के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay    पर 15 मई 2024    टिप्पणि (0)

भारतीय उच्चायोग ने मालदीव के 2019 में अनधिकृत भारतीय सैन्य अभियानों के दावे को खारिज किया

भारत के मालदीव में उच्चायोग ने रक्षा मंत्री गासन मौमून के उन आरोपों का खंडन किया है कि मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टर पायलटों ने 2019 में अनधिकृत अभियान चलाए थे। उच्चायोग के अनुसार, भारतीय विमानन मंचों ने हमेशा देश में 'सहमत प्रक्रियाओं और उचित प्राधिकरण' के साथ काम किया है।

यह दावा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की मांग के बाद भारत द्वारा देश में तैनात 76 सैन्य कर्मियों की वापसी पूरी करने के बाद आया है, जिन्होंने देश से भारतीय सैनिकों की वापसी की समय सीमा 10 मई निर्धारित की थी। गासन मौमून ने दावा किया था कि वह मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों द्वारा संचालित दो हेलीकॉप्टरों में से एक के बिना अनुमति के थिमाराफुशी में उतरने की घटना का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए एक अनधिकृत सॉर्टी करने के बारे में जानते हैं।

हालांकि, उच्चायोग ने स्पष्ट किया कि 9 अक्टूबर, 2019 को थिमाराफुशी में आपातकालीन लैंडिंग एक अप्रत्याशित आकस्मिकता के कारण आवश्यक थी और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) की मंजूरी के बाद प्लेटफॉर्म और चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से आवश्यक जमीनी स्वीकृति लेने के बाद किया गया था।

मालदीव के रक्षा मंत्री द्वारा लगाए गए आरोपों को भारतीय उच्चायोग द्वारा सिरे से खारिज कर दिया गया है। उच्चायोग ने स्पष्ट किया है कि भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टर हमेशा मालदीव सरकार और सेना के साथ समन्वय में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि थिमाराफुशी में हुई आपातकालीन लैंडिंग भी प्रासंगिक अधिकारियों की अनुमति से ही की गई थी।

भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। भारत लंबे समय से मालदीव में अपने सैन्य कर्मियों और उपकरणों की तैनाती कर रहा है। हालांकि, हाल के दिनों में मालदीव के नए राष्ट्रपति ने भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग की है, जिसके बाद भारत ने अपने कर्मियों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है।

रक्षा मंत्री गासन मौमून के आरोपों ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। उनके आरोपों से यह संकेत मिलता है कि भारतीय सैन्य कर्मियों ने मालदीव में अनधिकृत गतिविधियां की हैं। हालांकि, भारतीय उच्चायोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि भारतीय सैन्य हमेशा मालदीव के कानूनों और प्रक्रियाओं का पालन करते हैं।

भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग दोनों देशों के हित में है। भारत मालदीव की सुरक्षा और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि मालदीव भी भारत के साथ मजबूत संबंध चाहता है। हालांकि, हाल के घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद हैं, जिन्हें सुलझाने की जरूरत है।

भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग को लेकर उठे विवाद को दोनों देशों को आपसी समझ और विश्वास के साथ सुलझाना होगा। भारत को मालदीव की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए, जबकि मालदीव को भी भारत के साथ रक्षा सहयोग के महत्व को समझना चाहिए। दोनों देशों को एक-दूसरे के हितों और चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा।

भारत और मालदीव के बीच मजबूत संबंध न केवल दोनों देशों के हित में हैं, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ सहयोग और समन्वय बनाए रखना चाहिए और किसी भी तरह के मतभेदों को आपसी समझ और विश्वास के साथ सुलझाना चाहिए।

मालदीव में भारतीय सैन्य की भूमिका को लेकर उठे सवालों के बाद भारतीय उच्चायोग द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण महत्वपूर्ण है। यह दोनों देशों के बीच पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ावा देने में मदद करेगा। भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग दोनों देशों के हित में है और इसे आगे भी जारी रखा जाना चाहिए, लेकिन साथ ही एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए।

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