के द्वारा प्रकाशित किया गया Vivek Bandhopadhyay पर 10 मई 2025 टिप्पणि (0)

भारतीय नौसेना का नया शस्त्र : MIGM से स्टील्थ जहाज अब बच नहीं पाएंगे
समुद्री सुरक्षा की बात करें तो अब भारत हल्का नहीं रहा। भारतीय नौसेना और डीआरडीओ ने मिलकर एक ऐसी अंडरवॉटर माइन तैयार की है, जो अपनी तकनीक से छुपे हुए सबसे उन्नत स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों तक का भी पता लगा सकती है। इस माइन का नाम है – मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM)। इसका सफल ट्रायल 5 मई 2025 को हुआ, जब हालात देश की सीमाओं पर बेहद तनावपूर्ण बने हुए थे।
MIGM की ताकत इसका साइज नहीं, बल्कि इसकी ‘सेंसिंग शक्ति’ है। यह 1,000 किलो वजनी माइन है, जिसे खास तरह के सेंसर से लैस किया गया है। आम माइंस से हटकर यह माइन केवल किसी जहाज की हल्की कंपन या आवाज से नहीं, बल्कि उसके चुंबकीय, ध्वनिक, दाब और इलेक्ट्रिक फील्ड के संकेत भी पकड़ लेती है। मतलब, चाहे दुश्मन कोई भी छिपने की तरकीब आजमा ले, यह माइन उसकी मौजूदगी महसूस कर उसे निष्क्रिय करने के लिए तैयार है।
इसका पावर सिस्टम भी बेहद एडवांस है। इसमें लिथियम-थायोनिल क्लोराइड बैटरी लगी है, जिससे यह काफी समय तक पानी के अंदर सक्रिय रह सकती है। एक और खास बात – MIGM को कभी भी, कहीं से भी तैनात किया जा सकता है, चाहे वो नेवी का जहाज हो, पनडुब्बी, या फिर किसी तट से। इससे भारतीय नौसेना को ऑपरेशन प्लानिंग में जबरदस्त लचीलापन मिल गया है।
देशी तकनीक और भारत की समुद्री सीमा पर नया भरोसा
DRDO की नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लैब, हाई एनर्जी मटेरियल्स रिसर्च लैब और टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैब – तीनों की साझेदारी से यह माइन तैयार हुई है। निर्माण की जिम्मेदारी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स जैसी घरेलू कंपनियों को मिली। यानी, अब भारत को ऐसे हथियार विदेशों से खरीदने की जरूरत नहीं, जो अभी तक महंगे दामों में इम्पोर्ट होते रहे।
इस नए हथियार का ट्रायल ऐसे वक्त में किया गया, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था और उसके बाद भारत ने सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक की थी। ऐसे माहौल में, यह ट्रायल हमारे दुश्मनों को सीधा संदेश देता है – भारत की जलसीमा पर अब कोई ताकत नजरें डालने की जुर्रत न करे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी DRDO और नौसेना की पीठ थपथपाई और कहा कि यह माइन भविष्य में भारत की अंडरसी वॉरफेयर ताकत को एक नई धार देगी।
असल में, आज के दौर में जहाज काफी स्मार्ट हो चुके हैं – चुम्बकीय पहचान छुपा लेते हैं, आवाज को मैनेज कर लेते हैं, प्रेशर वेव बदल देते हैं। MIGM का मल्टी-इन्फ्लुएंस सिस्टम इन सबका जोइंट विश्लेषण कर लेता है यानी अगर दुश्मन ने एक तकनीक से बचाव भी कर लिया, दूसरी से पकड़ा जाएगा। इसका मतलब, समुद्र के भीतर भारत की चौकसी लगातार मजबूत हो रही है।
देशी तकनीक, ताकत और भरोसे का यह ‘जल-शस्त्र’ अब भारतीय नौसेना की रीढ़ बन सकता है। भविष्य में ऐसे अत्याधुनिक हथियार हमारे समुद्री बॉर्डर पर सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस के तौर पर खड़े होंगे, जो भारत को हर चुनौती के लिए तैयार रखेंगे।