, 2024 AT 13:25रिलायंस की इस पहल को देखते हुए कई पहलुओं पर गौर करना आवश्यक है।
पहला, यह दर्शाता है कि कंपनी के शीर्ष प्रबंधन में सामाजिक जिम्मेदारी की गहरी समझ है।
दूसरा, इस निर्णय का प्रभाव केवल कर्मचारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक उद्योग मानक स्थापित कर सकता है।
तीसरा, आर्थिक रूप से इस तरह के कदम से कंपनी की वित्तीय स्थिरता पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता, क्योंकि अंबानी की व्यक्तिगत संपत्ति कंपनी के पूँजी से अलग है।
चौथा, यह दर्शाता है कि बड़े उद्यमियों को भी अपने व्यक्तिगत वित्तीय लाभों से अधिक राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देना चाहिए।
पाँचवाँ, इस प्रकार के कदम से सार्वजनिक धारणा में भी बदलाव आता है, जिससे कंपनी का ब्रांड इमेज मजबूत हो सकता है।
छठा, यह अन्य उद्योगपतियों के लिए एक शैक्षिक प्रारूप बनता है, जिसे वे अपने कॉर्पोरेट नीति में शामिल कर सकते हैं।
सातवाँ, इस पहल से शेयरधारकों को भी यह विश्वास मिलता है कि प्रबंधन दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखता है, न कि केवल अल्पकालिक लाभ पर।
आठवाँ, कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि होगी, जिससे उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों में सुधार की संभावना है।
नवाँ, इस कदम को मीडिया में सही ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिससे जनसमुदाय में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
दसवाँ, यह संकेत देता है कि आर्थिक संकट के समय भी नैतिकता और मानवता को प्राथमिकता दी जा सकती है।
अग्यारा, भारत में इस प्रकार की सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता पहले से ही महसूस की जा रही थी, और अब इसे एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
बारहवा, इस तरह के कार्य से सरकार को भी प्रेरणा मिल सकती है, जिससे नीतियों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ेगा।
तेरहवा, अंत में यह कहा जा सकता है कि अंबानी का यह निर्णय केवल एक व्यक्तिगत चुनाव नहीं, बल्कि एक सामाजिक घोषणा है।
चौदहवा, इस निर्णय के परिणामस्वरूप संभवतः अन्य कंपनियों की नीतियों में भी समान परिवर्तन आएगा।
पन्द्रहवा, कुल मिलाकर, यह पहल भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Zubita John
अगस्त 9, 2024 AT 15:05Reliance ne ye step liya hai, aur bhai log isko appreciate karna chahiye, warna market me sirf hype hi bacha raha hai!
gouri panda
अगस्त 9, 2024 AT 16:45ये तो एक फिल्म जैसा मोड़ है, जहाँ अंबानी ने राजसत्ता को भी पीछे छोड़ कर इंसानियत को गले लगाया!
Harmeet Singh
अगस्त 9, 2024 AT 18:25सिर्फ यही नहीं, इस कदम से युवा उद्यमियों को भी यह संदेश मिलता है कि सफल होने के लिए सामाजिक जिम्मेदारी को नहीं भूलना चाहिए।
patil sharan
अगस्त 9, 2024 AT 20:05अच्छा, अब तो अंबानी भी सादा आदमी बन गया, अगली बार शायद घर का किराया भी नहीं देगा!
Nitin Talwar
अगस्त 9, 2024 AT 21:45देश की ताकत तभी बढ़ेगी जब बड़े उद्यमी अपने फर्ज को समझें, नहीं तो विदेशी पूँजी ही हावी हो जाएगी।
onpriya sriyahan
अगस्त 9, 2024 AT 23:25क्या इस तरह के कदम से असली बदलाव आएगा देखना बाकी है पर उम्मीद तो है