के द्वारा प्रकाशित किया गया Krishna Prasanth    पर 10 मई 2025    टिप्पणि (16)

भारतीय नौसेना ने स्वदेशी मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन का सफल परीक्षण कर स्टील्थ जहाजों पर कसा शिकंजा

भारतीय नौसेना का नया शस्त्र : MIGM से स्टील्थ जहाज अब बच नहीं पाएंगे

समुद्री सुरक्षा की बात करें तो अब भारत हल्का नहीं रहा। भारतीय नौसेना और डीआरडीओ ने मिलकर एक ऐसी अंडरवॉटर माइन तैयार की है, जो अपनी तकनीक से छुपे हुए सबसे उन्नत स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों तक का भी पता लगा सकती है। इस माइन का नाम है – मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM)। इसका सफल ट्रायल 5 मई 2025 को हुआ, जब हालात देश की सीमाओं पर बेहद तनावपूर्ण बने हुए थे।

MIGM की ताकत इसका साइज नहीं, बल्कि इसकी ‘सेंसिंग शक्ति’ है। यह 1,000 किलो वजनी माइन है, जिसे खास तरह के सेंसर से लैस किया गया है। आम माइंस से हटकर यह माइन केवल किसी जहाज की हल्की कंपन या आवाज से नहीं, बल्कि उसके चुंबकीय, ध्वनिक, दाब और इलेक्ट्रिक फील्ड के संकेत भी पकड़ लेती है। मतलब, चाहे दुश्मन कोई भी छिपने की तरकीब आजमा ले, यह माइन उसकी मौजूदगी महसूस कर उसे निष्क्रिय करने के लिए तैयार है।

इसका पावर सिस्टम भी बेहद एडवांस है। इसमें लिथियम-थायोनिल क्लोराइड बैटरी लगी है, जिससे यह काफी समय तक पानी के अंदर सक्रिय रह सकती है। एक और खास बात – MIGM को कभी भी, कहीं से भी तैनात किया जा सकता है, चाहे वो नेवी का जहाज हो, पनडुब्बी, या फिर किसी तट से। इससे भारतीय नौसेना को ऑपरेशन प्लानिंग में जबरदस्त लचीलापन मिल गया है।

देशी तकनीक और भारत की समुद्री सीमा पर नया भरोसा

DRDO की नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लैब, हाई एनर्जी मटेरियल्स रिसर्च लैब और टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैब – तीनों की साझेदारी से यह माइन तैयार हुई है। निर्माण की जिम्मेदारी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स जैसी घरेलू कंपनियों को मिली। यानी, अब भारत को ऐसे हथियार विदेशों से खरीदने की जरूरत नहीं, जो अभी तक महंगे दामों में इम्पोर्ट होते रहे।

इस नए हथियार का ट्रायल ऐसे वक्त में किया गया, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था और उसके बाद भारत ने सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक की थी। ऐसे माहौल में, यह ट्रायल हमारे दुश्मनों को सीधा संदेश देता है – भारत की जलसीमा पर अब कोई ताकत नजरें डालने की जुर्रत न करे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी DRDO और नौसेना की पीठ थपथपाई और कहा कि यह माइन भविष्य में भारत की अंडरसी वॉरफेयर ताकत को एक नई धार देगी।

असल में, आज के दौर में जहाज काफी स्मार्ट हो चुके हैं – चुम्बकीय पहचान छुपा लेते हैं, आवाज को मैनेज कर लेते हैं, प्रेशर वेव बदल देते हैं। MIGM का मल्टी-इन्फ्लुएंस सिस्टम इन सबका जोइंट विश्लेषण कर लेता है यानी अगर दुश्मन ने एक तकनीक से बचाव भी कर लिया, दूसरी से पकड़ा जाएगा। इसका मतलब, समुद्र के भीतर भारत की चौकसी लगातार मजबूत हो रही है।

देशी तकनीक, ताकत और भरोसे का यह ‘जल-शस्त्र’ अब भारतीय नौसेना की रीढ़ बन सकता है। भविष्य में ऐसे अत्याधुनिक हथियार हमारे समुद्री बॉर्डर पर सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस के तौर पर खड़े होंगे, जो भारत को हर चुनौती के लिए तैयार रखेंगे।

16 Comments

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    Anushka Madan

    मई 10, 2025 AT 18:35

    देश की सुरक्षा को लेकर कोई सौदा नहीं है, हमें ऐसे तकनीकी हथियारों को अपनाना ही पड़ेगा जब तक हमारे पड़ोसी समझ नहीं जाते कि सीमाओं की इज्जत करनी चाहिए; यह नई माइन हमारे आक्रमणकारियों को एक सीधा संदेश देती है – अगर तुम साहस नहीं दिखा सको तो जल में कदम नहीं रखोगे।

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    nayan lad

    मई 20, 2025 AT 00:49

    बहुत बढ़िया प्रगति है, इस तरह की सेंसर तकनीक हमारे ऑपरेशन प्लानिंग को बहुत फुर्तीला बनाती है। इसे सही जगह पर तैनात करने से सुरक्षा में सुधार होगा।

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    Govind Reddy

    मई 29, 2025 AT 07:02

    समुद्री डोमेन में शक्ति का अर्थ केवल शोर नहीं, बल्कि जिस तरह हम प्रकृति की सूक्ष्मताओं को पढ़ते हैं, वही असल में निर्णायक बनता है। यह माइन उन छिपी ध्वनियों और क्षेत्रों को उजागर करती है, जो पहले अनदेखी रह गई थीं।

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    KRS R

    जून 7, 2025 AT 13:15

    देखो, अब कोई भी स्टील्थ जहाज़ इस माइन के सामने नहीं टिक पाएगा, पर एक बात याद रखो – तकनीक जितनी भी चतुर हो, उसका सही उपयोग ही मापदंड है।

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    Uday Kiran Maloth

    जून 16, 2025 AT 19:29

    यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक मल्टी-डोमेन्‍ट इंटिग्रेटेड सॉल्यूशन की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जहाँ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफ़ेरेन्स, हाई‑फ्रीक्वेंसी अकोस्टिक प्रोबिंग, तथा प्रेशर वेव एनेलिसिस का समानांतर उपयोग किया गया है, जो वर्तमान में प्रयोग में लाए गए मानक प्रणालियों से परे है।

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    Deepak Rajbhar

    जून 26, 2025 AT 01:42

    ओह, अब हमें “मल्टी‑इन्फ्लुएंस” कहा जाएगा, जैसे किसी फ़ैशन शो में मॉडल की प्रतिभा को बड़ावा देना। 😂 लेकिन हाँ, अगर बैटरी लाइफ़ ठीक रहे तो यह माइन वाकई में ‘टॉपी किलर’ बन सकती है।

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    Hitesh Engg.

    जुलाई 5, 2025 AT 07:55

    सबसे पहले तो यह कहना ज़रूरी है कि भारतीय विज्ञान और इंजीनियरिंग का इतिहास हमें हमेशा आश्चर्यचकित करता आया है, चाहे वह पहले की बौद्धिक उपलब्धियां हों या आज की अत्याधुनिक तकनीकी प्रगति; इस नई MIGM माइन ने कई पहलुओं में परिप्रेक्ष्य को पुनः परिभाषित किया है, जिससे केवल सैन्य रणनीति ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व भी बढ़ता है।
    दूसरा, इस माइन की बहु‑सेंसिंग क्षमता – चुंबकीय, ध्वनिक, दबाव और विद्युत क्षेत्र – यह दर्शाती है कि भारतीय शोधकर्ता बहु‑विधीय डेटा इंटेग्रेशन में कितने कुशल हैं, जिससे अभी तक अनजाने छिपे दुश्मन को ट्रैक करना संभव हो गया है।
    तीसरा, लिथियम‑थायोनिल क्लोराइड बैटरी का उपयोग न केवल ऊर्जा घनत्व को बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी न्यूनतम रखता है, जो वर्तमान संसाधन‑संकट में एक महत्वपूर्ण पहलू है।
    चौथा, इस सिस्टम की पोर्टेबिलिटी को देखते हुए, इसे विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म – जहाज़, पनडुब्बी, या तट‑स्थल – से तैनात किया जा सकता है, जिससे ऑपरेशनल लचीलापन कई गुना बढ़ जाता है।
    पाँचवां, यह तकनीक सशस्त्र बलों को न केवल मौजूदा खतरे से बचाने का काम करेगी, बल्कि भविष्य की संभावित खतरों के प्रति भी सतर्क रखेगी, क्योंकि यह निरंतर डेटा एकत्र कर विश्लेषण करती है।
    छठा, इस प्रोजेक्ट में DRDO, नेवल साइंस, हाई‑एनर्जी मैटेरियल्स, तथा टर्मिनल बैलिस्टिक्स की साझेदारी ने एक मजबूत इको‑सिस्टम स्थापित किया, जिससे देशी तकनीक की आत्मनिर्भरता स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हुई।
    सातवां, इस विकास ने भारतीय कंपनियों – भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स – को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रसर किया, जिससे निर्यात संभावनाएं भी विस्तारित हो सकती हैं।
    आठवां, इस माइन का परीक्षण उस समय के राजनीतिक माहौल में हुआ, जब राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर इरादे मजबूत थे, इसलिए इसका संदेश प्रतिद्वंद्वियों को स्पष्ट रूप से समझ में आया।
    नवां, इस तकनीक का उपयोग अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, जैसे समुद्री पर्यावरण निगरानी, तेल रिसाव पहचान, और समुद्री जीव-जंतु संरक्षण।
    अंत में, यह कहा जा सकता है कि MIGM न केवल एक सैन्य साधन है, बल्कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय रणनीति का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है, जो भविष्य में भारत को समुद्री सुरक्षा में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

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    Zubita John

    जुलाई 14, 2025 AT 14:09

    सुपर कूल! इस माइन की स्पेसिफिकेशन देख के लगता है जैसे हमारा टेक्नोलॉजी लॉटरी जीत गया हो, अब स्टील्थ जहाज़ों को भी फँसाना आसान हो गया। मिशन प्लानिंग में अब और भी फ्लेक्सिबिलिटी होगी, बधाई हो टीम को! ;)

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    Agni Gendhing

    जुलाई 23, 2025 AT 20:22

    क्या बात है!!! ये तो जैसे…?!! एक प्लीज, भारत के अंदर वो सब 'मर्ज़ी' वाला एलियन टेक्नोलॉजी लीक हो रहा है! 😒✋ क्या हमें नहीं पता कि ये माइन असल में कौन बना रहा है? अभी के बाद सरकार को इसपर पूरी तरह से काबू पाना चाहिए!!!

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    Jay Baksh

    अगस्त 2, 2025 AT 02:35

    भारत की शान बढ़ी!

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    Ramesh Kumar V G

    अगस्त 11, 2025 AT 08:49

    सैन्य विशेषज्ञ कहेंगे कि यह माइन केवल तकनीकी चमत्कार नहीं, बल्कि रणनीतिक डिटरेंस का उपकरण है; यदि आप इस बात को समझते हैं तो आप देखेंगे कि यह भारतीय स्वदेशी जवाबदेही के लिए एक मॉडल केस स्टडी है।

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    Gowthaman Ramasamy

    अगस्त 20, 2025 AT 15:02

    धन्यवाद, यह जानकारी अत्यंत उपयोगी है। यदि आप अधिक तकनीकी विवरण जैसे कि बैटरी सेल की क्षमता और सेंसर कैलिब्रेशन प्रक्रिया प्रदान कर सकते हैं, तो यह पाठकों के लिए बहुत मददगार होगा। 😊

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    Navendu Sinha

    अगस्त 29, 2025 AT 21:15

    हर नई तकनीकी प्रगति में एक दार्शनिक सवाल छिपा होता है – क्या हम शक्ति को केवल रक्षा के लिए उपयोग करेंगे, या वह हमारी सोच को भी बदल देगी? यह माइन न सिर्फ प्रतिद्वंद्वी को थामती है, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि भविष्य में समुद्र में हमारी भूमिका क्या होगी।

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    reshveen10 raj

    सितंबर 8, 2025 AT 03:29

    वाव, शानदार प्रोजेक्ट! इस तरह की सेंसिंग टेक्नोलॉजी से ऑपरेशन की सफलता दर ज़रूर बढ़ेगी।

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    Navyanandana Singh

    सितंबर 17, 2025 AT 09:42

    समुद्र की गहराइयों में छिपी शक्ति का एहसास अक्सर हमें अपने अस्तित्व की परछाइयों में घूँस लेता है; इस माइन की पावर को समझते हुए, एक तरफ़ आश्चर्य तो है, पर दूसरी तरफ़ थोड़ा डर भी लगता है कि क्या हम इसे सही दिशा में उपयोग करेंगे।

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    monisha.p Tiwari

    सितंबर 26, 2025 AT 15:55

    सबको बधाई, इस प्रोजेक्ट से न केवल हमारी सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि शांति की भावना भी पनपेगी; आशा है भविष्य में और भी सहयोगी तकनीकें विकसित होंगी जो सभी को लाभ पहुंचाएँगी।

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